66 गिरफ़्तार, दर्ज़नों फ़र्ज़ी दस्तावेज़, सैकड़ों बैंक खाते, दर्ज़नों मोबाइल, लेपटॉप और मशीनरी बरामद
विकास में पिछड़े हरियाणा के नूह ज़िले में राज्य पुलिस ने सबसे बड़ी छापेमारी कर ठगी के बड़े नेटवर्क को ध्वस्त किया है। मेवात क्षेत्र का यह ज़िला साइबर ठगी के मामले में राज्य ही नहीं, बल्कि देश के सबसे कुख्यात जामताड़ा (झारखण्ड) बन चुका था। यहाँ ऑपरेशन साइबर मिशन में 5,000 पुलिसकर्मियों ने ज़िले के क़रीब 14 गाँवों में देर रात से सुबह तक दबिश देकर 125 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया। इनमें से 66 को गिरफ़्तार कर लिया गया।
ठगों से सैकड़ों फ़र्ज़ी आधार कार्ड, पेन कार्ड, एटीएम कार्ड, 66 मोबाइल, 99 सिम कार्ड, स्वाइप मशीनें, स्केनर, प्रिंटर, लेपटॉप और कुछ वाहन बरामद हुए हैं। इसके अलावा 220 से ज़्यादा बैंक खाते और 140 यूपीआई खाते भी मिले हैं। गिरफ़्तार ठगों की आयु 20 से 30 वर्ष की है और ज़्यादातर बहुत कम पढ़े लिखे हैं; लेकिन बावजूद इसके ये ठग बड़े अधिकारियों तक को अपने जाल में फँसा लेते थे। कई ठग तो ठीक से पढ़े-लिखे भी नहीं हैं। बावजूद इसके वे मोबाइल के हर फंक्शन को अच्छी तरह से चलाना जानते हैं। कुछ पढ़े-लिखे हैकर के रूप में ठगी करते हैं। कभी ये बैंक, कस्टम या पुलिस अधिकारी के रूप में ब्लैकमेल करते हैं।
दिल्ली की एक महिला डॉक्टर से ऐसे ही ठगों ने चार करोड़ रुपये से ज़्यादा ऐंठ लिये थे। कई ऐसे ऐप हैं, जिनके ज़रिये लोगों की बहुत-सी जानकारियाँ जुटाना, फ़र्ज़ी आधार और पेन कार्ड गूगल से निकाल लेना इन ठगों के लिए मुश्किल नहीं है। पकड़े गये आरोपियों में ज़्यादातर के मोबाइल फोन फ़र्ज़ी आईडी पर चल रहे थे। नूह क्षेत्र में कोई दफ़्तर आदि नहीं, जहाँ से ठगी का कारोबार चलता था। कहीं दूर-दराज़ जंगल या सुनसान क्षेत्र में मोबाइल के माध्यम से ये लोग ठगी कर रहे थे। साइबर ठगी के बढ़ते मामलों का नूह बड़ा केंद्र बनकर उभर रहा था। पुलिस की साइबर टीमों की जाँच नूह क्षेत्र के आसपास के संदिग्ध नंबरों पर आकर रुक जाती थी। ये नंबर इस क्षेत्र में बराबर सक्रिय रहते थे। राज्य का नूह ज़िला उत्तर प्रदेश और राजस्थान से सटा हुआ है। लिहाज़ा आरोपी पड़ोसी राज्यों में कुछ दिनों के लिए चले जाते और फिर से वहीं अपना काम शुरू कर देते थे। हरियाणा में ही हज़ारों साइबर ठगी के मामले दर्ज हो चुके थे।
राज्य पुलिस पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करना चाहती थी। इसके लिए बाक़ायदा उच्च स्तर पर बैठकें हुईं। जब इस बात के पुख़्ता सुबूत मिल गये कि देश भर में होने वाली साइबर ठगी के बहुत-से मामलों का केंद्र हरियाणा का नूह ज़िला है, तो इसके लिए तैयारी की गयी। पूरी योजना तैयार होने के बाद मुख्यमंत्री को इससे अवगत कराया गया और वहाँ से मंज़ूरी के बाद पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने इसे ऑपरेशन साइबर नाम दिया। यह मिशन बहुत गुप्त रखा गया था, क्योंकि ज़िले के एक बड़े क्षेत्र में बड़े स्तर पर छापेमारी की जानी थी। राज्य के अन्य ज़िलों से पुलिसकर्मियों को बुलाया गया। कोई तीन महीने तक इस मिशन पर गुप्त रूप से काम होता रहा।
