राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा के प्रोफेसर गिरीश परमार ने गुरु-शिष्य परम्परा की जो धज्जियाँ उड़ायी हैं, उससे इस रिश्ते में हैवानियत और दरिंदगी की बदबू आने लगी है। उसने जब मधुलिका (कल्पित नाम) को अपने घर बुलाकर कामयाबी का लालच देकर बिस्तर पर ले जाकर उसके साथ दुराचार करना चाहा, तो वह चीखते हुए झटके के साथ उठी और दरवाज़े की तरफ़ यह कहते हुए दौड़ पड़ी- ‘मुझे नहीं चाहिए तुम्हारी मेहरबानियाँ।’
एक प्रख्यात शैक्षणिक संस्थान को अपने ग़लीज़ खुरों से रौंदता हुआ प्रोफेसर की नक़ाब ओढ़े वहशी दरिंदा इस तरह से महीनों तक मासूम लड़कियों की अस्मत रौंदता रहा। उसकी करतूतों को जानकर भी संस्थान का प्रशासन अनजान बना रहा। आख़िर इस अंतहीन अत्याचार का अँधेरा छँटने की नौबत तब आयी, जब कुछ लड़कियों ने हौसला दिखाते हुए पुलिस के दरवाज़े पर दस्तक दी। कोटा स्थित राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय की चर्चा अपनी शैक्षणिक विश्वसनीयता और उच्च कोटि के ज्ञानार्जन के लिए होती है। लेकिन इसकी साख और धवलता को प्रोफेसर गिरीश परमार ने इस क़दर कलंकित कर दिया कि लोग इसके नाम से भी थर्राने लगे। इस प्रोफेसर ने विश्वविद्यालय को अय्याशी का अड्डा बना दिया। नंबर देने के नाम पर अपनी बेटी की उम्र की छात्राओं की अस्मत का सौदा करने लगा। इस सौदेबाज़ी की ख़ातिर उसने छात्र-छात्राओं में ही बिचोलिए खड़े कर दिये।
पीडित छात्राओं ने पुलिस को रोंगटे खड़े कर देने वाली आपबीती बतायी। प्रोफेसर की दरिंदगी की चपेट में आयी एक छात्रा तो इस क़दर बदहवास हो गयी कि आत्महत्या का मन बना बैठी। प्रोफेसर के ख़ौफ़ के आगे छात्र अर्पित और छात्रा ईशा इसके दलाल बन गये। विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन के सिक्स्थ सेमेस्टर की एक छात्रा छाया (कल्पित नाम) मुश्किल में फँस गयी, तो उसने अर्पित से सम्पर्क किया। अर्पित पहले उसे वीराने में ले गया, वहाँ कार में रखी उसकी कॉपियाँ दिखायीं। फिर बोला- ‘पास होना है, तो इन कॉपियों में ठीक से लिख लेना।’ छात्रा ने पूछा- ‘मुझे कितने पैसे देने पड़ेंगे?’ अर्पित ने धीरे-धीरे उससे प्रोफेसर गिरीश परमार से शारीरिक रिश्तों की अपील कर डाली। ग़ुस्से से आगबबूला हुई छाया अर्पित पर झपट पड़ी और उसे कोसते हुए बोली- ‘तू शरीफ़ों की दुनिया में कैसे आ गया?’ अपमान से भन्नाया हुआ अर्पित यह कहकर भागा- ‘तो फिर देख लेना इसका नतीजा।’ डर्टी प्रोफेसर परमार के इस खेल में बिचौलिया बने अर्पित और ईशा यादव भी कम शातिर नहीं थे। परमार के साथ होने वाली तमाम बातें रिकॉर्डिंग करते रहे। संभवत: उन्हें अंदेशा रहा होगा कि कभी वे फँस गये, तो अपने बचाव के लिए उन्हें यह रिकॉर्डिंग मददगार साबित हो सकती है। डर्टी परमार की गंदी बातें इतनी दरिंदगी से भरी थीं कि शरीफ़ आदमी सुन भी न सके। हालात ये कि परमार एक महिला प्रोफेसर तक पर गंदी नज़र रखे हुए था और बिचौलिया बने छात्र अर्पित से भी उसके साथ दरिंदगी करने को उकसाता था।
