व्यक्तिगत समस्याएँ या सीमा पर काम करने की स्थिति से पैदा हो रहा तनाव!
अपनी तरह के पहले क़दम में देश के सबसे बड़े सीमा-रक्षा बल बीएसएफ ने अपने जवानों के बीच आत्महत्या और अवसाद पर अंकुश लगाने के लिए दो महत्त्वाकांक्षी परियोजना शुरू की और लगभग 2.65 लाख कर्मियों के शक्तिशाली बल का अपनी वार्षिक चिकित्सा परीक्षण (डब्ल्यूक्यूए) शुरू किया। बीएसएफ के ज़िम्मे पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ दो सबसे महत्त्वपूर्ण भारतीय सीमाओं को सुरक्षित करना है। हालाँकि पिछले हफ़्ते अमृतसर में एक सहयोगी द्वारा बीएसएफ के पाँच जवानों की हत्या और एक दिन बाद पश्चिम बंगाल में एक जवान ने अपने सहयोगी की गोली मारकर हत्या कर दी और बाद में ख़ुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह दर्शाता है कि या तो जवान बहुत तनाव में हैं या उन्हें मानसिक रूप से गहन परामर्श की ज़रूरत है।
पिछले हफ़्ते पंजाब के अमृतसर में पाकिस्तान सीमा के पास एक बटालियन मुख्यालय में बीएसएफ के पाँच जवानों की जान चली गयी। यह तब हुआ जब उनमें से एक ने कथित तौर पर अपने सर्विस हथियार से अपने सहयोगियों पर गोली चला दी और ख़ुद को भी गोली मारकर ख़त्म कर लिया। बीएसएफ ने खासा में 144 बटालियन मुख्यालय में हुई घटना को भाई-भतीजावाद का मामला बताया और न्यायिक जाँच (कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी) के आदेश दिये, जबकि स्थानीय पुलिस ने इसे लेकर मामला दर्ज किया है। बीएसएफ के आईजी (पंजाब) आसिफ़ जलाल ने कहा कि घटना की जाँच की जा रही है। हमने घटना के बाद पुलिस को बुलाया, जो इसकी जाँच करेगी।
इस घटना के एक दिन बाद सीमा सुरक्षा बल के एक जवान ने मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) में एक सीमा चौकी (बीओपी) पर सर्विस राइफल से ख़ुद को मारने से पहले अपने सहयोगी की गोली मारकर हत्या कर दी। बल में इन घटनाओं से कर्मियों में बड़े स्तर पर तनाव का संकेत मिलता है कि इससे निश्चित ही निपटना जरूरी है। यह घटना कोलकाता से क़रीब 230 किलोमीटर दूर भारत-बांग्लादेश मोर्चे पर काकमारीचर बीएसएफ कैंप में हुई। बीएसएफ के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में क़रीब 6:30 बजे 117वीं बटालियन के हेड कांस्टेबल जॉनसन टोप्पो ने हेड कांस्टेबल एच.जी. शेखरन को गोली मार दी और बाद में काकमारीचर सीमा चौकी पर अपनी सर्विस राइफल से ख़ुद को गोली मार ली।
बीएसएफ ने दोनों घटनाओं की जाँच के आदेश दिये हैं। लेकिन व्यावसायिक तनाव, काम करने के विपरीत माहौल की स्थिति, अपर्याप्त अवकाश और सामाजिक जीवन के लिए कम वक़्त के कारण तनाव, आत्महत्या और नौकरी छोडऩे का मुद्दा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ), बीएसएफ, रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) पिछले कुछ समय से इनके नेतृत्व को परेशान कर रहा है। याद रहे सीएपीएफ में जवानों की कुल संख्या एक लाख के क़रीब हैं। तथ्य यह है कि बल के जवानों को भारत-पाक और भारत-बांग्लादेश सीमाओं के साथ दुर्गम और कठोर जलवायु क्षेत्रों में लम्बे समय तक तैनात किया जाता है, जहाँ वे अपने परिवारों से महीनों दूर रहते हैं; क्योंकि उन्हें साथ नहीं रखा जा सकता।
गृह मंत्रालय के आँकड़े
दिसंबर, 2021 में संसद में गृह मंत्रालय द्वारा साझा किये गये आँकड़ों में कहा गया है कि सीएपीएफ में तीन साल (2019 से 2021 तक) में साथियों की हत्या की 25 घटनाएँ दर्ज की गयीं। इनमें से नौ बीएसएफ में रिपोर्ट किये गये थे, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ भारत की सीमाओं की रक्षा करते हैं। सबसे अधिक 12 घटनाएँ सीआरपीएफ में हुईं, जो संख्या के हिसाब से सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है, जिसमें लगभग 3.25 लाख जवान हैं। सन् 2015 से 2020 के बीच हत्या के अलावा 680 सीएपीएफ कर्मियों ने आत्महत्या की। सीआरपीएफ, जिसकी क़ानून और व्यवस्था और उग्रवाद विरोधी कर्तव्यों में विविध भूमिका है; के बारे में बात करते हुए राज्यसभा की एक विभाग से सम्बन्धित संसदीय समिति ने दिसंबर, 2019 में कहा कि बल में उच्च स्तर का तनाव उच्च दबाव वाले क्षेत्रों में निरंतर तैनाती के कारण था। संघर्ष वाले इस क्षेत्र में वे दयनीय स्थितियों में रहने के लिए मजबूर हैं।
