उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का अपना अलग महत्व है। यह गन्ना बेल्ट व चार्टलैंड के नाम से भी जाना जाता है। यहां के किसान खेती के साथ-साथ सेना में जाकर देश की सेवा में भी योगदान देते है।
वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए सभी राजनीतिक दल भरपूर मेहनत करते नजर भी आ रहे है। लेकिन हाल ही में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों ने लगभग एक साल तक विरोध प्रदर्शन किया साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान गन्ने की रिकवरी व पैसा न मिलने से सरकार से बेहद नाराज भी है।
चुनाव प्रचार के दौरान तहलका की टीम ने उत्तर प्रदेश ग्राउंड जीरो से किसानों की समस्याओं का पता लगाने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश का दौरा कर किसानों की समस्या जानने की कोशिश की।
इसी बीच उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा जी से तहलका संवाददाता कंचन ने किसान, गन्ना, चुनावों में ज़ुबानी मर्यादा व मुसलमान इन सभी मुद्दों पर की खास बातचीत:-
- आप यहां से दो बार पहले भी चुनाव जीत चुके है लेकिन इस बार भाजपा और अपनी क्या स्थिति देख रहे है आप ?
उ. भाजपा की बहुत शानदार स्थिति है और मैं माननीय प्रधानमंत्री जी का भी धन्यवाद करना चाहता हूं कि जो ऐतिहासिक काम उन्होंने पिछले सात वर्षों में यहां किया है फिर चाहे वह 18 हज़ार गांव में बिजली पहुंचाना, एमएसपी को डेढ़ गुना करना, यूरिया के बंद कारखानों को फिर से चलाने का विषय हो योगी जी ने अभूतपूर्व काम उत्तर प्रदेश में किए है। 36 हज़ार करोड़ की ऋण मोचन योजना दी, सड़के, बिजली, साथ ही उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था हिंदुस्तान के प्रत्येक राज्य के लिए रोल मॉडल बनी है।
सबसे खास बात तो यह है कि जिस प्रकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंक, रंगदारी, भय, गुंडा-गर्दी का माहौल था उस आतंक से मुक्ति दिला करके सही आनंददायी जीवन योगी आदित्यनाथ जी ने दिया है।
- हमें लोगों से बात करके यह पता चला कि उनकी शिकायत यह है कि गन्ने की रिकवरी और पैसा उन्हें नहीं मिलता। हम आपसे यह जानना चाहते है कि आप गन्ना मंत्री है तो फिर यह समस्या पिछले पांच सालों से क्यों बरकरार है और लोग ऐसी शिकायत क्यों कर रहे है ?
उ. जो भी आपने कहा है हमें इस बात से बिल्कुल भी आपत्ति नहीं है और वो इसलिए क्योंकि लगातार 120 चीनी मिल उत्तर प्रदेश में है 94 मिले ऐसी है जिसका भुगतान 14 दिनों के अंतर्गत किया जा रहा है, 12 मिले ऐसी है जिनका करंट का भुगतान 75 प्रतिशत तक किया जा चुका है।
बाकी बची 10 मिले और यह वह मिले है जो कि बजाज ग्रुप की थी जो कि बहुत ही कठिनाई और भुगतान में रही है। यह मिले 2004 में लगी थी तबसे लगातार यह मिले कठिनाई में ही रही है। जिसका सबसे बड़ा कारण चीनी के पैसे को अन्य उद्योग में परिवर्तित (डाइवर्ट) करना था। भाजपा सरकार ने यह डाईवर्जन रोक दिया। इसके साथ ही सरकार के पास भुगतान करने के केवल दो तरीके थे जिसमें पहला तरीका मिल की आरसी करने का और दूसरा तरीका मिल की एफआईआर करने का। और यदि हम आरसी करते है तो उसका कितना बकाया है उसका 10 प्रतिशत टैक्स सरकार को चला जाएगा।
तो मैं योगी जी का धन्यवाद करूंगा की वह पहले ऐसे मुख्यमंत्री है प्रदेश के जिन्होंने चौधरी चरण सिंह जी से प्रेरित हो कर यह कानून बनाया कि यदि कोई शुगर मिल भुगतान नहीं करती तो सभी सिस्टर कंसर्न कंपनियों को जब्त करके हम गन्ना किसानों का भुगतान सुनिश्चित करेंगे। और कानून के उसी क्रम में जद में सबसे पहले बजाज ग्रुप आया और ढाई महीने पहले कानून बना और हमने 1 हजार करोड़ रूपया बजाज एनर्जी से लेकर किसानों का भुगतान करना सुनिश्चित किया और आज यहां एक भी रुपया बकाया नहीं है।
3. आपने अभी चौधरी चरण सिंह जी की बात कहीं और दिल्ली की मीडिया के साथ मुझे भी ऐसा लगता है कि भाजपा आज तक चौधरी चरण सिंह जी के कद का कोई भी जाट नेता नहीं खड़ा कर पाई, ऐसा क्यूं। आप इस पर क्या कहेंगे ?
