अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मामले में हर दिन नये-नये मोड़ आते जा रहे हैं। बता दें कि बीते 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत अपने बांद्रा स्थित फ्लैट पर मृत मिले थे, जिसे आत्महत्या माना गया था। इसके चलते सुशांत के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया था। लेकिन सुशांत सिंह राजपूत के परिजनों और प्रशंसकों ने उनकी मौत को हत्या कहा था। इसी के चलते महाराष्ट्र पुलिस को जाँच करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसमें सुशांत की करीबी महिला मित्र, जिससे उनकी शादी भी होने वाली थी; से महाराष्ट्र पुलिस ने पूछताछ की थी। हालाँकि पुलिस ने पूछताछ तो सुशांत के करीबी सभी लोगों से की थी; लेकिन रिया चक्रवर्ती की भूमिका शुरू से ही संदिग्ध नज़र आने लगी थी। यह अलग बात है कि उनके खिलाफ कोई ठोस सुबूत नहीं मिला है, इसलिए उन पर सुशांत की मौत से सम्बन्धित कोई सीधा आरोप भी नहीं लगा। लेकिन रिया का बीच में गायब रहना उनकी भूमिका को संदेह के घेरे में लाता दिखा। हालाँकि वह 10 जून को सुप्रीम कोर्ट पहुँचीं और उन्होंने कहा कि उन्हें गलत तरीके से फँसाने की कोशिश की जा रही है; सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ बिना सुबूतों के एफआईआर दर्ज करना गलत है।
बता दें कि हाल ही में आरोप लगे थे कि सुशांत की मौत के बाद रिया चक्रवर्ती ने मुम्बई पुलिस के एक अधिकारी से मोबाइल फोन पर चार बार बात की थी। जैसा कि सब जानते हैं कि सुशांत की मौत से छ: दिन पहले 8 जून को उनकी सेक्रेटरी दिशा सालियान की मौत हो गयी थी। क्योंकि उनकी मौत मलाड के जन कल्याण नगर में 14वीं मंज़िल से गिरकर हुई थी, इसलिए कयास लगाये गये कि दिशा ने कूदकर खुदकुशी कर ली। लेकिन यहाँ भी एक नया मोड़ आया, वह यह कि जब दिशा सालियान की मौत हुई, उसके तुरन्त बाद रिया चक्रवर्ती ने सुशांत का फोन नम्बर ब्लैक लिस्ट में डाल दिया था और सुशांत को धमकियाँ देनी शुरू कर दी थीं। पटना में सुशांत के पिता द्वारा दर्ज करायी गयी रिपोर्ट में उन्होंने आरोप लगाया था कि दिशा की मौत के दिन ही रिया चक्रवर्ती सुशांत के घर से सारा सामान लेकर चली गयी थी और सुशांत का नम्बर ब्लॉक कर दिया था।
अगर दूसरे पहलू को देखें, तो जब पटना पुलिस जाँच के लिए मुम्बई गयी, तब महाराष्ट्र पुलिस और वहाँ की सरकार पर उसे जाँच में सहयोग न करने के आरोप लगे। खबरें तो यहाँ तक आयीं कि तथाकथित लोगों द्वारा, जो भीड़ के रूप में थे; पटना पुलिस का रास्ता रोकने के प्रयास भी किये गये। इधर, सुशांत की 11 पन्ने की डायरी जाँच टीम को मिली है। साथ ही यह भी बात सामने आ रही है कि सुशांत की एक और गर्ल फ्रेंड थी, जिसके फ्लैट की वह ईएमआई भरते थे।
सीबीआई जाँच में अड़ंगा
अब कयास लगाये जा रहे हैं कि महाराष्ट्र सरकार ने सीबीआई जाँच में लगाया अड़ंगा लगाने की कोशिश कर रही है। दरअसल महाराष्ट्र सरकार की मंत्री और मुम्बई की मेयर किशोरी पेडणेकर ने सुशांत मामले में जाँच के लिए मुम्बई आने वाली सीबीआई की टीम को बिना सरकार की परमीशन मुम्बई में कदम रखने पर 14 दिन के क्वारंटीन में भेजने का ऐलान कर दिया है।इस पर महाराष्ट्र का विपक्षी दल ठाकरे सरकार को घेर लिया है। इसके लिए हाल ही में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने आनन-फानन में कोरोना को लेकर दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इन दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि दूसरे प्रदेशों से हवाई जहाज़ से आने वाले लोगों को अनिवार्य रूप से 14 दिनों के क्वारंटीन में रखा जाएगा। बीएमसी ने गत 3 अगस्त को ये दिशा-निर्देश जारी किये गये थे, जिनमें साफ कहा गया था कि अगर कोई अधिकारी भी सुशांत मामले में जाँच के लिए आता है, तो उसे भी भी जाँच के लिए एनओसी (नो ओवजेक्शन सर्टिफिकेट) यानी अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा,जिसके लिए मुम्बई आने और उसकी खास ज़रूरत को बताना होगा।
पटना सिटी एस.पी. को भी किया था क्वारंटीन
बता दें कि पटना सिटी के एस.पी. विनय तिवारी ने बिहार पहुँचकर आरोप लगाये थे कि मुम्बई पुलिस ने उन्हें क्वारंटीन करके जाँच को प्रभावित किया था। वहीं बिहार पुलिस ने मुम्बई पुलिस पर जाँच में सहयोग न करने का आरोप भी लगाया था। इसे लेकर बिहार पुलिस के डी.जी.पी. ने सुशांत मौत मामले की जाँच के लिए मुम्बई गये बिहार के एक आईपीएस अधिकारी को लौटने की अनुमति नहीं दिये जाने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। बता दें कि सुशांत मामले की जाँच के लिए मुम्बई पहुँचे बिहार के आईपीएस अधिकारी पटना सिटी के एस.पी. विनय तिवारी को अब क्वारंटीन से छोड़ दिया गया है।
क्यों है रिया पर संदेह?
