साल 2003 में, मालदा, पश्चिम बंगाल की मीरा केवल 16 वर्ष की थी, जब उसे हरियाणा के मेवात में विजय को एक ‘दुल्हन’ के रूप में बेच दिया गया, जो उनसे दस साल बड़ा था। शादी के सिर्फ दो साल बाद, उसे फिर से एक पार्टी के लिए 50,000 रुपये की कीमत पर बेच दिया गया। कारण? उसने दो बेटियों को जन्म दिया था।
मीरा की पहली बार शादी के एक साल बाद, असम की एक अन्य 15 वर्षीय लडक़ी लक्ष्मी को हरियाणा के जींद में 29 वर्षीय नरेश को दुल्हन के रूप में बेच दिया गया। अपनी शादी के बाद, लक्ष्मी को जबरन या तो नरेश के खेत में काम करने या परिवार के मवेशियों को पालने के लिए मजबूर किया गया। आज इस अस्पष्ट पहचान के साथ वह अपने दो बेटों के साथ एक विधवा का जीवन जी रही है और उसके नाम पर कोई सम्पत्ति नहीं है। मीरा और लक्ष्मी के मामले अलग नहीं हैं।
हरियाणा जैसे राज्य में दुल्हन तस्करी काफी आम है, जहाँ पुरुष कमज़ोर लिंग अनुपात के कारण अपने समुदाय के बाहर पत्नियों की तलाश करने के लिए मजबूर होते हैं; और इस समस्या के लिए खुद उनके समुदाय •िाम्मेदार हैं। ऐसे कई मामले हैं, जो दूसरे राज्यों से तस्करी करने वाली दुल्हनों के बारे में बताते हैं, जहाँ उन्हें उपभोग की वस्तु मात्र माना जाता है और •यादातर घर की देखभाल करने, खेतों पर काम करने या परिवारों के लिए उत्तराधिकारी के रूप में बेटे पैदा करने के लिए कीमत (20,000 रुपये से 1,50,000 या अधिक) देकर लाया जाता है। राज्य सरकार की हाल में जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हरियाणा में 2012 में हर 1000 लडक़ों के पीछे 832 लड़कियों जबकि अगस्त 2019 में प्रति 1000 लडक़ों पर 920 लड़कियों का लिंग अनुपात रहा जिसे सुधार माना जाएगा। फिर भी राज्य में जल्द ही दुल्हन तस्करी का चलन समाप्त होता नहीं दिख रहा है। कई दशक बीत चुके हैं लेकिन हरियाणा की दुल्हनें (राज्य के बाहर से) अभी भी माल की बहू (शॉपिंग मॉल ब्राइड) के रूप में इंगित की जाती हैं। यह एक ऐसा शब्द है, जिसके कारण पूरा राज्य शर्मसार हो गया है। राज्य सरकार लिंगानुपात में सुधार का श्रेय लेती है और इसके इसके पीछे अपने अभियान ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ को श्रेय देती है, लेकिन यह अभी तक ‘मॉल की बहू’ जैसे शर्मनाक लेबल को ख़त्म करने से कोसों दूर है।
हालाँकि, राज्य में कम-से-कम कुछ हिस्से सक्रिय रूप से इस तस्करी के िखलाफ सामने आये हैं और पीडि़तों को बचाने के लिए कदम उठा रहे हैं। तस्करी करने वाली दुल्हनों को समान प्रतिनिधित्व देने के लिए राज्य के खरकरी गाँव ने ‘परदेशी बहू हमारी शान’ (गैर-राज्य दुल्हनें हमारा गौरव हैं) नामक एक बड़े अभियान की शुरुआत की है। इस पहल के साथ खरकरी दुल्हन तस्करी के िखलाफ लडऩे के लिए आगे आने वाला भारत का पहला गाँव बन गया है। परदेशी बहू हमारी शान अभियान के संयोजक सुनील जगलान ने 26 अक्टूबर, 2019 को दुल्हन की तस्करी की पुरानी लड़ाई को लडऩे के लिए ग्रामीणों के बीच सकारात्मक दृष्टिकोण को देखते हुए खरकरी को अभियान शुरू करने के लिए चुना।
