सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला करके बिहार से जुड़े १७ बड़े मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी है। इसे बिहार सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। जो मामले सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को सौंपे हैं उनमें बच्चियों से रेप के मामले भी शामिल हैं।
बिहार के १४ शेल्टर होम में बच्चों के शोषण, यौन दुर्व्यवहार, अप्राकृतिक यौनाचार जैसे मामलों में ज़रूरी कार्रवाई न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को मंगलवार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर रही जो शर्मनाक है। कोर्ट ने कहा था कि मुजफ्फरपुर जैसे कई मामले सामने आने की आशंका है।
आज सर्वोच्च अदालत ने इन सभी मामलों की जांच का जिम्मा अब सीबीआई को सौंप दिया है। कोर्ट ने कहा कि सभी मामले सीबीआई को सौंपे जा रहे हैं। कोर्ट ने जांच कर रहे सीबीआई अधिकारीयों को न बदलने का भी आदेश दिया है।
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को २४ घंटे में कार्रवाई रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने जांच एजेंसी के एडवोकेट से कहा था कि कल तक पूछकर बताएं कि क्या सीबीआई सभी १४ शेल्टर होम की जांच को तैयार है।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान बिहार के मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मुख्य सचिव को फटकार लगाते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ नरम रुख क्यों अख्तियार किया गया? कोर्ट ने पूछा कि आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा ३७७ और पॉस्को एक्ट को क्यों नहीं जोड़ा गया? कोर्ट ने इसके लिए भी बिहार सरकार को २४ घंटे का वक्त दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी है।
इससे पहले सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर की थी। रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर बहुत प्रभावशाली व्यक्ति है, जांच में बाधा पहुंचा सकता है, उसे बिहार के बाहर की जेल में शिफ्ट करना सही रहेगा। सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को बिहार से पटियाला जेल शिफ्ट कर दिया था।