स्वामी?

प्रतिष्ठा की डोर बहुत नाजुक होती है और स्वामी अग्निवेश की यह डोर फिलहाल महत्तम तनाव में है. यूट्यूब, ब्लॉग और फेसबुक पर उनका एक वीडियो आजकल मीडिया और गॉसिप प्रेमियों के बीच चर्चा का विषय है. न्यूज रूम  एक मिनट 20 सेकंड के इस वीडियो की हलचल से लबरेज हैं. वीडियो में अग्निवेश किसी कपिल जी से बात कर रहे हैं और कहा जा रहा है कि फोन के दूसरी तरफ मौजूद कपिल असल में कपिल सिब्बल हैं. बातचीत से यह साफ है कि वे अन्ना के अनशन का विरोध कर रहे हैं और सरकार को नरम नहीं पड़ने की सलाह दे रहे हैं, साथ ही वे सरकार के नरम रवैये से शर्मसार भी महसूस करते हैं. इतना ही नहीं, अग्निवेश आंदोलनकारियों को पागल हाथी कहते हैं और ‘कपिल मुनि’ को सलाह देते हैं कि इन्हें जितनी छूट दी जाएगी वे उतना ही सिर पर चढ़ते जाएंगे. ये सारी बातें वे तहलका से बातचीत में स्वीकार भी करते हैं, लेकिन खुद को ईमानदार भी बताते हैं. मगर तहलका की एक छोटी-सी तहकीकात कुछ और ही बताती है.

अग्निवेश टीम अन्ना के कोर ग्रुप के सदस्य हुआ करते थे. हालांकि मीडिया में यह वीडियो आने से कुछ दिन पहले ही टीम अन्ना के साथ उनकी अनबन की खबरें सतह पर आ गई थीं और उन्होंने रामलीला मैदान जाना भी बंद कर दिया था. 26 अगस्त को अचानक ही उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए टीम अन्ना के आंदोलन की आलोचना करना शुरू कर दिया. उन्होंने अन्ना और उनके सहयोगियों के बर्ताव पर उंगली उठाई. अपने फेसबुक के पन्ने पर उन्होंने लिखा कि जब पूरी संसद ने उनसे अनशन तोड़ने की अपील की है और प्रधानमंत्री की भी यही मंशा है तब उनके अनशन का कोई औचित्य नहीं रह जाता. विवादप्रिय मीडिया को जैसे ही टीम के बीच दरार की खबर लगी, माइकधारी पत्रकारों का हुजूम स्वामी जी के घर की तरफ दौड़ पड़ा. स्वामी जी की इस नाराजगी में ही कुछ पत्रकारों ने उनके सरकारी सांठ-गांठ के तंतु सूंघ लिए थे.

जिन परिस्थितियों में यह बहुचर्चित वीडियो तैयार हुआ वह काफी दिलचस्प है. तहलका ने वीडियो तैयार करने वाले पत्रकारों और इसे ब्लॉग और यूट्यूब पर डालने वालों से बातचीत करके उन स्थितियों को साफ करने का प्रयास किया है जिनमें यह बातचीत हो रही है और जिनसे बातचीत हो रही है.

26 अगस्त को स्वामी अग्निवेश द्वारा सार्वजनिक रूप से अन्ना और उनके सहयोगियों के खिलाफ नाराजगी जताने के बाद उनके आवास पर दो खबरिया चैनलों के पत्रकार पहुंचे. एक महिला रिपोर्टर थीं और दूसरे पुरुष. दोनों के ही कैमरामैन स्वामी जी को कुछ भिन्न-भिन्न मुद्राओं में अपने कैमरों में कैद कर रहे थे. स्वामी जी रिपोर्टरों से बातचीत कर रहे थे. इसी दौरान उनके सहयोगी, जो इस वीडियो में भी दिखाई पड़ते हैं, उनका फोन लेकर आते हैं और वहां मौजूद एक पत्रकार के मुताबिक कहते हैं, ‘स्वामी जी कपिल जी का फोन है.’ यह सुनकर स्वामी अग्निवेश उठ खड़े हुए. रिपोर्टर वहीं रुके रहे और दोनों के कैमरामैनों ने अपने कैमरे चालू रखे. वहां मौजूद वे रिपोर्टर तहलका को बताते हैं, ‘जैसे ही मैंने सुना कि कपिल जी का फोन है मुझे लग गया कि स्वामी जी की सरकार के साथ कुछ पक रही है.’ रिपोर्टरों के मुताबिक उस समय उन्हें यह स्पष्ट हो गया था कि यह कपिल जी केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री कपिल सिब्बल ही हैं. उन लोगों ने सारी बातचीत रिकॉर्ड कर ली. इसके बाद दोनों रिपोर्टर वापस अपने दफ्तर पहुंचे. दिलचस्प बात है कि दोनों के ही न्यूज चैनलों ने यह वीडियो नहीं चलाया. एक रिपोर्टर कहते हैं, ‘मेरे चैनल ने इसे चलाने से इनकार कर दिया तो बात आई-गई हो गई. बाद में मुझे पता चला कि यह वीडियो इंडिया टीवी और एक वेबसाइट पर चल रहा है. मुझे लगा कि मेरे साथी रिपोर्टर या कैमरामैन ने इसे वेबसाइट वालों को दे दिया होगा.’ इसके बाद यह यूट्यूब के जरिए लाखों लोगों तक पहुंच चुका है.

