सर्वोच्च न्यायालय ने स्वरणों को १० प्रतिशत अआरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले पर उससे जवाब माँगा है। सर्वोच्च अदालत इस फैसले की जांच करेगी। हालांकि, अदालत ने इस फैसले को लेकर कोइ रोक नहीं लगाई है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस खन्ना की पीठ ने इस मामले में दायर ६ याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान यह आदेश दिए। स्वर्ण आरक्षण को लेकर एक पीआईएल सहित कुल छह याचिकाएं दायर की गईं हैं जिनमें इस आरक्षण पर सरकार को चुनौती दी गयी है।
इन याचिकाओं में कहा गया है कि यह आरक्षण संबिधान की मूल भावना के खिलाफ है। साथ ही सर्वोच्च अदालत के ही इस समभंद में आये एक फैसले के विपरीत है जिसमें अदालकत ने कहा था कि आरक्षण का कुल प्रतिशत किसी भी सूरत में ५० फीसदी से ज्यादा नहीं हो एकता।
इन याचिकर्ताओं ने सर्वोच्च अदालत से सरकार के फैसले के खिलाफ से अंतरिम रोक का आग्रह किया था जिसे अदालत ने नहीं माना है। अब सर्वोच्च अदालत स्वर्ण आरक्षण को लेकर १२४वें संविधान संशोधन का अध्ययन करेगी। फिलहाल सरकार को अब इस मामले में चार हफ्ते के भीतर जवाब देना होगा।
गौरतलब है कि मोदी सरकार के इस फैसले को उसका ”मास्टर स्ट्रोक” बताया गया था और विपक्ष ने आरोप लगाया था कि तीन राज्यों में चुनाव हरने के बाद मोदी सरकार ने आरक्षण चुनाव को देखकर जल्दी में लाया है। इस से जुड़ा संविधान संशोधन बिल दो तिहाई बहुमत से संसद में पास हो गया था।