हनुमान की जन्मस्थली पर विवाद

पुनीत नगरी को पर्यटन स्थल के रूप में देखना चाहते हैं लोग

राम भक्त हनुमान का जन्म कहाँ हुआ था? यह एक अहम सवाल है। कई राज्य हनुमान के जन्म स्थली का दावा कर रहे हैं। हाल में आंध्र प्रदेश ने भी हनुमान जी के जन्म का दावा किया है। इससे लगभग आधा दर्ज़न राज्यों का पहले से अपने यहाँ हनुमान जी के जन्म का दावा है। इनमें से एक झारखण्ड भी है। हालाँकि झारखण्ड के लोग जन्म के दावे के विवाद में नहीं पड़ना चाहते। वे चाहते हैं कि पूर्व की योजना की तरह ही हनुमान जन्म स्थली को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करके पर्यटन धर्म क्षेत्र बनाया जाए।

झारखण्ड के गुमला ज़िले से 18 किमी दूर आंजनी ग्राम स्थित पहाड़ी और मन्दिर में हनुमान जी के जन्म की मान्यता है। हालाँकि पुरातत्त्विक रूप से अभी तक हनुमान जी के जन्म का प्रमाण नहीं मिला है। लोगों की मान्यता और ऐतिहासिक महत्त्व को ही देखते हुए सरकार ने भी इस स्थल को पर्यटन के रूप में हनुमान जी के जन्मस्थली के रूप में विकसित करने की योजना बना रखी है। स्थानीय लोगों का मानना है कि भले ही देश के अन्य हिस्सों से हनुमान जी के जन्म का दावा किया जा रहा हो, लेकिन झारखण्ड के जन्म स्थली का जो ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व है, वह कम नहीं होगा। उन्हें उम्मीद है कि क्षेत्र का विकास अवश्य किया जाएगा।


आंध्र प्रदेश के दावे से फिर उठा मामला
हनुमान जी की असल जन्मभूमि को एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा शुरू हो गयी है। आंध्र प्रदेश ने दावा किया है कि जिस अंजनाद्री पहाड़ पर हनुमान जी ने जन्म लिया था, वह तिरुमाला के सात पहाड़ों में से एक है। प्रदेश दावे के समर्थन में पौराणिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक साक्ष्य होने की बात भी कह रहा है। उधर, कर्नाटक का दावा है कि रामायण में हम्पी में जिस अंजेयांद्री पहाड़ पर भगवान राम और लक्ष्मण के हनुमान जी से मिलने का ज़िक्र है, वही उनकी असल जन्मभूमि है। उस पहाड़ के शीर्ष पर एक हनुमान मन्दिर है, जहाँ पहाड़ों से काटकर बनायी गयी भगवान राम, माता सीता की प्रतिमाएँ भी हैं और पास में ही अंजना देवी का भी मन्दिर है। इसके अलावा गुजरात के नवसारी में स्थित अंजन के पहाड़, हरियाणा का कैथल इलाक़ा, महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में त्र्यंबकेश्वर मन्दिर से सात किलोमीटर दूर स्थित अंजनेरी आदि जगहों पर भी हनुमान जी के जन्म की बात आती है। इन सबके बीच लम्बे समय से झारखण्ड के गुमला ज़िले के आंजनी ग्राम में हनुमान जी के जन्म की बात राष्ट्रीय स्तर पर भी हुई है। लिहाज़ा झारखण्ड में भी इन दिनों इस मुद्दे पर चर्चा गर्म है।

स्थानीय लोगों की मान्यता
आंजन गाँव जंगल व पहाड़ों से घिरा है। लोगों की मान्यता है कि यहीं पहाड़ की चोटी स्थित गुफा में माता अंजनी के गर्भ से भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। जहाँ आज अंजनी माता की मूर्ति विद्यमान है। अंजनी माता जिस गुफा में रहा करती थीं। उसका प्रवेश द्वार एक विशाल चट्टान से बन्द था। जिसे कुछ साल पहले खुदाई करके खोला गया है। कहा जाता है कि गुफा की लम्बाई 1500 फीट से अधिक है। किसी का साहस नहीं होता है कि इस गुफा में अन्दर तक जाए। क्योंकि गुफा के रास्ते ख़ूँखार जानवर व विषैले जीव जन्तु घर बनाये हुए हैं। लोगों की यह भी मान्यता है कि आंजन पहाड़ पर रामायण युगीन ऋषि-मुनि जन-कोलाहल से दूर शान्ति की खोज में आये थे। यहाँ ऋषि-मुनियों ने सप्त जनाश्रम स्थापित किया था। यहाँ सात जनजातियाँ निवास करती थीं। इनमें शबर, वानर, निषाद, गृद्ध, नाग, किन्नर व राक्षस थे। आंजन में शिव की पूजा की परम्परा प्राचीन है। अंजनी माता प्रत्येक दिन एक तालाब में स्नान कर शिवलिंग की पूजा करती थीं। वे गुफा से निकलकर हर दिन एक शिवलिंग की पूजा करती थीं। अभी भी यहाँ उस ज़माने के 100 से अधिक शिवलिंग और दर्ज़नों तालाब उपलब्ध हैं।

