हरियाणा सरकार ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को झटका देते हुए उनकी कम्पनी स्काई लाइट का लाइसेंस रद्द कर दिया है। हरियाणा के नगर और ग्राम आयोजना विभाग के निदेशक ने यह आदेश जारी किया है।
याद रहे रॉबर्ट वाड्रा की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और डीएलएफ के बीच करार हुआ था। वाड्रा ने इस जमीन को खरीदकर डीएलएफ को बेचा था। अब जमीन पर किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी गयी है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की इस कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी का लाइसेंस रद्द होने से उन्हें झटका लगा है। याद रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के समय गुरुग्राम के शिकोहपुर में 3.52 एकड़ जमीन पर कमर्शियल कॉलोनी काटने के लिए यह लाइसेंस दिया गया था।
चकबंदी विभाग के तत्कालीन महानिदेशक अशोक खेमका ने इस जमीन का म्युटेशन (इंतकाल) रद्द कर दिया था, जिसके बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया था। बाद में हरियाणा में जब भाजपा सरकार 2014 में सत्ता में आई तब भाजपा ने हुड्डा सरकार द्वारा दिए गए इस लाइसेंस पर खूब राजनीति की और कांग्रेस की घेराबंदी की थी।
अब करीब आठ साल की लंबी प्रक्रिया के बाद नगर और ग्राम आयोजना (टाउन एंड कंट्री प्लानिंग) विभाग ने इस जमीन के लाइसेंस को गलत ठहराते हुए उसे रद्द करने के आदेश जारी कर दिए हैं। जिस जमीन के लिये यह लाइसेंस जारी हुआ था, उस पर अब कोई निर्माण कार्य भी नहीं हो सकेगा।
बता दें इस जमीन का लाइसेंस नवीनीकरण कराने के लिए डीएलएफ ने हरियाणा सरकार के पास आवेदन कर रखा था। आरोप है कि हरियाणा की हुड्डा सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को यह जमीन काफी सस्ती कीमत पर दी, लेकिन बाद में अधिक कीमत पर इसे डीएलएफ को बेच दिया गया।
पूरे मामले की जांच कराने के लिए हरियाणा सरकार ने जस्टिस एसएन ढींगरा की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था। इस आयोग की रिपोर्ट भी काफी दिन तक सरकार के पास पड़ी रही। हालांकि यह रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं हुई, लेकिन छन-छन कर रिपोर्ट के खास बिंदु बाहर आते रहे।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस आयोग के गठन को नियमों के विपरीत बताते हुए अदालत में चुनौती दे रखी है। हालांकि अदालत ने भी आयोग की रिपोर्ट के सार्वजनिक होने पर अस्थाई रोक लगा रखी है, लेकिन आयोग का गठन सही हुआ या गलत था, इस बारे में अभी अपनी कोई टिप्पणी नहीं दी है।