हरियाणा में बढ़ती नशाखोरी रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने नशा तस्करी पर लगाम कसने की तैयारी शुरू कर दी है। सरकारी सूत्रों की मानें, तो हरियाणा सरकार इसके लिए जल्द ही 65 स्निफर डॉग खरीदेगी। नशामुक्त राज्य बनाने के लिए सरकार इसके लिए पाँच करोड़ रुपये खर्च करेगी। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने इसकी जानकारी दी।
अनिल विज ने यह भी कहा कि हरियाणा में मादक (नशीले) पदार्थों की पैदावार नहीं होती, बल्कि बाहर से नशीले पदार्थों की तस्करी होती है। सवाल यह है कि अनिल विज ने नशीले पदार्थों की तस्करी का आरोप इशारों-ही-इशारों में किन राज्यों की तरफ किया? शायद, पंजाब और दिल्ली की तरफ। क्योंकि पंजाब में नशे की तस्करी होती है। वहीं दिल्ली और उत्तर प्रदेश भी इस मामले में पीछे नहीं है।
विज ने कहा कि दूसरे राज्यों से नशे की तस्करी को रोकने के लिए राज्य सरकार ने जल्द ही 65 स्निफर डॉग खरीदने का फैसला किया है, ताकि सीमाओं पर सघनता से जाँच की जा सके और मादक पदार्थों के तस्करों को पकड़ा जा सके। यहाँ बताना ज़रूरी है कि दूसरे राज्यों की तरह हरियाणा भी नशे की गिरफ्त से मुक्त नहीं है। यहाँ तक कि हरियाणा के अनेक खिलाडिय़ों पर भी नशा करने के आरोप लग चुके हैं। एक सर्वे में पाया गया है कि हरियाणा में हुक्के के चलन को युवाओं ने न केवल बढ़ावा दिया है, बल्कि उसका क्रेज भी उनमें लगातार बढ़ रहा है। इसके लिए हुक्काबार जाकर देखा जा सकता है। यही नहीं पिछले 15 साल में हरियाणा के बड़े शहरों, खासतौर से गुडग़ाँव में बार और क्लबों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है, जो नशे के मुख्य केंद्र बन चुके हैं। हरियाणा में नशाखोरी के चलते कई बार हत्या, लूट, चोरी और बलात्कार जैसी घटनाएँ भी सामने आयी हैं। फरीदाबाद के एक समाजसेवी ने नाम न छापने की शर्त बताया कि पूरे हरियाणा में मादक पदार्थों के तस्करों का जाल फैला है, जिनसे उलझने का मतलब है मौत को बुलावा देना। यह जाल युवाओं को अपनी जकड़ में लेता जा रहा है।
तस्करों के सॉफ्ट टारगेट हैं युवा
माना जा रहा है कि पंजाब के बाद अब हरियाणा में नशे का जाल बढ़ता जा रहा है। हरियाणा मादक पदार्थों के तस्करों के लिए सॉफ्ट टारगेट है। इसका कारण यह है कि हरियाणा में युवा आॢथक मज़बूती के चलते आसानी से नशे की लत में फँसने लगे हैं। एक रिपोर्ट में ऐसा कहा भी गया है कि हरियाणा के युवा मादक पदार्थों के तस्करों के सबसे सॉफ्ट टारगेट हैं। 2019 में उत्तर भारत के सबसे बड़े स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ में संचालित राज्य व्यसन निर्भरता उपचार केंद्र की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हरियाणा में नशे का ट्रेंड बदल रहा है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि राज्य के 18 से 25 साल की उम्र के अधिकतर युवा इंजेक्शन के ज़रिये नशा ले रहे हैं और महँगे नशे के शौकीन होने लगे हैं। यहाँ तक कि अनेक युवा हेरोइन को पानी में घोलकर इंजेक्शन के माध्यम से नशा लेते हैं, जो कि बहुत खतरनाक है।
खतरनाक रोगों की चपेट में नशा करने वाले लोग
