सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्य पीठ ने दंड के तौर पर फांसी की सजा को वैध माना है। पीठ ने २:१ के बहुमत से यह निर्णय बुधवार को सुनाया।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने जहां फांसी की सजा पर पुनर्विचार वाला पक्ष रखा वहीं वहीं न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता फांसी की सजा बरकरार रखने के पक्ष में थे। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में तीन लोगों की हत्या के दोषी छन्नू वर्मा की फांसी की सजा को भी आज उम्रकैद में बदल दिया।
गौरतलब है कि अक्टूबर २०११ में एक व्यक्ति छन्नू वर्मा ने तीन लोगों की चाकू से गोदकर इसलिए हत्या कर दी थी, क्योंकि उन्होंने उसके खिलाफ पहले से दर्ज रेप के एक मामले में गवाही दी थी। इस हत्याकांड में ९ साल के चश्मदीद बच्चे की गवाही पर छन्नू वर्मा को निचली अदालत से फांसी की सजा हुई थी, जिसे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था। इसके खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी।
यह मामला १९ अक्टूबर, २०११ को गांव की एक महिला रत्ना बाई, उसके ससुर आनंदराम साहू और सास फिरंतिन बाई की चाकू मारकर हत्या कर दी थी। इसके अलावा पूर्व जिला पंचायत सदस्य मीरा बंछोर, उसके पति छन्नूलाल बंछोर और गेंदलाल वर्मा पर जानलेवा हमला कर घायल कर दिया था।
इस मामले में रत्ना बाई के ९ साल के बेटे रोशन उर्फ सोनू की महत्वपूर्ण गवाही हुई थी जो अपनी मां, दादी की हत्या का चश्मदीद था।