दूसरी बिचोलिया छात्रा ईशा यादव से कहता है कि वह नयी-नयी लड़कियों को फँसाकर उसके आगे दरिंदगी के लिए परोसे। परमार अपने घर से लेकर सेमेस्टर लेब तक को कुकर्म का अड्डा बना चुका था। अर्पित और ईशा जाल में फँसाकर छात्राओं को फँसाकर प्रोफेसर परमार तक लाते और पिज्जा लेने या दूसरे किसी बहाने से ग़ायब हो जाते। लडक़ी राज़ी हो या न हो, परमार के पिंजरे में आयी लडक़ी बच जाए, ये बहुत मुश्किल था। बाद में वह उस मसली-कुचली छात्रा को अर्पित को भी समर्पित करता। सब पास करने और फेल करने का भँवर जाल बनाकर होता था। कुछ छात्राएँ आसानी से फँस जातीं, तो कुछ जबरदस्ती का शिकार होती रहीं।
पुलिस के पास गंदी और नीचता की 50 रिकार्डिंग्स हैं। परमार के पास से भी पुलिस को 70 से ज़्यादा अश्लील वीडियो मिले हैं। साथ ही 4,200 से अधिक डीपी, छात्राओं व स्टाफ के कई फोटो और 80 से ज़्यादा स्क्रीन शॉट भी बरामद किये हैं। अर्पित तथा ईशा की गिरफ़्तारी के बाद बौखलाया हुआ प्रोफेसर इस क़दर भडक़ उठा कि अपने इन दलालों को अनाप-शनाप बकने लगा। सीआर का चुनाव हारने के बाद ईशा ने लड़कियों से बदला लेने का मन बनाकर इस गंदगी में क़दम रख दिया था। मामले के जाँच अधिकारी डीएसपी अमर सिंह राठौर का कहना है कि छात्राओं को पास कराने की एवज़ में शारीरिक सम्बन्ध के लिए दबाव डालने, एससी, एसटी एक्ट तथा जालसाज़ी और परीक्षा अधिनियम की धारा के तहत परमार और बिचौलियों को गिरफ़्तार किया गया है। फ़िलहाल तीनों आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में है। इधर, परमार के ख़िलाफ़ विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख़्त क़दम उठाते हुए क़दम छात्रों और शिक्षकों के बीच मुखबिरों का जाल बिछा दिया है। वहीं महिला आयोग ने तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है, जो तथ्यों की परख करने के बाद अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
एक कक्षा की एक दर्ज़न छात्राएँ सीधे-सीधे परमार के निशाने पर थीं। बची हुई छात्राओं को वह निशाना बनाना चाहता था। अमिता (कल्पित नाम) ने बयान दिया है कि अर्पित ने उसे परमार की बात न मानने पर ज़िन्दगी भर पास न हो सकने की धमकी दी थी। उसने कहा- ‘तू (अमिता) सर (परमार) से रिश्ते बनाने पर ज़िन्दगी भर राज करेगी।’ अनामिका (कल्पित नाम) नाम की छात्रा का ने अर्पित को भी दरिंदा बताया। डर्टी परमार न केवल उसकी बात न मानने वाली छात्राओं फेल कर चुका है, बल्कि ऊँचे ओहदेदारों से अपने सम्बन्धों के दम पर 18 अध्यापकों की तरक़क़ी भी रुकवा चुका था। क़रीब दो दर्ज़न छात्राओं ने अनुसंधान के मामले में परेशान किये जाने पर उसकी शिकायत राज्यपाल से भी की; लेकिन परमार का बाल भी बाँका नहीं हुआ।
