सुप्रीम कोर्ट में धारा ३५ए पर इसी महीने २६ से शुरू होने वाली सुनवाई को देखते हुए एहतियातन कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों की १०० अतिरिक्त कंपनियां भेजी जा रही हैं। गृह मंत्रालय ने शुक्रवार इन कंपनियों की तत्काल रवानगी का आदेश दिया है। उधर अलगाववादी नेता यासीन मलिक को भी एहतियातन हिरासत में ले लिया गया है।
पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच सुरक्षा बलों की १०० कंपनियां कश्मीर भेजे जाने से चर्चाओं को भी बल मिला है भले इसे एहतियातन उठाया गया कदम बताया गया है। गौरतलब है कि गृह मंत्रालय के आदेश में इस बात का जिक्र नहीं है कि इतनी अधिक फोर्स की तैनाती क्यों की जा रही है, लेकिन कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद ३५ए पर २६ से २८ फरवरी के बीच सुनवाई है और उसपर कोइ भी फैसला आ सकता है लिहाजा सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है।
गृह मंत्रालय की ओर से राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी को फैक्स संदेश भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में अतिरिक्त पैरा मिलिट्री फोर्स को तैनात किए जाना है। इसके लिए १०० कंपनियां, जिनमें सीआरपीएफ की ४५, बीएसएफ ३५, एसएसबी १० और आईटीबीपी की १० कंपनियां शामिल हैं, मुहैया कराई जाएं।
सीआरपीएफ के आईजी (ऑपरेशन) को इन सुरक्षाबलों की तत्काल रवानगी की व्यवस्था करने को कहा गया है। इसके लिए सभी सुरक्षाबलों के आईजी से समन्वय बनाकर तत्काल रवानगी कराने को कहा गया है। सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्रालय के आदेश के बाद जम्मू के पुलिस कंट्रोल रूम में बैठक कर रवानगी के फैसले को अमली जामा पहनाया गया। इन कंपनियों को घाटी के विभिन्न स्थानों पर तैनात किया जाएगा।
इस बीच जेके एलएफ प्रमुख यासीन मलिक को शुक्रवार को देर रात मायसूमा स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर कोठीबाग थाने ले गई। इसके बाद देर रात सेंट्रल जेल भेज दिया गया। सम्भावना है कि मलिक को राज्य से बाहर भेजा जा सकता है। इसका कारण भी सुप्रीम कोर्ट पर अनुच्छेद ३५ए पर सुनवाई बताई जा रही है। बुधवार को उनकी सुरक्षा राज्य सरकार ने वापस ले ली थी।