उ. सबसे पहली बात चौधरी चरण सिंह जी जाट नेता नहीं थे। वे किसानों के नेता थे और आज के समय में दुर्भाग्यपूर्ण बात सही है कि लोगों में किसानों के नेता बनने की बजाय जातियों के नेता बनने की होड़ ज्यादा मची है।
चौधरी साहब के समर्थक आजमगढ़ पूजा यादव बहुल बैल्ट है और आजमगढ़ के लोग चौधरी साहब के लिए छपरौली बोलते है तो वहां यादव, कुर्मी, ठाकुर, गुज़र चौधरी वीरेंद्र सिंह जी खड़े है जितना भाजपा में बड़ा नाम है और लम्बे समय से लोकदल के ही एमएलए रहे है यहां तक की इनका पूरा परिवार लोकदल से जुड़ा रहा तो एक ज़माना ऐसा होता था कि 36 बिरादरियां लोकदल से जुड़ी हुई थी चौधरी चरण सिंह जी के कारण। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया तो चीज़े परिवर्तित होती गर्इ।
लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि अबकी बार हमारे जयंत भाई को ऐसा क्या हुआ की उनके गठबंधन को लोकदल का एक भी कार्यकर्ता पसंद नहीं कर रहा। वो गठबंधन है गुंडों के साथ वे उन लोगों के साथ है जिन्होंने मुजफ्फरनगर में दंगा कराया साथ ही 12 हजार से अधिक किसानों के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करायी, चौधरी अजीत सिंह को मुख्यमंत्री बनने से रोका, साथ ही पश्चिम की कानून व्यवस्था को भी तबाह कर दिया तमाम गांव जला दिये पलायन तक करा दिया। ऐसे लोगों के साथ जयंत चौधरी ने गठबंधन क्यों किया यह बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह है।
- भाषा की मर्यादा को लेकर काफी आलोचना है पहले योगी जी ने कहा ‘मैं गर्मी उतार दूंगा’ फिर जयंत चौधरी जी ने कहा की ‘मैं चर्बी उतार दूंगा’ तो चुनाव में इस तरह की भाषा को और मर्यादा लांघना राजनीति में इस पर आप क्या कहेंगे ?
उ. योगी जी ने कभी मर्यादा लांघने वाला बयान नहीं दिया है और यदि योगी जी ने गर्मी उतार दूंगा कहा है तो उसके अर्थ को पहले समझना पडेगा। इस वाक्य का स्पष्ट अर्थ यह है कि हमेशा योगी जी ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास इस पर अपने कदम आगे बढ़ाया है और हमेशा सदन में बोला है कि हम सभी धर्मों का बराबर सम्मान करते है हमारे यहां कावड़ यात्रा और मुहर्रम का महत्व एक समान है लेकिन हम किसी का तुष्टिकरण नहीं करते और फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जब यह बयान आने लगे कि एक समाजवादी पार्टी का नेता बोलता है मैं हिंदुवादियों का र्इलाज कर दूंगा तो उन्हीं का दूसरा नेता बोलता है हम भूसा भर देंगे। तो जब भुस्स भरने वाले आए तो यह सच है कि भुस भरने वालों की गर्मी ठंडी करने का काम यदि प्रदेश में कोई है तो वह योगी आदित्यनाथ है।
- इस चुनाव के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह भी बात हो रही है कि ‘जिसके जाट, उसकी ठाठ’ तो इस पर आप क्या समझते है कि किसानों के साथ भाजपा की कहीं कॉन्फिडेंस बिल्डिंग रही या उनके भाजपा समझ नहीं पाई या क्या कारण है भाजपा की क्या दूरी बनी किसानों के साथ?
