मैच को अभी एक घंटे से कुछ ज्यादा है लेकिन दुबई में स्टेडियम भर चुका है। भारत और पाकिस्तान के बीच लम्बे समय के बाद कोइ मुकाबला है और दोनों के समर्थक इसके लिए तैयार हो चुके हैं। भारत-पाक मुकाबले हमेशा बहुत तनाव के माहौल में होते हैं और इस मैच में भी कमोवेश वही स्थिति है। दोनों देशों के टीवी चैनल इसे वैसा ही मुकाबला बनाने में जुटे है जैसा अमूमन होता है। यह, दोस्ती से ज्यादा दरार को पुख्ता करते दिखते हैं। खेल और कला में भी दोस्ती के रास्ते खोलने का रिवाज सम्भवता अब ख़त्म हो गया है।
भारत की टीम इंग्लैंड में खेलकर दुबई जा रही जबकि पाकिस्तान की टीम दुबई में खेलने की आदि है। दूसरे देशों की टीमें पकिस्तान खेलने नहीं जातीं लिहाजा दुबई एक तरह से पाकिस्तान का दूसरा घर है क्रिकेट के लिहाज से। पहले मैच में जिस तरह हांगकांग ने हारने से पहले भारत को छकाया उससे भारतीय खेमे में थोड़ी चिंता है लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ मैच में भारत के खिलाड़ी दोगुने जोश के साथ खेलते हैं।
भारत के स्थाई कप्तान विराट कोहली एशिया कप क्रिकेट में नहीं खेल रहे। तीन बड़े भारतीय खिलाड़ी सीधे इंग्लैंड से दुबई पहुँच रहे हैं जहाँ तापमान ४२ डिग्री के आसपास है। भारत के पास अनुभवी महेंद्र सिंह धोनी टीम में हैं जिनका मैदान में रहना भारत की बहुत बड़ी ताकत होती है। खासकर जबकि कोहली टीम में नहीं हैं। धोनी का टीम में रहना इसलिए भी अहम् है कि वे कप्तान से लेकर बॉलर तक को गाइड करते हैं। कोहली भी टीम में जब कप्तान होते हैं तो धोनी से सलाह लेने में कभी हिचकते नहीं लिहाजा कप्तान रोहित शर्मा भी ऐसा ही करेंगे।
धोनी का रोल आज पाकिस्तान के खिलाफ बहुत मायने रखता और हार-जीत में उनका योगदान रहेगा। पाकिस्तान से आखिरी मैच भारत हारा था लिहाजा उसपर थोड़ा दवाब रहेगा। करींब एक घंटे बाद मैच होना है लेकिन स्टेडियम में दर्शकों की भीड़ टीम घंटे पहले ही जुटनी शुरू हो गयी थी।
पाकिस्तान की टीम पिछले हफ़्तों में मजबूत होकर उभरी है और उन्होंने बड़े मैच जीते हैं।
दुनिया में वन डे की पाकिस्तान टीम नंबर वन टीम है। ऐसे में मुकाबला दिलचस्प होगा क्योंकि भारत के इस टीम के खिलाड़ियों को बहुत जुझारू माना जाता है।
चर्चा है कि पाकिस्तान के नए बजीरे-आज़म इमरान खान भी इस मैच को देखने आ सकते हैं। खान पकिस्तान टीम के बड़े खिलाड़ी रहे हैं और उनकी कप्तानी में पाक ने विश्व कप जीता है। दोनों देशों में खेल को भी जैसा ”दुश्मनी वाला” मौका बना दिया गया है उसमें दोस्ती का रास्ता खुलने की गुंजाइश फिलहाल नहीं दिखती। लेकिन नहीं भूलना चाहिए कि पूर्व में भी क्रिकेट डिप्लोमेसी को राजनीतिक रिश्ते सुधारने के लिए प्लेटफार्म के रूप में आजमाया गया है।