समिति ने कहा कि यह स्थिति देश के सबसे बड़े बल सीएपीएफ में जवानों को मानसिक और भावनात्मक तनाव से पीडि़त होने के लिए मजबूर कर रही है। सीआईएसएफ का उदाहरण देते हुए संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि विमानन और मेट्रो सुरक्षा बल में एक कांस्टेबल को 5 साल की पात्रता अवधि के विपरीत 22 साल में हेड-कांस्टेबल के पद पर पदोन्नत किया जाता है, जो मनोबल गिराने का एक बहुत बड़ा कारक है। क्या यह पदोन्नति के अवसरों में कमी या सीमा चौकियों पर काम करने की स्थिति या परिवार से मिलने के लिए अपर्याप्त अवकाश होने के कारण है; यह एक बड़ा सवाल है।
संसदीय पैनल की रिपोर्ट
दिसंबर, 2021 में संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों के रैंक (पीबीओआर) से नीचे की बटालियनों में रक्षा बलों के कर्मी 30 दिनों के आकस्मिक अवकाश के हक़दार हैं। और सभी बलों अर्थात् बीएसएफ, एसएसबी, सीआरपीएफ व आईटीबीपपी के सभी रैंक की बटालियनों के कर्मी इसके हक़दार हैं। वे लगभग 15 दिन समान परिचालन चुनौतियों, कठिनाइयों का सामना करते हैं और समान तनाव स्तर रखते हैं। हालाँकि बीएसएफ के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह ने कहा- ‘बल में छुट्टी की कोई समस्या नहीं है। वास्तव में जब भी मैं बीएसएफ इकाई का दौरा करता हूँ, तो यह पहला सवाल होता है, जो मैं जवानों से पूछता हूँ। लेकिन किसी ने शिकायत नहीं की है। मैंने उन इकाइयों में मित्र प्रणाली का पालन करने पर ज़ोर दिया है, जहाँ जवान एक-दूसरे के साथ अपनी समस्याएँ साझा कर सकते हैं, ताकि इसे समय पर हल किया जा सके। हाँ, व्यावसायिक तनाव है। लेकिन यह व्यक्तिगत समस्याओं और काम के दबाव दोनों से बनता है।’
एक अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए बताया कि गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पिछले साल घोषणा की थी कि वह सीएपीएफ कर्मियों को उनके परिवारों के साथ प्रति वर्ष 100 दिन रहने की सुविधा प्रदान करेगा; लेकिन इसके बारे में कुछ भी नहीं किया गया है। बीएसएफ ने कर्मियों के स्वास्थ्य के लिए एक मूल्यांकन परीक्षण शुरू किया गया है। यह एक बहु-बिन्दु प्रश्नावली है, जिसे जवानों और अधिकारियों के वार्षिक चिकित्सा परीक्षण से जोड़ा गया है। इस प्रश्नावली में कर्मियों को विभिन्न जीवन स्थितियों, चुनौतियों और शर्तों से सम्बन्धित प्रश्नों का उत्तर देना होता है। इन सवालों को विशेषज्ञ मानसिक परामर्शदाताओं और डॉक्टरों द्वारा तैयार किया गया है। परीक्षण का उद्देश्य उन सैनिकों की पहचान करना है, जिन्हें सहायता या परामर्श की आवश्यकता है। इस सन्दर्भ में बीएसएफ में शुरू किये गये दूसरे पायलट प्रोजेक्ट को मेंटर-मेंटी सिस्टम कहा जाता है। कुछ मामलों में योग ने पुराने शारीरिक प्रशिक्षण का स्थान ले लिया है।
पिछली घटनाएँ
उच्च तनाव वाले सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने सैनिकों की सेवा के साथ, बीएसएफ ने पहले भी इसी तरह की घटनाएँ देखी हैं। याद रहे 23 सितंबर, 2021 को, दक्षिण त्रिपुरा के गोमती ज़िले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर एक स्थान पर एक विवाद के बीच गोलीबारी में बीएसएफ के दो जवानों की मौत हो गयी थी और एक अन्य घायल हो गया था। अप्रैल, 2019 में उत्तरी त्रिपुरा के पानी सागर में एक बीएसएफ कांस्टेबल ने अपनी जान लेने से पहले दो सहयोगियों को गोली मार दी और घायल कर दिया।
मई, 2018 में बीएसएफ के एक जवान ने ख़ुद को गोली मारने से पहले उत्तरी त्रिपुरा के उनाकोटी ज़िले में अपने तीन सहयोगियों की हत्या कर दी थी। उस महीने के अन्त में बीएसएफ ने अपने सभी सुरक्षा कर्मियों के लिए एक वार्षिक मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण करना अनिवार्य कर दिया। इसके अलावा शारीरिक परीक्षण किये गये थे। बल ने सैनिकों के लिए मनोरंजक समय आवंटित करने और समय-समय पर बैठकें और परामर्श सत्र शुरू करने का भी निर्णय किया।