जगलान, जो सेल्फी विद् डॉटर फाउंडेशन के निदेशक हैं, ने परदेशी बहू हमारी शान नामक अभियान की स्थापना दूसरे राज्यों से खरीदी गयी दुल्हनों को सम्मानित करने और ‘बेची गयी दुल्हनों’ के टैग को हटाने में मदद करने के लिए की है। इस पत्रकार के साथ बात करते हुए, जगलान कहते हैं- ‘मैं हरियाणा के पुरुष प्रधान समाज में तस्करी करने वाली दुल्हनों के अधिकारों के लिए लड़ रहा हूँ, जिन्हें हमारे राज्य में आने के लिए अवैध रूप से खरीदा गया, लालच दिया गया या मजबूर किया गया। यह समय है कि इन दुल्हनों को पूरे सम्मान के साथ जीने दिया जाए; क्योंकि वे भी हम में से ही एक हैं।’ उनका कहना है – ‘हरियाणा बाहरी दुनिया के लिए सभी गलत कारणों के लिए जाना जाता है। लेकिन, अब समय आ गया है कि हम अपनी गलती को स्वीकार करें और पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों के राज्य से खरीदी गयी दुल्हनों को समान दर्जा दें।’
सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन, जो महिला सशक्तीकरण के संरक्षकों में एक प्रमुख नाम है; ने एक सर्वेक्षण किया है, जो जुलाई 2017 और सितंबर 2019 के बीच का है। यह उन दुल्हनों के लिए किया गया है, जो अन्य राज्यों से हरियाणा में तस्करी करके लायी जाती रही हैं। वास्तव में 125 स्वयंसेवकों की उनकी टीम ने कुल 1,30,000 दुल्हनों का पता लगाया है, जिनकी हरियाणा के पुरुषों से अवैध रूप से शादी हुई है। सर्वेक्षण के अनुसार, अकेले मेवात में 60 से अधिक मामलों की पहचान की गयी है, जहाँ तस्करी करने वाली •यादातर लड़कियाँ भारत के दक्षिणी राज्यों से हैं। जगलान के अनुसार, गुरुग्राम और रेवाड़ी हरियाणा में पहले स्थान थे, जहाँ लोगों ने अन्य राज्यों से दुल्हनें खरीदीं।
शुरुआत में दुल्हनें पश्चिम बंगाल से खरीदी गयी थीं; लेकिन अब हरियाणा के लोग बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड से लड़कियों को खरीदना शुरू कर चुके हैं। पिछले तीन साल से पंजाब से भी दुल्हनें खरीदने का चलन शुरू हुआ है। अन्य राज्यों से दुल्हन खरीदने का चलन अहीरवाल के क्षेत्र में शुरू हुआ। दक्षिणी हरियाणा के बाद बिकने वाली दुल्हनों का प्रतिशत रोहतक, जींद, सोनीपत, हिसार, कैथल, झज्जर, यमुना नगर और कुरुक्षेत्र में •यादा है। ऐसी दुल्हनें जाटों, यादवों और ब्राह्मणों के घरों में अधिक पायी जाती हैं। इसके अलावा अट्टा-सट्टा और तिगड़ी की रोड़ जाति अन्य राज्यों से खरीदी गयी दुल्हनों की एक महत्त्वपूर्ण आबादी है। मेवात •िाले में दुल्हनों की बढ़ती संख्या पायी गयी है, जो पिछले एक दशक में बेची गयी हैं।
पुरुष विवाह पंजीकरण के समर्थन में आगे आते हैं
अभियान के अलावा दिसंबर में हरियाणा में एक विवाह पंजीकरण शिविर का आयोजन किया जाएगा, जो जोड़ों को औपचारिक रूप से उनके विवाह को पंजीकृत करने की अनुमति देगा। शिविर उन मामलों की पहचान करने में मदद करेगा, जहाँ दुल्हन की तस्करी हो सकती है। विवाहितों का पंजीकरण, जिसमें दुल्हनें शामिल हैं; को समाज में एक समान स्थान देने के अलावा, अनुचित प्रथाओं के मामलों को रोकने के लिए, जहाँ कुछ दुल्हनों को तुच्छ मुद्दों पर उनके परिवारों द्वारा बेदखल कर दिया जाता है; अन्य राज्यों से आने वाली ऐसी महिलाओं के लिए यह शिविर बहुत फायदेमंद होगा।
अक्टूबर में ही गाँव के 22 पुरुष इस बात पर चर्चा करने के लिए बैठे थे कि कैसे शिविर तस्करी की शिकार महिलाओं पर नज़र रखने में उपयोगी साबित हो सकता है। जब इस पत्रकार ने पूछा कि क्या वे खुद अभियान में हिस्सा लेंगे, तो समूह ने उत्साह से हाथ खड़े करके कहा – ‘हाँ, हम करेंगे!’
