केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कामकाजी महिलाओं को पेड मेंस्ट्रुअल लीव (मासिक धर्म अवकाश) दिए जाने पर असहमति जताते हुए कहा था कि, मेंस्ट्रुएशन महिलाओं के जीवन का नेचुरल पार्ट है इसे दिव्यांगता यानी किसी तरह की कमजोरी की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। पीरियड्स के दौरान ऑफिस से लीव मिलना महिलाओं से भेदभाव का कारण बन सकता है।
स्मृति ईरानी के इस बयान पर तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) केसीआर की बेटी के. कविता ने आपत्ति जाहिर करते हुए एक्स पर कहा कि, “मेल्ट्रुएशन यानी मासिक धर्म कोई विकल्प नहीं है…यह एक बायोलॉजिकल रियलिटी है। पेड मेंस्ट्रुअल लीव से इनकार करना दरअसल अनगिनत महिलाओं के सहे जाने वाले वास्तविक दर्द को नजर अंदाज करना है। मैं केंद्रीय मंत्री स्मृति र्इरानी की प्रतिक्रिया से बहुत हैरान और मायूस हूं।”
आपको बता दें, स्मृति ईरानी ने संसद में बुधवार को महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पेड अवकाश दिए जाने से जुड़े राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सांसद मनोज कुमार के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि, “एक महिला के तौर पर मैं जानती हूं कि पीरियड्स और मेंस्ट्रुएशन साइकिल परेशानी की बात नहीं हैं। पीरियड्स के दौरान ऑफिस से लीव मिलना महिलाओं से भेदभाव का कारण बन सकता है। कई लोग जो खुद मेंस्ट्रुएट नहीं करते हैं, लेकिन इसे लेकर अलग सोच रखते हैं। हमें उनकी सोच को आधार बनाकर ऐसे मुद्दों को नहीं उठाना चाहिए जिससे महिलाओं को समान अवसर मिलना कम हो जाए।”
संसद को बताते हुए स्मृति ईरानी ने आगे कहा कि, “पीरियड्स एक शारीरिक घटना है सिर्फ कुछ ही महिलाओं और लड़कियों को पीरियड्स के दौरान गंभीर दर्द से गुजरना पड़ता है इनमें से ज्यादातर मामले दवा से कंट्रोल में आ जाते हैं। हैरानी जताते हुए स्मृति ईरानी ने आगे कहा कि एक महिला के रूप में इस तरह की अज्ञानता को देखना भयावह है..हमारे संघर्षों के लिए…हमारी यात्रा के लिए…हम समान अवसर के हकदार हैं। इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। लेकिन एक महिला के रूप में यह देखना निराशाजनक है। महिलाओं के सामने आने वाली वास्तविक चुनौतियों और हर चीज के लिए हमें जो संघर्ष करना पडता है उसके प्रति सहानुभूति की कमी है।”