देश के गरीबों को राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव है हर महीने न्यूनतम आमदनी का। इनके साथ सिर्फ शर्त यह है कि इस साल हो रहे आम चुनावों में कांगे्रस को वोट दिए जाएं। गरीबी से मुक्ति का यह अनूठा प्रस्ताव कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 28 जनवरी 2019 को दिया। देश के अर्थशास्त्री भी कहते हैं कि यह एक बड़ा फैसला है राष्ट्रीय कांग्रेस का। सत्ता में यदि कांग्रेस आती है तो वह गरीब को गरीबी की रेखा से उठा सकती है। सरकार पर उतना आर्थिक दबाव भी नहीं होगा।
आम तौर पर देश में आम चुनाव के पहले अंतरिम बजट लाने की व्यवस्था रही है लेकिन भाजपा ने नेतृत्व की एनडीए सरकार उसे भी मानने से गुरेज करते हुए पूरा बजट पेश कर रही है। बजट को पहली फरवरी को पेश
करने के ऐन पहले कांगे्रस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हर गरीब को न्यूनतम आय की घोषणा करके पूरी एनडीए सरकार को चकित कर दिया। उधर देश के गरीबों ने राहुल की इस घोषणा का स्वागत किया है।
राहुल गांधी ने कहा, ‘हम नया भारत नहीं बना सकते यदि देश के लाखों हमारे भाई बहन गरीबी की रेखा से नीचे जीवन जीने का संघर्ष दिन-प्रतिदिन कर रहे हैं। हम भारत के अंदर दो भारत (एक अमीर और दूसरा गरीब) नहीं चाहते। कांग्रेस ने यह तय किया है कि देश में सत्ता पाते ही वह देश के हर गरीब व्यक्ति को न्यूनतम आमदनी मुहैया करेगी जिससे वह जीवन निर्वाह कर सके। इससे पेट की भूख बुझेगी और गरीबी हटेगी। यह हमारा नज़रिया है और वादा है।’
राष्ट्रीय कांगे्रस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ में नया रायपुर में यह सार्वजनिक घोषणा की। कांग्रेस ने यह घोषणा करके एक तरह से नहले पर दहला दागा। ऐसे संकेत थे कि भाजपा बजट में किसान मित्र, समाज के मझोले वर्ग के प्रति उदार और देश के अमीरों और गरीबों के लिए हर महीने यूनिवर्सल आमदनी की घोषणा कर रही थी। कांग्रेस के आंतरिक सूत्रों के अनुसार पिछले कई वर्षों से कांग्रेस देश-विदेश के नामी अर्थशास्त्रियों, स्वयं सेवी संगठनों भारतीय वित्त संगठनों के विशेषज्ञों से इस योजना पर लगातार बातचीत कर रही थी।
कांगे्रस के नेतृत्व में बनी यूपीए सरकारों के दौर में शुरू हुई और सराही गई योजना थी मनरेगा जिस मेें वर्तमान सरकार ने खासी कटौती की लेकिन अब फिर उसे बढ़ावा दिया है। कांगे्रस के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम इस योजना के अध्यक्ष हैं और उन्होंने यह बताया कि यह योजना हमारे देश की इतनी बड़ी आबादी के लिए इस योजना की कामयाबी मील का एक पत्थर साबित होगी। कांग्रेस इस प्रस्ताव को आम चुनाव के अपने मैनीफेस्टो में भी रखेगी। जिसमें इस योजना संबंधी ब्यौरा भी होगा। यह जानकारी भी साफ-साफ होगी इसे अमल में लाते हुए धन कहां- कैसे जुगाड़ा जाएगा।
यूपीए सरकारों के दस साल में कांग्रेस ने अपनी नीतियों मसलन ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और अहम सुरक्षा कानूनों से 14 करोड़ गरीबों के घरों में भूख की समस्या दूर की थी। उसी नीति की कामयाबी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस अब गरीबी उसी नीति की कामयाबी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस अब गरीबी की रेखा से नीचे शहर या गांव में रहने वाले हर घर को मासिक न्यूनतम आमदनी का प्रस्ताव देती है जिससे उस परिवार का भी जीवन स्तर सुधरे और वह भूख के कारण अभाव में न रहे। गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की पहचान उनके आर्थिक-सामाजिक ढर्रे को देखते-समझते हुए की जाएगी।
गरीबों से भी गरीब की आमदनी में सुधार होने से भारतीय अर्थव्यवस्था में खपत के अनुरूप विकास होगा। इसे यूपीए राजकाज के दौरान जाना-परखा भी गया था। उस पर लगातार काम करते रहने के बाद कांग्रेस ने न्यूनतम आमदनी की संभावना पर तमाम आर्थिक विशेषज्ञों से राय-बात की फिर इसे अपना चुनावी प्रस्ताव भी बनाया।
कांगे्रस अध्यक्ष का कहना है कि ‘यदि 2019 में जनता हमें देश में राज चलाने का मौका देती है तो कांगे्रस हर गरीब व्यक्ति को न्यूनतम आमदनी की गारंटी देती है जिससे वह भूख को शांत कर सके और गरीबी से मुक्त होने के लिए सतत सक्रिय रहे। यह हमारा नज़रिया ही नहीं बल्कि वादा भी है।’
पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के अनुसार भाजपा के नेतृत्व की एनडीए सरकार के बजट में जिस यूबीआई (यूनिवर्सल बेसिक इन्कम) का उल्लेख है उस पर पिछले दो वर्षों में काफी राय-मश्विरा हुआ। इसमें पता लगा कि सारी सब्सीडी खत्म कर दें तो यह ठीक होगी। लेकिन कांग्रेस ने पाया कि इससे बेहतर मनरेगा इसलिए है क्योंकि यह धन समाज के जिन तबकों को ज़रूरी है सीधे वहीं पहुंचता है। संपन्न लोगों के लिए उसकी कोई ज़रूरत है भी नहीं। इसलिए बेहद गरीब तबकों में भूख से पहला मुकाबला फिर खुद को अन्य ज़रूरतों की पूर्ति के लिए तैयार करने के यदि गरीबों से भी गरीब परिवारों में न्यूनतम आय की ही व्यवस्था सरकार की ओर से कर दी जाए तो उन्हें जि़ंदगी में अगली उछाल का अवसर मिल सकेगा।’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बताया।
‘कांग्रेस की कोशिश यही है कि देश से गरीबी से नीचे की गरीबी जल्द से जल्द पूरी हो। यदि देश की जनता ने मौका दिया तो देश से गरीबी दूर हो जाएगी। गरीब की इस खाने में छोटे किसान और भूमिहीन किसान और दूसरे समुदायों के तमाम लोग आ जाएंगे। यानी पूरी आबादी के 40 फीसद लोग।
भारत के आर्थिक सर्वे (2016-17) में आज़ाद संपत्ति कोष ‘सावरेज वेल्थ फंड’ का जिक्र है साथ ही नागरिकों की हिस्सेदारी की भी। कांगे्रस नेताओं का मानना है कि न्यूनतम आमदनी का वादा यूपीए सरकारों द्वारा गरीबी हटाओ कार्यक्रमों का ही विस्तृत रूप है। इससे देश की 40 फीसद आबादी को मदद मिलती है। राहुल गांधी की यह घोषणा पूरे देश की आर्थिक तस्वीर बदलने में सक्षम है। वे लगातार बेरोज़गारी नौकरियों का न होना और कृषि कर्ज की माफी की बात अपने भाषणों में करते रहे हैं। उस लिहाज से उन्होंने कांगे्रस की ओर से देश की जनता को एक विकल्प सुझाया है।