भारतीय चिकित्सा पद्धति दुनिया की सबसे मज़बूत और पुरातन चिकित्सा पद्धति मानी जाती है। कहा जाता है कि यहाँ के खानपान में ही चिकित्सा का ध्यान ऋषि, मुनियों के दौर से रखा गया है। लेकिन आजकल के बिगडऩे खानपान के चलते ही अब सबसे ज़्यादा बीमारियाँ भी भारतीयों को ही हो रही हैं। हमारे आम समाज के लोगों को फास्ट फूड और तली-भुनी चीज़ों का इतना आदि बना दिया है कि लोगों में कुछ बीमारियाँ तो हमेशा के लिए घर कर चुकी हैं। इन बीमारियों में तनाव, चिड़चिड़ापन, सुगर, बीपी, कमज़ोरी, मोटापा, पेट के रोग शामिल हैं। इन बीमारियों को सबसे ज़्यादा बढ़ाने में चाइनीज फास्ट फूड का योगदान है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फास्ट फूड की सबसे ज़्यादा खपत वाले टॉप 10 देशों की सूची में भारत शामिल है। भारत में क़रीब 38 फ़ीसदी लोग नाश्ते में चाइनीज फास्ट फूड का इस्तेमाल करते हैं। इसमें नूडल्स का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। हमारे देश में हेल्दी डाइट के बहुतायत में चलन के बावजूद भी कोरोना-काल के बाद मैगी की बिक्री में 25 फ़ीसदी की बिक्री इसका सुबूत है कि यहाँ लोग मैगी को तब भी नहीं छोडऩा चाहते, जब डॉक्टर भी कई बार इससे होने वाले नुक़सानों के बारे में आगाह कर चुके हैं। लोग तो यह भी भूल गये कि साल 2015 में ख़ुद भारत सरकार ने मैगी में शीशे की मात्रा अधिक होने के चलते इस पर बैन लगा दिया था। बाद में मैगी में सुधार होने के बाद इसे फिर से बिकने दिया गया। लेकिन फिर भी मैगी में मैदा और शीशे की मात्रा होने से साफ़ ज़ाहिर है कि लगातार इसे खाना स्वास्थ्य से खिलवाड़ ही करना है।
मिंटेल ग्लोबल न्यू प्रोडक्ट्स डेटाबेस (जीएनपीडी) के अनुसार, 2018 में भारत में लॉन्च हुए 42 फ़ीसदी इंस्टेंट नूडल मसाला फ्लेवर वाले थे। इसके बाद से कई नये फ्लेवर वाले नूडल्स मार्केट में उतर चुके हैं और यह लोगों के भोजन का कब हिस्सा बन गये, किसी को ध्यान ही नहीं है।
सन् 2020 में चीन के नॉर्थ-ईस्ट रीज़न के हिले जियांग प्रांत में घर में बने नूडल सूप को पीने से एक ही परिवार के नौ लोगों की मौत के बावजूद नूडल्स से भारतीयों का प्यार लगातार बढ़ता जा रहा है। ख़ासकर बच्चे नूडल्स के दीवाने होते जा रहे हैं और घर में बड़े उन्हें इसका शिकार बना रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह घर की महिलाएँ हैं, जो बनाने के आलस से भारतीय व्यंजनों से नाक-भौं सिकोडऩे लगी हैं। एक अमेरिकी शोध के अनुसार भारत में जो महिलाएँ हर दूसरे-तीसरे नूडल्स खाती हैं, उनमें दिल के रोग, पेट के रोग, माइग्रेन, चिड़चिड़ेपन, मोटापा, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल बढऩे से मेटाबॉलिक सिंड्रोम के लक्षणों मिले हैं। वहीं हफ़्ते में दो बार नूडल्स खाने वाली महिलाओं में भी हार्ट रिस्क बढ़ा है। इतना ही नहीं, इससे कैंसर जैसी बीमारी में भी बढ़ोतरी हुई है। वहीं बच्चों का बौद्धिक और शारीरिक विकास भी रुका है, उनमें मिसकैरेज का रिस्क बढऩे के साथ-साथ उनमें हृदय और पेट सम्बन्धी रोग बढ़े हैं।
यह खानपान का ही असर है कि लोगों का स्टैमिना कमज़ोर हो रहा है और उनका इम्युनिटी सिस्टम भी लगातार कमज़ोर होता जा रहा है। इसी का नतीजा था कि साल 2020 में दस्तक देने वाली नयी महामारी कोरोना वायरस ने 2020 के बाद 2021 में भी तांडव मचाया, जिससे लाशों के ढेर लग गये। इस कोरोना ने अभी तक किसी भी देश का पीछा पूरी तरह नहीं छोड़ा है। इसके नये-नये वैरिएंट आते जा रहे हैं। भारत में कोरोना के मामले फिर से बढऩे की रिपोट्र्स हर रोज़ आ रही हैं। मेडिकल रिपोट्र्स के मुताबिक, जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजे गये 90 सैंपल्स की जाँच के दौरान कोरोना के इस नये रूप की पहचान की गयी है। अब तक कोरोना के सब-वैरिएंट के रूप में आठ से ज़्यादा वैरिएंट आ चुके हैं। इसी तरह इस साल मंकी पॉक्स की डरावनी जानकारियों ने सभी को सहमाया हुआ है। इस वक़्त कई देशों में मंकीपॉक्स वायरस काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है, जिनमें भारत भी है। हालाँकि भारत में इसकी रफ़्तार काफ़ी धीमी है। लेकिन इसकी रफ़्तार कम होगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
