वित्त मंत्री पीयूष गोयल की अगुवाई में हुई जीएसटी काउंसिल की 28वीं बैठक के दौरान पूरा जोर महिलाओं और घरेलू इस्तेमाल वाली चीजों को सस्ता करने पर रहा।
पहले 30-40 सामानों पर ही जीएसटी की दरों को कम करने पर विचार हो रहा था, लेकिन बैठक के दौरान अचानक 80 से भी अधिक वस्तुओं पर कर की दरें घटा दी गईं।
एसटी काउंसिल ने फ़ैसला लिया है कि सैनिटरी नैपकिन को जीएसटी से बाहर कर दिया जाए यानी सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी की दर को शून्य कर दिया गया है। अब तक सैनिटरी नैपकिन पर 12 फ़ीसदी जीएसटी लगाया जा रहा था.
जीएसटी के दायरे से बाहर होने वाली चीजों में शामिल हैं राखियां (बहुमूल्यों रत्नों से न बनी हो); संगमरमर से बनी मूर्तियां; झाड़ू बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल; साल के पत्ते।
जिन चीज़ों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दी गयी वो हैं हैंडलूम दरी; फास्फोरिक एसिड युक्त उर्वरक और बुनी हुई टोपियां (1000 रुपये से कम कीमत की) ।
जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया इन वस्तुओँ पर लिथियम आयन बैटरी; वैक्यूम क्लीनर; फूड ग्राइंडर, मिक्सर; शेवर्स, हेयर क्लिपर्स; हैंड ड्रायर्स;
वाटर कूलर्स; आइसक्रीम फ्रीज़र; रेफ्रिज़रेटर; कॉस्मेटिक्स; परफ्यूम और सेंट; पेंट और वार्निश।
इसके अलावा तेल मार्केटिंग कंपनियों को पेट्रोल और डीज़ल में मिलाने के लिए दिया जाने वाले इथेनॉल पर जीएसटी की दर 18 फ़ीसदी से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
बैठक के बाद जब वित्त मंत्री से पूछा गया कि इस कदम से सरकार को आमदनी में कितना घाटा होगा तो उन्होंने साफ कहा कि सरकार को उम्मीद है कि दरें घटने से जो बिक्री बढ़ेगी, उससे होने वाले घाटे की भरपाई की जा सकेगी। इसके बाद भी अगर घाटा होता है तो वो बेहद मामूली या न के बराबर होगा।
जीएसटी परिषद ने इससे पहले भी दो बार कर की दरों में बड़ा बदलाव किया था। परिषद ने नवंबर 2017 को हुई बैठक में 213 सामानों पर जीएसटी स्लैब में संशोधन का फैसला किया था, जबकि जनवरी 2018 में 54 सेवाओं और 29 वस्तुओं पर टैक्स घटाते हुए उसे सस्ता किया था।