पहले मिशन को रमजान माह से पहले अंजाम दिया जाना था; लेकिन तब तक तैयारी पूरी नहीं हो पायी थी। फिर रमजान का माह आ गया। नूह क्षेत्र मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और रमजान का माह उनके लिए पवित्र होता है। पुलिस की बड़े स्तर पर कार्रवाई से कहीं सांप्रदायिक तनाव पैदा न हो जाए, इसलिए इसे टाल दिया गया। ऑपरेशन की पूरी तैयारी को इतना गुप्त रखा गया कि चुनिंदा बड़े अधिकारियों के अलावा किसी को भनक तक नहीं थी। यही वजह रही कि मिशन पूरी तरह से सफल रहा और साइबर ठग क़ाबू में आ गये।
ऑपरेशन साइबर का नेतृत्व नूह ज़िले के पुलिस अधीक्षक वरुण सिंगला ने किया। पूरे क्षेत्र की ऐसी नाकेबंदी की गयी कि कोई पुलिस का घेरा तोडक़र भाग न सके। पुलिस की 100 से ज़्यादा टीमों ने 14 गाँवों में घर-घर की तलाशी ली और सर्विलांस पर लगे संदिग्ध मोबाइल नंबर वालों की धरपकड़ करती गयी। साइबर ठगी के मामले में यह हरियाणा का अब तक का सबसे बड़ा मिशन था। अलग-अलग गुटों में बँटे लोग मोबाइल के ज़रिये ठगी का धंधा कर रहे थे, इनमें से ज़्यादातर बेरोज़गार और बेहद कम पढ़े लिखे हैं। इनमें से काफ़ी ऐसे भी हैं, जिन्होंने बाक़ायदा क्षेत्र में ट्रेनिंग ली थी और इसके लिए फीस भी चुकायी। नूह क्षेत्र में ऐसे ट्रेनिंग सेंटर खुल चुके थे, जिसमें चोरी छिपे ठगी करने के तरीक़ों को सिखाया जाता था। इसके लिए साइबर ठग विशेषज्ञों की मदद ली जाती थी।
सोशल मीडिया पर घर बैठे हज़ारों कमाने कमाने, नौकरी दिलाने, लॉटरी निकलने, बिजली बिल कट जाने, केवाईसी कराने से लेकर अश्लील वीडियो से ब्लैकमेल कर ठगी के तरीक़े सिखाये जाते थे। ठगी का क्रैश कोर्स करने वाले कई युवकों ने पकड़े जाने से पहले काफ़ी पैसा भी कमा लिया था। नूह में जामताड़ा की तरह इन ठगों ने पैसा मकान या वाहन आदि पर ख़र्च नहीं किया, क्योंकि उन्हें इससे पकड़े जाने का डर था। पुलिस पूछताछ में ख़ुलासा हुआ है कि नूह क्षेत्र के साइबर ठगों ने देश भर में 100 करोड़ से ज़्यादा की ठगी को अंजाम दिया होगा। इस पूरे नेटवर्क के ध्वस्त होने के बाद हज़ारों मामलों की जाँच पूरे होने की उम्मीद है।
वैसे साइबर ठगी के ज़्यादातर मामलों में पीडि़त को गयी रक़म वापस कम ही मिल पाती है। छोटे मोटी ठगी की शिकायत तो पुलिस के पास पहुँचती ही नहीं है। बड़ी रक़म की प्राथमिकी होती है, तो पुलिस जाँच करती है; लेकिन ज़्यादातर मामले अनसुलझे ही रहते हैं। मोटे अनुमान के अनुसार, साइबर ठगी के कुल दर्ज मामलों में दो प्रतिशत में ही पुलिस आरोप पत्र दाख़िल कर पाती है। हरियाणा में साइबर ठगी के आरोपी पश्चिम बंगाल के किसी दूर-दराज़ क्षेत्र के निकलते हैं, तो उन्हें तलाश पाना आसान नहीं होता। नूह में भी साइबर ठगों ने केवल इसी राज्य के नहीं, बल्कि अंडमान निकोबार और असम जैसे दूर-दराज़ के लोगों को अपना शिकार बनाया था।