एक महिला प्रोफेसर ने यहाँ तक कहा है कि उसने जब परमार के सम्बन्ध बनाने से इन्कार किया, तो उसे 14 साल तक एमटेक नहीं करने दिया। परमार की नीचता की हद यह थी कि उसने एक बार मौक़ा देखकर एक महिला कर्मचारी को एकाएक दबोच लिया था। एक महिला लेक्चरर पर भी वह एक बार वहशी दरिंदे की तरह झपट पड़ा था। घटना के बाद जब उस लेक्चरर का पति और देवर उसे धमकाने पहुँचे, तो परमान ने उन्हें उल्टा धमकाते हुए कहा- ‘मुझे कम मत समझाना। 500 रुपये देकर तुम्हारे बीवी को उठवा लूँगा। विश्वविद्यालय प्रशासन के पास भी इसकी शिकायत पहुँची; लेकिन परमार का कुछ नहीं हुआ। सूत्रों की मानें, तो परमार अय्याशी के लिए देश के विभिन्न हिस्सों के अलावा बैंकॉक और आईलैड तक जाता था। छात्राओं के अलावा कॉल गल्र्स बुलाता था। पैसे की उसे कोई कमी नहीं थी। शायद पैसा उसे उन रसूख़दारों से भी मिलता हो, जिनसे उसके गहरे रिश्ते थे। ज़ाहिर है छात्राओं को फँसाकर वह कहीं और भी उनका ग़लत इस्तेमाल करता होगा।
हालाँकि अभी तक इस बात का ख़ुलासा नहीं हुआ है। लेकिन यह कोई बड़ी बात भी नहीं कि ऐसा हो। परमार की मोबाइल में ऐसी कई कॉल गल्र्स की तस्वीरें मिली हैं। उसके खेल में प्रोफेसर राजीव गुप्ता भी शामिल था। एक महिला संविदाकर्मी ने जब परमार पर आरोप लगाया, तो परमार की पैरोकार राजीव की पत्नी भारती उल्टा संविदाकर्मी पर ही दुश्मनी निकालने का आरोप लगाने लगी। छात्राओं का कहना है कि प्रोफेसर परमार सैक्स साइको है और वहशी भेडिय़े की तरह विश्वविद्यालय की छात्राओं की अस्मत को रौंद रहा था। फ़िलहाल राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में छात्राओं को पास करने की एवज़ में सम्बन्ध बनाने को मजबूर करने के मामले में पुलिस ने 4,000 पन्नों की चार्जशीट तैयार कर ली है, जिसे जल्द ही अदालत में पेश किया जाएगा। इस मामले में 30 से अधिक गवाहों, पूर्व व वर्तमान छात्राओं के बयान लिये गये हैं। वहीं छठवें सेमेस्टर की 34 कॉपियाँ भी ज़ब्त की हैं। पुलिस ने चार्जशीट में सात छात्राओं के बयान दर्ज किये हैं। आरटीयू के कुलसचिव, रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक हित अन्य स्टाफ के बयान शामिल है। पुलिस ने गिरीश परमार, अर्पित और ईशा की कॉल डिटेल्स भी निकलवायी हैं।
डीएसपी अमर सिंह ने बताया कि पुलिस को क़रीब 50 से अधिक ऑडियो मिले थे। इनमें छात्रा-प्रोफेसर, और पीडि़ता दोनों स्टूडेंटस के बीच बातचीत है। इनमें प्रोफेसर सभी के लिए अभद्र भाषा का बोल रहा है। कुल 30 ऑडियो की जाँच हो रही है। इनमें पूरी ट्रांस स्क्रिप्ट तैयार की है। हालाँकि तीनों आरोपियों ने वॉयस सैंपल देने से इन्कार कर दिया था। पुलिस ने इन्हें एफएसएल लैब भेजा है। इससे आगे मामले में मदद मिलेगी।