सीधे सवालों के घुमावदार जवाब देकर स्वामी अग्निवेश अपने इर्द-गिर्द संदेह का दायरा चौड़ा करते जा रहे हैं और अपनी प्रतिष्ठा भी धूमिल कर रहे हैंस्वामी अग्निवेश अपने बचाव में दो बातें कहते हैं. उनके दोनों ही तर्क काफी हद तक उस शैली के हैं जिन्हें राजनेताओं की शैली माना जाता है. 1) यह मेरे खिलाफ साजिश है. वीडियो कट, पेस्ट और स्लाइस्ड है. 2) मेरे साथियों ने मेरे साथ धोखा किया है. उन्होंने पहले से ही यह वीडियो तैयार कर रखा था और अन्ना का अनशन खत्म होने के ठीक बाद इसे बांट दिया (उनका इशारा किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल की तरफ था). हालांकि वीडियो से जुड़ा टीवी रिपोर्टर उनके इस दावे की पोल खोलता है. अपने बचाव में अग्निवेश यह भी कहते हैं कि उन्होंने किसी कपिल मुनि जी से बात की थी. वीडियो की बातचीत का बारीकी से मुआयना करने पर अग्निवेश का यह तर्क संदिग्ध साबित होता है. बातचीत की शुरुआत में ही वे कहते हैं, ‘जय हो कपिल जी. जय हो महाराज. ‘दोनों ही वाक्य बिल्कुल अलग हंै और कहीं भी उनके बीच जुड़ाव नहीं है. एक बात और ध्यान देने लायक है कि महाराज एक प्रकार से उनका तकिया कलाम है. मसलन उन्होंने हमसे भी फोन पर बातचीत के दौरान सबसे पहले यही कहा, ‘क्या हाल है, चौरसियाजी महाराज.’  इस वीडियो को अपनी वेबसाइट पर डालने वाले समरेंद्र सिंह एक और तथ्य की ओर इशारा करते हैं,  ‘अगर किसी कपिलमुनि महाराज का फोन होता तो वे उनसे सबसे पहले कुशलक्षेम आदि पूछते. पर उन्होंने सीधे अन्ना के मुद्दे पर ही बात करनी शुरू कर दी. आखिर कपिल सिब्बल के अलावा और कौन हो सकता है जिससे पहले ही वाक्य में वे आंदोलन से जुड़ी चर्चा शुरू कर सकते हैं. सरकार को मजबूत रहने की सलाह सरकार के अलावा और किसे दी जा सकती है. बाहरी आदमी को क्यों कहा जाएगा कि आप मजबूत रहें.’

उनके सहयोगी रहे अरविंद केजरीवाल अग्निवेश के आरोप को खारिज करते हुए कहते हैं, ‘उनके आरोप गलत हैं. हम क्यों उनके खिलाफ साजिश करेंगे. इससे तो आंदोलन को नुकसान ही होगा. लेकिन मैं यह मानता हूं कि अगर वीडियो के कंटेट सही हैं तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था.’ ऐसे तमाम सवाल हैं जिनके उत्तर में अग्निवेश सिर्फ यही कहते हैं कि मेरे कुछ कहने से आंदोलन का नुकसान होगा. कपिलमुनि को सामने लाने के सवाल को वे यह कहकर टाल देते हैं कि वे समय आने पर इसका फैसला करेंगे. सीधे सवालों के घुमावदार जवाब उनकी भूमिका पर और भी सवाल खड़े करते हैं. यहां उनसे हुई बातचीत के अंश दिए जा रहे हैं :

आरोप लग रहा है कि आप सरकार और अन्ना दोनों के साथ मिले हुए थे?

