कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह और उनसे जंग में उलझे नवजोत सिंह सिद्धू को 20 जून को दिल्ली तलब किया है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी एक बैठक करके इन नेताओं से मुलाकात करेंगी। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष सुनील झाखड़ और पंजाब के प्रभारी हरीश रावत को भी बुलाया जा सकता है। बैठक में सोनिया गांधी अपने फैसले से इन नेताओं को अवगत करवा सकती हैं।
यह बैठक 20 जून को तलब की गयी है और सोनिया गांधी इस बैठक में पंजाब कांग्रेस को लेकर अपना फैसला नेताओं को बता सकती हैं। ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक कैप्टेन और सिद्धू को सोनिया गांधी सख्ती से अपनी गुटबाजी ख़त्म करने और चुनाव से पहले पूरी ताकत झोंक देने को भी कहेंगी।
यह लगभग तय है कि नवजोत सिंह सिद्धू को सरकार या संगठन में बड़ा औहदा दिया जाएगा और अन्य नाराज लोगों को भी एडजस्ट किया जा सकता है। वैसे पार्टी ने सिद्धू को राष्ट्रीय स्तर पर भी पद की पेशकश की हुई है। कांग्रेस ने लगभग तय कर लिया है कि पंजाब में दूसरे समुदायों को सरकार में ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया जाए।
सिद्धू और कैप्टेन दोनों जट्ट सिख हैं। ऐसे में कांग्रेस वहां दो या एक उप मुख्यमंत्री पद सृजित कर दलित और गैर सिख को बड़ा प्रतिनिधित्व दे सकती है। ऐसी स्थिति में सिद्धू प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाये जा सकते हैं। अकाली-बसपा गठबंधन बनने से कांग्रेस के लिए यह बहुत ज़रूरी हो गया है कि दलित वर्ग को अपने साथ जोड़े रखने के लिए उपमुख्यमंत्री पद दिया जाए।
सिद्धू सरकार में जाना नहीं चाहते हैं। राष्ट्रीय राजनीति में जाने को लेकर भी वे अनिच्छा जता रहे हैं। ऐसे में उनके लिए प्रवाल संभावना प्रदेश अध्यक्ष या अगले विधानसभा चुनाव के लिए पंजाब कांग्रेस की किसी बड़ी समिति – जैसे प्रचार समिति – का अध्यक्ष बनने की रह जाती है। इसके लिए वे तैयार भी हैं। सिद्धू को लगता है कि इससे वे अगले चुनाव में अपने ज्यादा समर्थकों को टिकट दिलवाने में सफल हो सकते हैं और कांग्रेस के जीतने के स्थिति में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में मजबूत दावेदार बन सकते हैं।
इस बैठक में राहुल गांधी सहित कुछ वरिष्ठ नेता भी बुलाये जाने का संभावना है। अहमद पटेल की मृत्यु के बाद कांग्रेस की संकट मोचक के रूप में उभरीं प्रियंका गांधी भी आएं, तो हैरानी नहीं। वैसे अभी इस बात की जानकारी नहीं है कि सोनिया गांधी की मीटिंग में सिद्धू और कैप्टेन के अलावा पंजाब के वरिष्ठ नेता बुलाये जा रहे हैं या नहीं।
पिछले चुनाव के प्रचार में कैप्टेन अमरिंदर खुद कह चुके हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव है, इसलिए उन्हें वोट देकर अवसर दें। ऐसा माना जाता है कि तब राहुल गांधी ने नवजोत सिद्धू से अगले चुनाव (2022) में उन्हें ‘बेहतर जगह’ देने की बात कही थी। हालांकि, जिस तरह कैप्टेन मैदान में डटे हैं, उससे लगता नहीं कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। वैसे भी यह साफ़ है कि चुनाव तक पार्टी उन्हें सीएम पद से नहीं हटाएगी।
कैप्टेन अभी भी पंजाब में कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं। सुखबीर बादल से लेकर वे किसी भी अकाली (प्रकाश सिंह बादल को छोड़कर) नेता, आप नेता और यहाँ तक कि किसी कांग्रेस नेता पर भी लोकप्रियता के मामले में भारी पड़ते हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान कोई रिस्क नहीं लेगी। हाँ, सोनिया गांधी कैप्टेन को पंजाब के उन बड़े मसलों, जिनमें गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी और उसके बाद पुलिस फायरिंग की घटनाओं में न्याय की मांग भी शामिल है, को हल करने की हिदायत दे सकती हैं। यह सब मसले मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व वाली कांग्रेस समिति के सामने भी रखे गए हैं।
पंजाब कांग्रेस का मसला सुल्ताने के लिए बनाई इस समिति में सोनिया गांधी ने
जेपी अग्रवाल और प्रभारी महासचिव हरीश रावत को भी शामिल किया था। इस समिति ने लगातार 5 दिन तक कैप्टेन, सिद्धू और अन्य सभी विधायकों-वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली तलब किया था।
ज्यादा संभावना यही है कि पंजाब कांग्रेस का मसला हल करने की सोनिया गांधी की पूरी तैयारी है। वे प्यार और सख्ती दोनों से मसले हल करने के लिए जानी जाती हैं। वैसे भी न तो कैप्टेन और न सिद्धू आमने-सामने की बैठक में सोनिया गांधी की बात टालने की हिम्मत रखते हैं। ऐसे में निश्चित ही 20 जून की बैठक बहुत मायने रखती है।