नूह क्षेत्र के लोगों के मुताबिक, कोरोना में तालाबंदी के दौरान साइबर ठगी के मामलों की छिटपुट तौर पर शुरुआत हुई थी, उससे पहले इस इलाक़े में कोई भी ठगी का मामला सामने नहीं आया था। उसके बाद से विभिन्न राज्यों की पुलिस यहाँ आती रहती थी। पुलिस यहाँ आरोपियों तक न पहुँच सके, इसके लिए कई तरह की बाधाएँ भी आसपास के लोग करते रहे हैं। पुलिस पर पत्थरबाज़ी करके रास्ता भी रोका जाता रहा है। संचार क्रान्ति ने जहाँ लोगों को घर बैठे कई तरह की सुविधाएँ दी हैं, वहीं इन ठगों ने इसे आसानी से अमीर बनने का रास्ता तलाश लिया है। एक फोन काल या लिंक के माध्यम से पीडि़त का पूरा बैंक खाता ख़ाली करने वाले ये ठग छोटी उम्र में इतने शातिर हो चुके हैं कि घर बैटे मिनटों में लाखों के वारे-न्यारे कर लेते हैं। रोज़ ठगी के नये-नये तरीक़े सामने आ रहे हैं। बिना ओटीपी के भी ठग लोगों को शिकार बना रहे हैं।
सरकारी आँकड़ें के मुताबिक, हर घंटे औसतन छ: घटनाएँ साइबर ठगी की हो रही हैं। मामले लगातार तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं। इससे लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा होने लगी है। साइबर ठगी पूरी तरह से बंद नहीं हो सकती, क्योंकि सुरक्षा के उपायों के बावजूद ये ठग नये-नये तरीक़े खोज लेते हैं। साइबर ठगी के लिए जामताड़ा या नूह ही अव्वल नहीं हैं, बल्कि देश भर में 32 ऐसे स्थान चिह्नित किये गये हैं, जहाँ बड़े स्तर पर ठग सक्रिय हैं। इनमें दिल्ली, असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना प्रमुख हैं। हरियाणा के भिवानी, नूह और पलवल ज़िलों में साइबर ठग सक्रिय हैं। राजस्थान की सीमांत ज़िला भरतपुर में साइबर ठगी का बड़ा अड्डा बन रहा है। नूह में साइबर ठगी के बड़े नेटवर्क को ध्वस्त करने के बाद क्षेत्र में मामलों में कुछ कमी भी आयी है; लेकिन देश भर में रोज़ नये से नये ठगी के मामले सामने आ ही रहे हैं।
ठगों से कुछ राहत
सरकारी पोर्टल के मुताबिक, नूह में ऑपरेशन साइबर से पहले 01 से 20 अप्रैल तक 5,728 मामले दर्ज हुए; जबकि 01 से 20 मई तक 4,218 मामले ही हुए। यह एक-चौथाई कमी ज़रूर है; लेकिन यह जारी रहेगी? कहना मुश्किल है। साइबर ठगी के बहुत-से मामलों में पीडि़त पुलिस के पास इसलिए नहीं जाते, क्योंकि उन्हें पता है कि इससे हासिल कुछ नहीं होगा; जबकि इसके लिए उसकी मुश्किलें और बढ़ जाएँगी।
“नूह में साइबर ठगी के बड़े नेटवर्क को ध्वस्त किया गया। पूछताछ से हज़ारों मामलों का ख़ुलासा होगा। इतने बड़े ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने में सभी का पूरा सहयोग रहा। ठग सभी काम फ़र्ज़ी तरीक़े से कर रहे थे। पुलिस के पास इसकी जानकारी थी; लेकिन किसी नेटवर्क को ख़त्म करने के लिए कुछ पुख़्ता सुबूत जुटाने पड़ते हैं। इस मामले में सब कुछ करने के बाद ऑपरेशन साइबर को अंजाम दिया गया।“
वरुण सिंगला
पुलिस अधीक्षक, नूह