मेरे साथियों ने यह सारा षड्यंत्र किया है. मैंने कदम-कदम पर उन लोगों का साथ दिया और उन्होंने मेरे साथ धोखा किया. जिस समय शांति और प्रशांत भूषण की सीडी सामने आई थी मैंने उनका बचाव किया था. मैंने मीडिया में जाकर कहा कि उन्हें बदनाम करने की साजिश की जा रही है. उन लोगों ने मुझसे बात तक करना जरूरी नहीं समझा.

आप उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं?

संन्यासी होने के नाते मुझे ऐसा करना उचित नहीं लगता. अवमानना नोटिसों का कोई फायदा नहीं होता. मैंने तो हैदराबाद में भी अपने ऊपर हमला करने वाले को सार्वजनिक रूप से माफ कर दिया था.

वे कौन लोग हैं जिन्होंने आपके खिलाफ षड्यंत्र किया? 

आंदोलन से जुड़े लोगों ने और कौन? तीन दिन पहले ही इन लोगों ने सीडी बनवा कर रख ली थी. और अन्ना का अनशन खत्म होने के बाद उन्होंने इसे यूट्यूब पर डाल दिया. मीडिया ने भी अपना काम ईमानदारी से नहीं किया.

मीडिया का क्या दोष है?

किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत बातचीत को रिकॉर्ड करना क्या गलत काम नहीं है? मेरे खिलाफ स्टोरी करने से पहले मुझसे क्रॉस चेक क्यों नहीं किया गया?

आपने पहले ही अन्ना से अनशन तोड़ने की अपील कर दी थी. किस बात को लेकर आपके बीच मनमुटाव हुआ था?

मैं शुरू से ही आमरण अनशन के खिलाफ था. मेरी राय थी कि अन्ना सिर्फ अनिश्चितकालीन हड़ताल करें. पर बाकी लोग जान-बूझकर उनकी जिंदगी खतरे में डालना चाहते थे. बाद में जब पूरी संसद और प्रधानमंत्री ने भी उनसे अनशन खत्म करने की अपील कर दी तब मुझे अन्ना के अनशन पर बने रहने का कोई औचित्य नजर नहीं आया. ये लोग अनावश्यक रूप से अपनी मांगें बढ़ाते जा रहे थे. आखिर में तीन अलग मुद्दे इन लोगों ने जोड़ दिए. तो मेरे पास अलग होने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

वीडियो की ही बात करते हैं. आपकी बातचीत से साफ जाहिर होता है कि कपिल सिब्बल के अलावा और किसी से इस तरह की बातचीत करने का मतलब नहीं है.

फोन रिकॉर्ड पता कर लें. आपको यकीन हो जाएगा कि मैं कपिल सिब्बल से बात नहीं कर रहा था. मेरा गुस्सा यह था कि जब सरकार ने अपील कर दी है तब उसमें नई शर्तें जोड़ने की क्या जरूरत है. यही बातें मैं कपिल मुनि महाराज से कर रहा था.

आपकी प्रतिष्ठा जबर्दस्त खतरे में है. आपको भेदिया कहा जा रहा है. आप कपिल मुनि महाराज या टेलीफोन डिटेल्स सबके सामने लाकर अपनी ईमानदारी क्यों नहीं साबित कर देते हैं?

मैं अभी अपने लोगों से राय-मशविरा कर रहा हूं. समय आने पर मैं अपनी ईमानदारी साबित कर दूंगा. इस समय मैं कुछ नहीं करूंगा. वरना आंदोलन का बहुत नुकसान हो जाएगा.

इससे तो आपके प्रति शंका और बढ़ेगी?

मेरे लिए आंदोलन बड़ी चीज है. उसका नुकसान नहीं होना चाहिए. कई बार मैं जहर पीकर रह गया सिर्फ इसलिए कि आंदोलन का नुकसान न हो.

आप ईमानदारी से मान क्यों नहीं लेते कि आपसे गलती हो गई? और अन्ना से माफी मांग लें.

मैं पूरी ईमानदारी से कहता हूं मैंने कोई गलत काम नहीं किया है. कोई मुझे बताए कि मैंने कहां गलती की है. मैं कभी भी अन्ना को पागल हाथी नहीं कह सकता. उनके प्रति मेरे मन में श्रद्धा है. अब लोग मेरे ऊपर पत्रकार हेमचंद्र और आजाद की हत्या करवाने के आरोप लगा रहे हैं. किसी भी माओवादी से पूछ लें, वह मुझे निर्दोष बताएगा.