खरकरी अब विवाह पंजीकरण शिविर की मेजबानी करेगा, जिसे बाद में अन्य •िालों के गाँवों में आयोजित किया जाएगा। राम सिंह, जिनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक है; का कहना है कि कुछ पुरुषों ने अवैध तरीकों से दुल्हनें खरीदकर समाज को शर्मसार किया है और उनका अपमान और उनपर अत्याचार कर रहे हैं। सिंह ने कहा- ‘यह बंद होना चाहिए। अगर हमारे पुरुष हरियाणा से बाहर शादी करना चाहते हैं, तो उन्हें रीति-रिवाज़ों और कानूनी औपचारिकताओं से गुज़रना चाहिए; लेकिन अवैध तरीकों से नहीं। शुरू में हमें नहीं पता था कि शादी को पंजीकृत करना कितना महत्त्वपूर्ण है; लेकिन अब जैसा कि मैं जानता हूँ; पहली बात मैं अपनी शादी को पंजीकृत करना चाहता हूँ। मैं सभी जोड़ों, युवा और बूढ़े, दोनों को अभियान शिविर में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ।’ खरकरी गाँव के ही रामहर शर्मा कहते हैं कि विवाह पंजीकरण जैसी पहल राज्य का नाम अच्छा करेगी। साथ ही अन्य राज्यों को भी इस पर चलने के लिए प्रोत्साहित करेगी। मैं निश्चित रूप से अपनी पत्नी के साथ शिविर में पंजीकरण करने के लिए आऊँगा। एक अन्य गाँव के चरण सिंह (40) ने पहल के लिए सराहना की। उन्होंने कहा कि यह कदम स्थानीय दुल्हनों के समान अधिकारों का आनंद लें और कलंक को मिटाने में मदद करें।
दुल्हन तस्करी गिरोह में नया मोड़
दुल्हन तस्करी के मामलों के नया मोड़ तब आया, जब यह खुलासा हुआ कि बेची गयी कुछ दुल्हनें डकैती के कार्य में शामिल पायी गयी हैं। लड़कियों के परिवारों के साथ तस्करों द्वारा चलाया जाने वाला यह एक जाल है, जिसमें वे कुँवारे लडक़े वाले परिवारों की तलाश करते हैं।
अब सभी तस्करी वाली दुल्हनों को ‘लुटेरी दुल्हन’ के रूप में चिह्नित किया जाता है। राज्य में बेचे जाने के बाद लगभग 1,470 दुल्हनें या तो घर लौट आयींं या घरों से कीमती सामान लूटने के बाद फरार हो गयीं; जिसमें वे मामले भी हैं, जिनमें उनके माता-पिता भी शामिल हैं। कम उम्र की लड़कियों ने मामले दर्ज किये हैं, जहाँ कानूनी हस्तक्षेप के बाद लडक़े के परिवार को उन्हें भुगतान करना पड़ा। ऐसी दुल्हनों का आँकड़ा सिर्फ 30 के आसपास पाया गया था।
असली कारण
उल्लेखनीय है कि हरियाणा में 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान सुनील जगलान ने ‘अविवाहित पुरुष संघ’ की स्थापना की थी, और उम्मीदवारों को शिक्षित करने के लिए ‘वोट दो, बहू लो’ अभियान की शुरुआत की थी। इसमें बताया गया था कि कैसे बिगड़ते लिंगानुपात के कारण अविवाहित युवाओं को अपनी ज़मीनों को बेचने के बाद दूसरे राज्यों से दुल्हन लाने के लिए मजबूर किया गया था। यह मुद्दा बहुत कम समय में ही राष्ट्रीय से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो गया।
हालाँकि आमतौर पर यह समझा जाता है कि अपराधियों की यौन माँगों के कारण तस्करी के मामले मौज़ूद हैं, जगलान का कहना है कि यह मुद्दा जितना लगता है, उससे कहीं अधिक जटिल है। वह बताते हैं कि हरियाणा में दुल्हन की तस्करी के प्रमुख रूप से दो महत्त्वपूर्ण कारक हैं। उनमें से एक सम्पत्ति के स्वामित्व से जुड़ा है। हरियाणा में परिवार आमतौर पर विवाहित पुत्रों के लिए सम्पत्तियों के स्वामित्व को स्थानांतरित करते हैं। इसका मतलब यह है कि जो भी अविवाहित है वह सम्पत्ति के अधिकारों का दावा नहीं कर सकता है। आमतौर पर जिन परिवारों में दो से अधिक बेटे होते हैं, माता-पिता तीसरे बेटे का विवाह करने से मना कर देते हैं, ताकि सम्पत्ति को आगे न बाँटें। ऐसी स्थिति में अविवाहित पुत्र दलालों के माध्यम से लड़कियों की तलाश करता है, ताकि पैतृक सम्पत्ति के अधिकार से वंचित न हो।
जगलान कहते हैं कि हरियाणा में परिवारों के बारे में यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि परिवार का नाम पुरुष उत्तराधिकारियों के माध्यम से बना रहे। इससे यह भी पता चलता है कि दो बेटियों को जन्म देने के बाद मीरा को क्यों बचाया गया। दुल्हन तस्करी में एक अन्य योगदान कारक यह है कि जिन परिवारों में बेटे शारीरिक या मानसिक रूप से फिट नहीं होते हैं, उनके परिवार दलालों को गरीब परिवारों की लड़कियों को लाने का काम सौंपते हैं, ताकि उन लड़कियों को बेटों से शादी के लिए मजबूर किया जा सके। इस बीच आगामी विवाह पंजीकरण शिविर की तैयारी ज़ोरों पर है, जिसके दिसंबर में शुरू होने की उम्मीद है।
जगलान, जो अपने गांव बीबीपुर में सेल्फी विद् डॉटर अभियान से प्रसिद्ध हुए; इसे सफल आयोजन बनाने के लिए 125 स्वयंसेवकों और गुडग़ाँव के डिप्टी कमिश्नर के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में जोड़े को पुरस्कार और प्रशंसा प्रमाण-पत्र दिये जाएँगे।