नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया और अलीगढ़ हिंसा का मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने इसे लेकर सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है। अदालत ने इसपर सुनवाई स्वीकार करते हुए कहा है कि हिंसा रूक जाएगी, तभी हम इस मामले को सुनेंगे।
रविवार को हुई हिंसा और छात्रों पर पुलिस बर्बरता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सोमवार को अर्जी दाखिल की। इंदिरा जयसिंह ने प्रधान न्यायाधीश जस्टिस बोबडे की बेंच को मामले का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यह मानव अधिकार हनन का गंभीर मामला है।
अदालत इंदिरा जयसिंह की अर्जी पर सुनवाई को तैयार हो गयी है और इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश सीए बोबडे ने जामिया हिंसा मामले पर नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस ने कहा कि क्योंकि वे स्टूडेंट्स हैं, इसका मतलब ये नहीं कि वे कानून-व्यवस्था अपने हाथ में ले लेंगे। हिंसा रूक जाएगी, तभी हम इस मामले को सुनेंगे। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इस पर सब कुछ शांत होने पर फैसला लेना होगा। इस समय ऐसा माहौल नहीं है, जब हम कुछ तय कर सकें, दंगे रुकने दीजिए।
उधर पुलिस ने हिरासत में लिए गए सभी ५१ छात्रों को रिहा कर दिया है। जामिया में हिंसा के बाद यूनिवर्सिटी को पांच जनवरी तक के लिए पहले ही बंद कर दिया गया है।
दिल्ली पुलिस ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हिंसा के संबंध में रविवार को दो मामले दर्ज किए थे। उधर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी पुलिस के साथ छात्रों की झड़प हुई है , जिसमें करीब ६० लोग घायल हो गए। इसके बाद प्रशासन ने आज इंटरनेट पर रोक लगा दी है।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में देश के और हिस्सों में भी प्रदर्शन की ख़बरें हैं। जामिया के एक छात्र को दिल्ली में कड़ाके की ठंड में पुलिस के खिलाफ शर्ट उतार कर प्रदर्शन करते देखा गया। छात्रों का कहना है कि उनके साथ लाइब्रेरी के अंदर घुसकर मारपीट की गई।