उ. सबसे पहली बार मीडिया में पूरी तरह से परशेप्शन गलत है क्योंकि किसान जाट, गुजर, या ठाकुर नहीं है किसान अपने आप में एक जाती है और किसान में छत्तीस बिरादरियां है। तो मैं समझता हूं की केवल जातिगत आधार पर टिप्पणी करना उचित नहीं है क्योंकि हमेशा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत हो या चौधरी चरण सिंह जी हो उन्होंने किसान की लड़ार्इ लड़ते हुए किसान को जाति बताया है। तो ये पूरी बेल्ट किसान जाति की बेल्ट है।
किसान जाति के लिए आदरणीय मोदी जी व योगी जी ने ऐतिहासिक काम किए है और यदि मैं दो तीन काम बताऊं तो चौधरी साहब की कर्मस्थली बागपत है। और बागपत में रमाणा शुगर मिल आरएलडी गठबंधन में सपा का रहा और सपा की सरकार आई साथ ही कई बार चौधरी चरण सिंह जी वहां से सांसद रहे और भी कर्इ मौके मिले लेकिन 35 वर्ष से रमाला का किसान मांग करता रहा कि हमें शुगर मिल दे दो लेकिन कोई नहीं दे पाया। चूंकि उनके दिल में किसान के लिए कोई जगह ही नहीं है। योगी आदित्यनाथ जी ने चौधरी चरण सिंह जी को समर्पित करते हुए 500 करोड़ की मिल दे दी।
पिछले 10 वर्षों से बंद बुलंदशहर, पिछले 11 वर्षों से बंद सहारनपुर, विनय सिदौसी, मेरठ शुगर मिल को 2500 करोड़ लगा कर दोबारा चालू किया है। शुगर मिल को योगी जी ने चलाया और रही बात किसानों में कॉन्फिडेंस बिल्डिंग की तो योगी जी किसानों के नेता है किसान उनके साथ कॉन्फिडेंस में है।
- इस बार यह आरोप लग रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा कमजोर पड़ रही है इसलिए भाजपा 2013 दंगे व पलायन जैसे मुद्दों को उठा रही है साथ ही हिंदू-मुसलमान में भेद पैदा कर रही है जिससे की वह जीत हासिल कर सके ?
उ. पलायन समाजवादी पार्टी के लिए छोटा शब्द होगा किंतु भाजपा के लिए यह बिल्कुल भी छोटा शब्द नहीं है समाजवादी पार्टी में तो जिस पर जितने मुकदमे वह सपा का उतना ही बड़ा नेता है।
अब मुख्तार अंसारी को कौन नहीं जानता उसके भाई को ज्वाइन करा करके अखिलेश यादव जी ने उत्तर प्रदेश में क्या मैसेज देने की कोशिश की है।
आगरा में समाजवादी पार्टी के धरने में अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगते है हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है किंतु वहां नारा लगे पाकिस्तान जिंदाबाद का तो इसका क्या मतलब है। रामपुर में सीआरपीएफ कैंप पर हमला हुआ और आतंकवादियों से मुकदमे वापस लेने की सिफारिश समाजवादी पार्टी करे तो इसका क्या मतलब है, जिन्ना से भी रिश्तेदारी निकाल ली। बात गन्ना कि करते है रिश्तेदारी जिन्ना की निकालते है। तो इन सबसे स्पष्ट होता है कि गन्ना वाले हम है और जिन्ना वाले वो है।
सपा का नाम आते ही लोगों की रूह कांप जाती है सपा के नाम से बच्चों की आंखों में भय आ जाता है। सपा के नाम से किसानों को लगता है फिर वहीं काले दिन कैसे खेत में जाऊंगा। इन सभी का मोदी योगी राज में स्वर्णिम काल है। और 30 बिरादरी भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़ी है। और मोदी योगी को कोई भी खोना नहीं चाहता।
- पूर्वांचल के मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सड़कों का अच्छा नहीं होने के पीछे क्या कारण है ?
उ. पहली बार किसी सरकार ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अपने एजेंडे में लिया है। किसी भी सरकार में पश्चिमी उत्तर प्रदेश एजेंड़े में आया ही नहीं। अब शाकंभरी देवी के नाम से सहारनपुर में यूनिवर्सिटी बन रही है। यूपी की एकमात्र स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी योगी जी द्वारा मेरठ में बनाई जा रही है। जेवर एयरपोर्ट बन रहा है। दादरी में फैट कॉरिडोर बन रहा है। शामली जैसा जनपथ 6 नेशनल हाईवे से जुड़ गया है।
साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बहन एक मंदिर के बाहर छोटी सी दुकान पर अपना जीवन यापन कर रही है। और आमजन यह भी देख रहा है कि कन्नौज में किसी भी दीवार में टक्कर मात्र मारने से नोट ही नोट निकल रहे है। तो यह पब्लिक है यह सब जानती है।