राज्य व्यसन निर्भरता उपचार केंद्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि संकट की बात केवल नशा ही नहीं है, बल्कि यह भी है कि एक ही इंजेक्शन से अनेक लोग नशा ले लेते हैं, जिससे उनमें खतरनाक रोग, जैसे- एचआईवी, हेपेटाइटिस और दूसरे रोगों के फैलने का खतरा बढ़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बार-बार इंजेक्शन लेने से युवाओं की नसें बन्द हो रही हैं, जिससे उन्हें दर्द होता है और उससे बचने के लिए वे दोबारा नशा लेते हैं। यही नहीं युवा हर बार ओवरडोज लेते हैं, जो कि उनकी ज़िन्दगी को निगल रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नशे के आदी हो चुके युवा महँगे नशे की लत को पूरा करने के लिए अपराध की दुनिया में कदम रख रहे हैं। ऐसे युवा पहले घर से चोरी की शुरुआत करते हैं और बाद में गम्भीर अपराधों को अंजाम देने से भी नहीं चूकते। स्टेट ड्रग डिपेंडेंट सेल में हर रोज़ ऐसे मामले आ रहे हैं। महँगे नशे के शौकीन 70 फीसदी युवा इंजेक्शन ले रहे हैं। वे इंजेक्शन के ज़रिये हेरोइन और स्मैक लेने लगे हैं।
नशा मुक्ति केंद्रों में हर साल आते हैं सैकड़ों मामले
रिपोर्ट में कहा गया है कि नशा मुक्ति केंद्रों में नशा करने वाले 1712 मरीज़ सन 2018 में और 600 से अधिक मरीज़ 2019 के सितंबर तक आये थे। मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार, यहाँ के डॉक्टरों ने वर्ष 2018 व 2019 के सितंबर माह तक के आँकड़े इकट्ठे किये। यह आँकड़े बताते हैं कि राज्य के सैकड़ों युवा हेरोइन, स्मैक, कोकीन, स्मैक, अफीम, कैप्सूल, नशीली दवाएँ, इंजेक्शन, गाँजा, सुलपा, महँगी शराब और हुक्का भी पीते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि नशा करने वालों में 60 फीसदी युवा हेरोइन व स्मैक लेने के आदी मिले हैं, जबकि 30 फीसदी इंजेक्शन के ज़रिये महँगे नशे का सेवन करने वाले मिले हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले दो वर्षों में नशे के आदी अधिकतर युवाओं ने गाँजा, अफीम, तम्बाकू की जगह हेरोइन, कोकीन, स्मैक और इंजेक्शन का सेवन शुरू कर दिया है। जिन लोगों को नशे से छुटकारा पाने की इच्छा होती है या उनके परिजनों को उनकी लत के बारे में पता चलता है, उन्हें नशा मुक्ति केंद्रों में लाये जाने पर काउंसिलिंग और दवाओं के ज़रिये इस लत से छुटकारा दिलाया जाता है।
दिल्ली-पंजाब से सप्लाई होते हैं मादक पदार्थ
रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि इलाज के लिए आने वाले अधिकतर लोगों ने काउंसिलिंग के दौरान बताया है कि दिल्ली व पंजाब से सटे बॉर्डर के क्षेत्रों से उन्हें सीधे या तस्करों के ज़रिये हेरोइन, स्मैक व कोकीन जैसे नशीले पदार्थ मिलते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मादक पदार्थों की तस्करी का यह कारोबार गुडग़ाँव, फरीदाबाद, रोहतक, झज्जर, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, सोनीपत समेत अन्य कई ज़िलों में बेरोकटोक हो रहा है। इसके अलावा बस अण्डों, रेलवे स्टेशनों पर और होटलों, रेस्टोरेन्टों में तस्कर बेखौफ होकर हेरोइन, कोकीन, स्मैक व गाँजे की सप्लाई करते हैं। यहाँ तक कि तस्करों के जाल में छोटे कस्बों और गाँवों के युवा भी फँसते जा रहे हैं। काउंसिलिंग के दौरान 55 फीसदी युवाओं ने कहा है कि पहले-पहल तो उन्होंने शौक में या यारी-दोस्ती में नशा किया और बाद में नशे की लत लग गयी। जबकि, 30 फीसदी ने प्यार या करियर में फेल होने के बाद नशा लेना शुरू किया था। वहीं, 10 फीसदी ने बिना किसी कारण के नशा करना शुरू किया और 5 फीसदी को धोखे से या ज़बरन नशे का शिकार बनाया गया।