सरकार के पोर्टल पर भी है जन्म स्थली का ज़िक्र
झारखण्ड सरकार के पर्यटन विभाग का पोर्टल हो या गुमला ज़िला का पोर्टल, दोनों पर आंजन धाम की चर्चा है। पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर राज्य के सभी पर्यटन स्थलों का ज़िक्र किया गया है। इसमें धार्मिक पर्यटन के नाम पर आंजन ग्राम को दिखाया गया है। इसके बारे में लिखा गया है कि यह हनुमान जी की जन्म स्थली है। इसी तरह गुमला ज़िले के पोर्टल पर पर्यटन स्थलों के रूप में यह चिह्नित है। इस पर लिखा है- ‘आंजन क़रीब गुमला से 18 किलोमीटर दूर पर एक छोटा गाँव है। गाँव का नाम हनुमान जी की माँ देवी अंजनी के नाम से लिया गया है। गाँव से चार किलोमीटर की दूरी पर एक पहाड़ी पर गुफा है, जहाँ माँ अंजनी रहती थीं। इस जगह से प्राप्त पुरातात्त्विक महत्त्व के कई वस्तुएँ हैं, जो पटना संग्रहालय में रखी गयी थीं। अंजनी गुफा के नज़दीक उसकी गोद में हनुमान के साथ माँ अंजनी की एक मूर्ति है। इसी स्थान को हनुमान जी की जन्म स्थली कहा जाता है।’


पर्यटन स्थल क्यों?
झारखण्ड के दावे को अभी तक पुरातात्त्विक दृष्टिकोण से साबित नहीं किया जा सकता है। क्योंकि इस दिशा में अभी तक बहुत अधिक काम ही नहीं हुए हैं। अभी तक जो प्रमाण मिले हैं, वह जन्म स्थली को साबित करने के लिए नाकाफ़ी हैं। उधर, झारखण्ड समेत आंजन ग्राम के निवासियों की मान्यता, प्राचीन कथाएँ, लोक गाथाएँ, किवदंतियाँ आदि काफ़ी मज़बूत हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि हनुमान जी का जन्म कहाँ हुआ? वे इस विवाद में पडऩा नहीं चाहते। देश के किसी भी हिस्से से हनुमान जी के जन्म का दावा किया जा रहा हो, इससे भी कोई फ़$र्क नहीं पड़ता। हमारी मान्यता और भावना को नहीं बदला जा सकता है। इससे क्षेत्र का महत्त्व कम नहीं होगा। लोग चाहते हैं कि इस क्षेत्र के विकास के लिए सरकार ने जो योजनाएँ बनायी हैं, उन्हें अमलीजामा पहनाया जाए। यह एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो।

कोरोना संकट के बाद तेज़ होगा काम
झारखण्ड को देश में खनिज सम्पदा के रूप में जाना जाता है। लेकिन यहाँ पर्यटन स्थल भी कम नहीं हैं। वर्तमान की हेमंत सरकार राज्य को देश के मुख्य पर्यटक स्थलों के मानचित्र पर लाना चाहती हैं। पूर्व की रघुवर सरकार भी यही चाहती थी। पिछले कई साल से राज्य के पर्यटन स्थलों का सर्किट बनाने का प्रयास चल रहा है। इसमें डैम, फॉल व जंगल, एडवेंचर, ईको, पुरातत्त्विक, आध्यात्मिक, धार्मिक आदि पर्यटन स्थल को तैयार करने की योजना है। पर्यटन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक साल से कोरोना संक्रमण के कारण पर्यटन स्थलों का विकास कार्य धीमा है; लेकिन भविष्य में योजनाओं पर काम में तेज़ी आने की उम्मीद है। जब विकास कार्य शुरू होंगे, तो आंजनधाम भी विकसित होगा।

आंजनधाम के बारे में किवदंतियाँ बहुत हैं। पुरातात्त्विक दृष्टिकोण से अभी तक जो चीज़े वहाँ मिली हैं, वो भगवान हनुमान के जन्म को साबित करने के लिए काफ़ी नहीं हैं। अभी तक इस तरह का पुरातात्त्विक साक्ष्य नहीं हैं। हालाँकि किवदंतियों, लोककथाओं और लोक गीत आदि के ज़रिये इस जगह का बहुत ही मज़बूत पक्ष है। पुरातत्त्व के एक पक्ष में इन बातों को भी ध्यान में रखा जाता है। इस लिहाज़ से आंजनधाम का महत्त्व तो है ही। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना को तो आगे बढ़ाया ही जा सकता है।’’
-नरेंद्र शर्मा, पुरातत्त्ववेत्ता

 

देश में कई जगहों से हनुमान जी के जन्म का दावा है। सबका आधार अलग-अलग है। झारखण्डवासी जन्म स्थली के विवाद में नहीं पडऩा चाहते हैं। आंजन धाम आस्था और धर्म से जुड़ा है। गुमला समेत झारखण्ड की जनता मानती है कि यह क्षेत्र हनुमान जी की जन्म स्थली है। क्षेत्र का धार्मिक महत्त्व है और भारी संख्या में लोग इस आस्था में यहाँ आते हैं। इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास राज्य की पिछली सरकार ने भी किया था और मौज़ूदा सरकार की भी यही योजना है। यहाँ विकास के काम हुए भी हैं। अब इसमें रुकावट नहीं आएगी। कोरोना संकट के बाद विकास तेज़ी से करवाने का प्रयास होगा।’’
-सुदर्शन भगत, सांसद, गुमला