अगर किसी को नौकरी में प्रोत्साहन और सेवा विस्तार का अवसर मिले तो, उसे कोई आपत्ति नहीं होती है। पर जो सही मायने में ज़रूरतमंद हैं और आस लगाये बैठे हैं, अगर उनके अधिकारों तथा हितों के बारे सरकार या सम्बन्धित विभाग कोई फैसला न ले, तो बड़े असमंजस की स्थिति पैदा होती है। सेना में भी यही स्थिति पैदा होती दिख रही है। हमारे देश के युवाओं में अपने करियर को लेकर काफी चिन्ता पनपने लगी है। अनेक सरकारी विभागों में भर्ती प्रक्रियाओं में तथाकथित धाँधली से आजिज़ युवा भारतीय सेनाओं में ईमानदारी से भर्ती प्रक्रिया होने और देश सेवा की भावना से सैनिक बनना पसन्द करते हैं। लेकिन अब सेना में करियर बनाने की उनकी इस चाहत पर कम मौके मिलने की सम्भावनाएँ बढ़ रही हैं।
बताते चलें कि रक्षा विभाग के प्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि तीनों सेनाओं में जवानों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ायी जाएगी। इससे तीनों सेनाओं में लगभग डेढ़ लाख जवानों को लाभ हो सकता है। इसमें भारतीय वायु सेना के एयरमैन और नौसेना के नाविक शामिल हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि देश को तीनों सेनाओं के पराक्रमी और अनुभवी सैनिकों का लाभ मिलेगा। सेना के एक अधिकारी का कहना कि रक्षा प्रमुख की नीति में कोई खोट नहीं है। अगर सैनिकों का सेवाकाल बढ़ाया जाता है, तो पुराने साथियों के देश सेवा करने का ज•बा बरकरार रहेगा। फिलहाल जल्द ही पुरुषों की सेवा प्रोफाइल और सैनिकों की न्यूनतम सेवानिवृत्ति उम्र को बढ़ाने के लिए एक रूपरेखा तैयार की जा रही है।
सैनिकों की संख्या कटौती को लेकर समय-समय पर चर्चा होती रही है। इसकी वजह सैनिकों के वेतन खर्च के चलते हथियारों की खरीदारी में धन की कमी का होना हो सकता है। वैसे देश की सुरक्षा के लिए 12 लाख से अधिक थल सैनिक देश की सेवा में तैनात हैं। सेना से सेवानिवृत्त करन सिंह का कहना है कि रक्षा मंत्रालय के आदेश पर ही ऐसे फैसले होते हैं। पर मंत्रालय को इस बारे में फैसला लेने के बीच उन युवाओं के बारे में सोचना होगा, जो सेना में अपना करियर बनाने के साथ-साथ देश की सेवा करना चाहते हैं। क्योंकि अगर डेढ़ लाख सैनिकों की सेवा का विस्तार होता है, तो यह निश्चित है कि नयी भर्तियों को लेकर ज़रूर कोई आनाकानी वाली स्थिति बनेगी। क्योंकि मौज़ूदा दौर में रक्षा मंत्रालय द्वारा कई विभागों में पदों को खत्म किया जा रहा है। जैसे सैन्य इंजीनियरिंग सेवा से 9304 पदों को खत्म किया गया है। ये पद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शेकतकर समिति की सिफारिश पर खत्म किये हैं।
सेना के एक अधिकारी का कहना है कि दुनिया के कई देशों में आपसी टकराव की स्थिति के साथ-साथ भारत और पड़ोसी मुल्कों के बीच गत वर्षों से काफी तनाव वाली स्थिति बनी हुई है। ऐसे में ऱक्षा मंत्रालय को व्यापक स्तर पर सेना में भर्ती करने करनी चाहिए, जिस प्रकार सेवानिवृत्ति को लेकर सीडीएस ने कहा है। क्योंकि सारी दुनिया में रक्षा सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है। अगर सरकार यह सोचती है कि सेना में कई विभाग ऐसे हैं, जो सेवा भी कम करते हैं और वेतन के बाद पेंशन भी लेते हैं, तो कहीं ऐसा तो नहीं है कि सरकार सैनिकों को सेवानिवृत्ति न देकर सही मायने में सेना में विस्तार के साथ नौकरी को बरकरार रखना चाहती हो? अगर ऐसा हुआ, तो यह नयी परम्परा होगी। और अगर सरकार ऐसा करना ही चाहती है, तो उसे स्पष्ट करना चाहिए कि अगर वह सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों की सेवाओं का विस्तार करती है, तो यह कितने साल का होगा और उनकी वजह से सेना में नयी नौकरियों में कोई बाधा तो नहीं आएगी? क्योंकि सेवानिवृत्ति होने के बाद ही हर विभाग में रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार नयी भर्तियाँ करती है। ऐसे में देश सेवा की भावना से सेना में जाने के इच्छुक तमाम युवा इस असमंजस में हैं कि सरकार कब सभी पहलुओं को स्पष्ट करेगी?