केवल हरियाणा नहीं, हर राज्य है नशे की गिरफ्त में
एक सर्वे के अनुसार, देश के अधिकतर युवा नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। इनमें सिगरेट, बीड़ी, शराब, तम्बाकू और गुटखा का सेवन करने वालों की संख्या सबसे ज़्यादा है। 2019 में किये गये एक सर्वे के अनुसार, प्रतिदिन देश के छ: हज़ार से अधिक युवा तम्बाकू उत्पादों का सेवन करते हैं, जिनकी संख्या में लगातार बढ़ रही है। सर्वे के आँकड़ों पर विश्वास करें, तो भारत में करीब 12 करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं, जिनमें से 25 फीसदी महिलाएँ हैं। पिछले साल वाशिंगटन यूनिवर्सिटी ने 185 देशों में सिगरेट पीने वालों पर सर्वे करके एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी दुनिया में अमेरिका के बाद भारत ही एक ऐसा देश है, जिसमें युुवतियाँ सबसे ज़्यादा सिगरेट पीती हैं।
हैरत की बात है कि भारत में सिगरेट पीने वाली युवतियों की संख्या 1 करोड़ 27 लाख से अधिक है। वहीं भारतीय युवा तेज़ी से शराब की गिरफ्त में आ रहे हैं। 40 देशों के शराब सेवन सम्बन्धी अध्ययन से पता चला है कि भारत में केवल 20 साल में शराब का सेवन करने वालों की संख्या में 60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अध्ययन रिपोर्ट यह भी कहती है कि भारत में 55 फीसदी पुरुष शराब पीते हैं और 45 फीसदी महिलाएँ शराब पीती हैं। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि नशा करने वाली महिलाओं की संख्या शहरों में ज़्यादा है।
बच्चे और छात्र भी आ रहे गिरफ्त में
रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि मादक पदार्थ के तस्करों की गिरफ्त से बच्चे और स्कूल, कॉलेज के छात्र भी नहीं बच पा रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि नशे का शिकार बनाने के लिए शुरू में तस्कर बच्चों और छात्रों को फ्री में मादक पदार्थ मुहैया कराते हैं, ताकि उन्हें इसकी आदत पड़ सके और वह खरीदकर नशा करने पर मजबूर हो जाएँ। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तस्कर नये युवाओं और बच्चों को दोस्ती करके अथवा किसी और तरीके से बहला-फुसलाकर उनके साथ खुद भी नशा करते हैं और बाद में उन पर दबाव बनाकर मादक पदार्थों का पैसा वसूलते हैं। चाइल्ड लाइन इंडिया फॉउन्डेशन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 18 वर्ष से कम उम्र के 65 फीसदी बच्चे नशे की गिरफ्त में हैं।
लड़कियाँ भी फँस रहीं जाल में
नशा मुक्ति केंद्र के डॉक्टरों की मानें, तो लड़कियाँ भी नशे की गिरफ्त में फँसती जा रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि लड़कियाँ अपने शौक पूरे करने के लिए ऐसे लड़कों के चंगुल में फँस जाती हैं, जो नशा करते हैं और बाद में उनके साथ नशा करने लगती हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लैमरस दुनिया और महँगे शौक लड़कियों को हुक्का बार, क्लब, डांस बार जैसी जगहों तक ले जाते हैं और फिर उनको नशे की गिरफ्त में ले लिया जाता है। इतना ही नहीं नशे की आदी हो जाने के बाद अधिकतर लड़कियों को जिस्मफरोशी के धन्धे में धकेल दिया जाता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ लड़कियाँ अपनी अमीरी के चलते शौिकया नशा करने लगती हैं और फिर उन्हें नशे की लत लग जाती है।