भारतीय सेना में कटौती की तैयारी की जा रही है। और इस कटौती से जो पैसा बचेगा उससे सेना के लिए हथियार खरीदे जायेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सेना में कटौती का यह काम अगले पांच साल तक चलेगा। इससे जुड़ा फैसला लेने के लिए सितम्बर के आखिर तक सेना प्रमुख बिपिन रावत के सामने रिपोर्ट पेश की जाएगी। नवंबर में इसकी फाइनल रिपोर्ट सौंपे जाने की संभावना है।
याद रहे २१ जून को कैडर समीक्षा के लिए दिए गए आदेश में 12 लाख सशक्त कर्मियों को कम करने और इसके कामकाज को अनुकूलित करने जैसे विभिन्न कार्यक्षेत्र के विलय सहित व्यापक मुद्दों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक सेना की कटौती से बचने वाले 5 से 7 हजार करोड़ रुपए से हथियार खरीदे जाएंगे। खर्च घटाने और नए एडवांस हथियार, उपकरणों की खरीद के लिए पैसा जुटाने के मकसद से यह कदम उठाया जाएगा।
दैनिक अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक ”कुछ तर्कसंगत भूमिकाओं के विलय की वजह से अगले दो साल में 50,000 सैनिकों को कम करने की संभावना है। साल २०२२-२३ तक एक लाख और कर्मियों को कम किया जा सकता है। लेकिन यह सब अभी समीक्षा के चरण में है।” अखबार की रिपोर्ट्स के मुताबिक सैन्य मुख्यालय, रसद इकाइयों, संचार प्रतिष्ठानों, मरम्मत सुविधाओं और अन्य प्रशासनिक और सहायता क्षेत्रों में निदेशकों सहित विभिन्न क्षेत्रों को संशोधित करके सेना की संख्या कम करने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
अखबार को दो अधिकारियों ने बताया कि कैडर समीक्षा आदेश ने ये चिंता खड़ी कर दी है कि सिस्टम में प्रौद्योगिकी के आने के बावजूद पिछले कई साल में सेना के अलग-अलग क्षेत्रों में कैसे इतना ज्यादा विस्तार हो गया है। अखबार के मुताबिक सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल जेएस संधु की अध्यक्षता में 11 सदस्यों के पैनल के द्वारा यह समीक्षा की गयी।
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक ”कैडर समीक्षा आदेश ने ये चिंता खड़ी कर दी है कि सिस्टम में प्रौद्योगिकी के आने के बावजूद पिछले कई सालों में सेना के अलग-अलग क्षेत्रों में कैसे इतना ज्यादा विस्तार हो गया है। सैनिकों की कटौती के अलावा, समीक्षा में सेना की भविष्य की जरूरतों, अधिकारियों की करियर प्रगति, सेना इकाइयों में अधिकारियों की कमी, गैर-सूचीबद्ध अधिकारियों के करियर प्रबंधन, सेवा छोड़ने से संबंधित प्रावधान, और अधिकारियों की दक्षता और मनोबल में सुधार शामिल है”।
इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि ”कैडर समीक्षा ब्रिगेडियर के रैंक को खत्म करने की संभावना की जांच कर रही है ताकि आसान करियर प्रगति सुनिश्चित हो सके और एकीकृत ब्रिगेड के साथ डिवीजन मुख्यालयों को बदलने पर विचार किया जा सके। अगस्त 2017 में, सरकार ने सेना के युद्ध क्षमता को तेज करने के लिए 57,000 सैनिकों को फिर से तैनात करने के लिए सेना के व्यापक पुनर्गठन की घोषणा की थी। यह सेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने और राजस्व व्यय को कम करने के लिए शेकटकार समिति द्वारा की गई सिफारिशों के बाद किया गया था। समिति ने दिन-प्रतिदिन के खर्चों को कम करने और हथियारों और उपकरणों के लिए अधिक पैसा उपलब्ध कराने के लिए बजट लाने के उपायों की जानकारी दी थी।
वर्तमान में आर्मी के कुल 1.2 लाख करोड़ के बजट में से 83 फीसदी उसके राजस्व व्यय और वेतन सहित कई अन्य मद में खर्च हो जाता है। इसमें सेना से रिटायर्ड लोगों का पेंशन शामिल नहीं है। सेना को मिलने वाले बजट का सिर्फ 17 प्रतिशत यानी 26,826 करोड़ रुपए पूंजीगत खर्चों के लिए जाता है। यह वो राजस्व है जिसे लेकर सेना पूरी तरह खुश नहीं है। कटौती के बाद इससे बचने वाले 5 से 7 हज़ार करोड़ रुपए से हथियार खरीदे जाएंगे। इससे सेना के पास 31,826 से 33,826 करोड़ रुपए तक हो जाएंगे। फिलहाल सेना में करीब 13 लाख सैन्यकर्मी हैं। फिलहाल सरकार की तरफ से इसे लेकर आधिकारिक फैसले का इन्तजार है।