कश्मीर में इंटरनेट सहित अन्य पाबंदियों पर सख्त रुख दिखाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद सरकार को आदेश दिया है कि वह ७ दिन के भीतर इन पाबंदियों पर समीक्षा करे और अपने सभी आदेश सार्वजानिक करे। साथ ही अदालत ने इंटरनेट पर पाबंदी को बेहद सख्त कदम बताते हुए यह भी कहा है कि लोगों को असहमति जताने के पूरा हक़ है। कोर्ट के इस फैसले से मोदी सरकार को झटका लगा है जो सुरक्षा के दृष्टिगत यह पाबंदियां जारी रखने की वकालत कर रही थी।
सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति एनवी रमना, आर सुभाष रेड्डी और बीआर गवई की तीन जजों की बेंच ने कहा कि गैरजरूरी आदेशों को सरकार वापस ले ले। कोर्ट ने कहा कि धारा १४४ आदेश को भी सार्वजनिक करे। इन पाबंदियों को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन समेत कई अन्य ने याचिकाएं दायर की हैं जिनपर आज सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाया है।
अदालत ने आज कहा कि सभी गैर जरूरी आदेश वापस लिए जाएँ। कोर्ट ने इंटरनेट पर पाबंदी को बहुत सख्त कदम बताया है और कहा कि लोगों को विरोध का पूरा हक़ है। याद रहे २७ नवंबर को न्यायमूर्ति एनवी रमना, आर सुभाष रेड्डी और बीआर गवई की तीन जजों की बेंच ने सरकार की पाबंदियों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पीठ ने इस मसले पर दायर अलग-अलग याचिकाकर्ताओं पर सुनवाई की थी। बेंच ने केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल, जम्मू-कश्मीर की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और वकील वृंदा ग्रोवर की दलीलें पूरी होने के बाद बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।