मुक्केबाजी के रिंक से निशानेबाजी की रेंज पर पहुंची 16 साल की मन्नू भाकेर ने वह कर दिखाया जिसकी कल्पना भी शायद किसी ने नहीं की होगी। इस युवा निशानेबाज ने मिश्रित टीम मुकाबले में दो स्वर्ण पदक जीत लिए। उसने यह कारनामा आईएसएसएफ विश्व कप मुकाबलों में कर दिखाया जो मैक्सिको में खेले गए।
ओमप्रकाश मित्रावल के साथ जोड़ी बना कर इस युवा निशानेबाज ने 10 मीटर एयर पिस्टल टीम खिताब जीत लिया इससे पूर्व वह 10 मीटर एयर पिस्टल के व्यक्तिगत मुकाबलों में स्वर्ण पदक जीत चुकी थी। सीनियर मुकाबलों मेें यह उसकी पहली प्रतियोगिता थी। हालांकि राष्ट्रीय रायफल एसोसिएशन आफ इंडिया (एनआरएआई) ने इसकी पुष्टि नहीं की है पर मन्नू शायद भारत के लिए निशानेबाजी में स्वर्णपदक जीतने वाली शायद सबसे कम उम्र की खिलाड़ी है।
भारत-2 के नाम से खेल रही दीपक और मेहली घोष की टीम ने 10 मीटर एयर रायफल मुकाबलों की पांच देशों की स्पर्धा में 435.1 अंक हासिल कर मिश्रित मुकाबलों में कांस्य पदक हासिल किया। इस स्पर्धा का रजत पदक रोमानिया के एलिन मोलडोवीनू और लाओरा जियोरगेटा कोमा को मिला। उन्होंने 498.4 अंक हासिल किए। इस स्पर्धा का स्वर्णपदक चीन के हुआ होंग और चेन केंडु ने 502.0 अंको का विश्व रिकार्ड बनाते हुए जीता।
पर प्रतियोगिता में धमाका तो हरियाणा के झज्जर की मन्नू भाकेर ने दो दिनों में दो स्वर्ण पदक जीत कर कर डाला। एक लड़की जिसने मात्र दो साल पहले निशानेबाजी को अपनाया, के लिए विश्व के शिखर पर पहुंचना करिश्मा नहीं तो क्या है। मन्नू भाकेर का निशानेबाजी में आना मात्र संयोग ही था। पदक जीतना और रिकार्ड बनाने के बारे में पूछे गए सवालों पर वह सादगी से कहती है, ‘बस यह हो जाता है। मैं तो इसके बारे में सोचती तक नहीं। कई बार तो मुझे पता भी नहीं होता कि मौजूदा रिकार्ड क्या है? अपने इस प्रदर्शन के लिए वह अपने प्रशिक्षकों की आभारी है जिन्होंने उसकी तकनीक सुधारने के लिए घंटों खर्च किए हैं।Ó
पिछले साल दिसंबर में उसने 61वीं राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में, जो केरल के तिरूवअनंतपुरम में हुई थी उसने अपने से कहीं अधिक अनुभवी और रिकार्डधारी हिना संधू के पछाड़ और उसका रिकार्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता था। इस टूर्नामेंट में उसने नौ स्वर्णपदकों सहित कुल 15 पदक जीते थे।
भाकेर की निशानेबाजी से पहली मुलाकात उस समय हुई जब उसके पिता उसे शूटिग रेंज पर ले गए और वहां उसे एक प्रयास करने को कहा। वहां उसने कुछ ‘शॉटÓ चलाए जो ‘टारगेटÓ के मध्य में लगे। इसके बाद तो इतिहास बन गया। आज वह यूनिवर्सल सीनियर सकेंडरी स्कूल गौरेया की छात्रा है। यह गांव हरियाणा के झज्जर जि़ले मेें पड़ता है। वह रोज़ अपने घर से 22 किलोमीटर दूर ट्रेनिंग सेंटर जाती है और हर दिन पांच घंटे अभ्यास करती है। निशानेबाजी में आने से पहले वह कई खेलों में नाम कमा चुकी है। उसने स्केटिंग के राज्य स्तरीय मुकाबलों में चैंपियनशिप जीती। उसने एथलेटिक्स में भी पदक जीते और कराटे और तांगला (मणिपुरी मार्शल आर्टस) में भी राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते। निशानेबाजी में आने के बाद वह तीनों वर्गों में राष्ट्रीय चैंपियन बनी।