दो महीने बाद भी सुशांत सिंह राजपूत की मौत की गुत्थी सुलझ नहीं पायी है। लेकिन इस बीच रिया की भूमिका संदिग्ध होती नज़र आ रही है। क्योंकि अनेक जाँचों में कई ऐसे खुलासे हुए हैं, जिनके चलते सुशांत से उनके सम्बन्धों और लड़ाई-झगड़े को लेकर कई चौंकाने वाले राज़ खुले हैं। बहरहाल अब यह मामला सीबीआई के हाथों में है; यह अलग बात है कि महाराष्ट्र सरकार चाहती कि इस मामले की सीबीआई जाँच की कोई ज़रूरत नहीं; क्योंकि मुम्बई पुलिस सही तरीके से जाँच कर रही है। लेकिन सीबीआई ने रिया चक्रवर्ती, उनके भाई और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ आई.पी.सी. की धारा-306, 341, 342, 420, 406 और 506 के तहत मामला दर्ज किया है। इसके बाद रिया ने सीबीआई जाँच को अवैध बताना शुरू कर दिया है।
रिया ने कहा है कि जब तक सर्वोच्च न्यायालय अपना फैसला नहीं सुनाता, तब तक सीबीआई को इस मामले से दूर ही रहना चाहिए। रिया ने तो यहाँ तक कहा है कि सुशांत की मौत मुम्बई में ही हुई थी, इसलिए इस मामले की जाँच मुम्बई पुलिस को ही करनी थी। लेकिन बिहार पुलिस ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया, जिसका अधिकार सीबीआई को नहीं है। मज़े की बात यह है कि पहले खुद रिया ने ही देश के गृह मंत्री अमित शाह से सीबीआई जाँच की माँग की थी। सवाल यह है कि अगर रिया निर्दोष हैं, तो फिर वह अब सीबीआई जाँच को अब गलत क्यों ठहराना चाहती हैं?
मुम्बई पुलिस का जवाब
इधर, मुम्बई पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय में सुशांत मौत मामले में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। मुम्बई पुलिस ने अपने जवाब में कहा है कि सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में अब तक मुम्बई पुलिस ने 56 लोगों के बयान दर्ज किये हैं और हर तरह से मौत के सम्भावित कारणों और परिस्थितियों की जाँच कर रही है। जवाब में आगे कहा गया है कि अब तक इस मामले में मुम्बई पुलिस की तरफ से निष्पक्ष, उचित और पेशेवर तरीके से जाँच की गयी है और आगे भी की जाएगी। साथ ही उसने कोर्ट से माँग की है कि इस मामले में मौज़ूदा तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए एफआईआर को ज़ीरो एफआईआर के तौर पर बांद्रा पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। मुम्बई पुलिस ने यह भी कहा है कि सीबीआई को बिहार सरकार की सिफारिश पर सुशांत सिंह मामले में एफआईआरदर्ज नहीं करनी चाहिए थी।
21 बार बदला कम्पनी का पता
इधर, सुशांत के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) भी सम्पत्ति मामलों की जाँच कर रहा है। जाँच में ई.डी. की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुशांत की एक कम्पनी का आई.पी. एड्रेस उनकी मौत से पहले एक साल में 18 बार बदला गया था, जबकि उनकी मौत के बाद इसे तीन बार बदला गया। यानी कुल मिलाकर करीब एक साल दो-ढाई महीने में कम्पनी का आई.पी. एड्रेस 21 बार बदला गया। इतना ही नहीं कम्पनी का डोमेन भी बदला गया था। इस तरह रिया चक्रवर्ती कई तरह से जाल में फँसती नज़र आ रही हैं। अब देखना यह है कि इस मामले की गुत्थी सुलझती है या नहीं? अगर सुशांत सिंह के परिजनों का आरोप या संदेह सही बैठता है, तो उन्हें न्याय मिल पाता है या नहीं?