राफेल विमान सौद्दे की जांच की मांग को लेकर दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज (सोमवार) सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में मांग की है कि फ्रांस के साथ हुए विमान सौदे को सही करार देने वाले फैसले को बदला जाए, जबकि मोदी सरकार इसका विरोध कर रही है।
गौरतलब है कि आजकी सुनवाई से तीन दिन पहले सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। सरकार ने अपने हलफनामे में पीएमओ की राफेल खरीद प्रोसेस में निगरानी को सही ठहराया है। सरकार ने कहा है कि दो सरकारों के बीच समझौते पर पीएमओ की निगरानी को समानांतर सौदेबाजी कहना गलत है।
उधर याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में मांग की है कि फ्रांस के साथ हुए विमान सौदे को सही करार देने वाले फैसले को बदला जाए हालांकि सरकार इसका विरोध कर रही है। सरकार का कहना है कि याचिकाकर्ता चुराए गए दस्तावेज के चुनिंदा अंश पेश कर कोर्ट को गुमराह करना चाहते हैं।
इस मामले में केंद्र सरकार के वकील का कहना है कि सौदे में प्रति विमान करीब तीन फीसदी की बचत हुई है। सभी जरूरी दस्तावेज कैग को दिए गए थे और कैग की रिपोर्ट है कि हथियारों से लैस राफेल पहले की तुलना में करीब तीन फीसदी सस्ते मिले हैं। केंद्र ने कोर्ट में बताया है कि ऑफसेट पार्टनर के चयन में सरकार की कोई भूमिका नहीं है। समझौते में इसका जिक्र नहीं है और ३६ लड़ाकू विमान पूरी तरह तैयार स्थिति में भारत को मिलेंगे।