इतना ही नहीं भारत में खानपान बिगडऩे से लोगों की औसत आयु और औसत लम्बाई के घटने की भी रिपोट्र्स सामने आ चुकी हैं। पहले कहा जाता था कि एक व्यक्ति की औसत आयु 100 साल होती थी। आज भी ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपने बड़े-बुज़ुर्गों की उम्र 100 साल या उससे ज़्यादा होते देखी होगी। लेकिन अब यह आयु औसतन 65 साल मानी जाती है। अब अगर कोई व्यक्ति 100 साल हो जाए, तो लोगों को आश्चर्य होता है। वहीं औसत लम्बाई भी भारत में पिछले दो दशक से हैरतअंगेज़ तरीक़े से घटी है।
दरअसल ओपन एक्सेस साइंस जर्नल पलॉस वन की सन् 2021 की स्टडी में पता चला है कि भारतीयों की औसत लम्बाई घट रही है। प्लॉस वन ने साल 1998-99, साल 2005-06 और साल 2015-16 में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में वयस्क महिलाओं और पुरुषों की औसत ऊँचाई की तुलना की गयी। इस अध्ययन में पाया कि 2005-06 और 2015-16 में सबसे ग़रीब तबक़े के लोगों की औसत लम्बाई सबसे ज़्यादा घटी है। वहीं इस दौरान 15 से 25 वर्ष की उम्र की महिलाओं में भी ज़्यादा ग़रीब महिलाओं की औसत लम्बाई 150.37 सेंटीमीटर से घटकर 149.74 सेंटीमीटर हो गयी थी। लेकिन मध्यम वर्ग की महिलाओं की लम्बाई 0.17 सेमी और अमीर महिलाओं की औसत लम्बाई 0.23 सेमी बढ़ी भी है। लेकिन अगर औसत देखें, तो भारतीयों की लम्बाई लगातार घट रही है।
जनरल फिजिशियन डॉक्टर मनीष कहते हैं कि व्यक्ति के खानपान पर उसका स्वास्थ्य तो निर्भर करता ही है, साथ ही उसका शारीरिक और मानसिक विकास भी निर्भर करता है। किसी व्यक्ति का खानपान जितना शुद्ध होगा, वह उतना ही ज़्यादा स्वस्थ। लेकिन साथ ही डॉक्टर मनीष यह भी कहते हैं कि लेकिन आजकल स्वास्थ्य का मामला केवल खानपान से ही नहीं जुड़ा है, बल्कि खानपान में हो रही मिलावट, जलवायु प्रदूषण और भागदौड़ भरी ज़िन्दगी से जुड़ा है। फिर भी अगर लोग अपना खानपान ठीक कर लें, तो वे काफ़ी हद तक स्वस्थ रह सकते हैं। सभी लोगों को ध्यान यह रखना चाहिए कि शरीर भी एक प्राकृतिक मशीन है, जिसमें जितना कचरा और केमिकल जाएगा, यह मशीन उतनी ही बिगड़ती जाएगी।
वहीं बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर धवल का कहना है कि बच्चों में जितनी बीमारियाँ आजकल देखने को मिल रही हैं, उतनी बीमारियाँ पहले देखने को नहीं मिलती थीं। इसकी वजह हमारी माताओं का उलटा-सीधा खानपान और बच्चों का शुरू से ही फास्ट फूड की ओर मोह पैदा होना है। इसलिए यह ज़िम्मेदारी तो माता-पिता की है कि वे अपने को भी स्वस्थ रखने के लिए घर का बना साफ़, शुद्ध खाना खाएँ और अपने बच्चों को भी बाज़ारू चीज़ें खाने से बचाएँ; ख़ासतौर पर पैक्ड प्रोडक्ट्स और नूडल्स आदि से बच्चों को कोसों दूर रखने की कोशिश करें। अगर बच्चा कुछ ऐसा खाने को मागता है, तो उसे घर में बनाकर भारतीय व्यंजन ही खिलाएँ, ताकि उसका स्वास्थ्य सही रह सके।
महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर परेस कहते हैं कि महिलाओं पर पूरे घर के स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी होती है। यदि वे चाहें तो वे पूरे घर की सेहत सुधार सकती हैं और यदि वे चाहें तो पूरे घर को बीमार कर सकती हैं। लेकिन आजकल देखा जाता है कि महिलाएँ ख़ुद भी फास्ट फूड, ख़ासतौर पर चाइनीज फास्ट फूड ख़ुद भी चाव से खाती हैं और अपने बच्चों को भी खिलाती हैं। ऐसे में उन्हें रोगों से कौन बचा सकता है?