वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गयी है। सर्वोच्च अदालत की बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। इससे पहले अदालत ने भूषण को 30 मिनट का समय दिया था और कहा था कि इसके बाद अदालत अपना फैसला सुनाएगी।
आज सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में चेतावनी देकर छोड़ दिया जाना चाहिए, हालांकि, मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए। इसके बाद अदालत ने भूषण को अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए 30 मिनट का समय दिय, हालांकि उन्होंने अपना कल के फैसले पर रहने की बात कही। ।
जहाँ तक नए अवमानना मामले की बात है उसपर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। आज अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में चेतावनी देकर छोड़ दिया जाना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए। पीठ ने कहा कि हमने प्रशांत भूषण को समय दिया, लेकिन उनका कहना है कि वह माफी नहीं मांगेंगे। शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि प्रशांत भूषण का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का पतन हुआ है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है। अदालत ने भूषण को अब 30 मिनट का समय दिया है, जिसके बाद बेंच अपना फैसला सुनाएगी।
याद रहे, सर्वोच्च अदालत ने 20 अगस्त को भूषण की सजा पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने भूषण को बिना शर्त माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया था, हालंकि, भूषण ने पिछले कल माफी मांगने से इन्कार कर दिया था। अदालत में दायर अपने बयान में प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर वह माफी मांगते हैं तो ऐसा करना उनकी नजर में उनकी अंतरात्मा और इस संस्था की अवमानना होगी।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण के ही खिलाफ 2009 के एक अन्य अवमानना मामले में सुनवाई 10 सितंबर तक टाल दी है। यह मामला ”तहलका” पत्रिका में प्रशांत भूषण के छपे एक इंटरव्यू से जुड़ा है। इस इंटरव्यू में भूषण ने भ्रष्टाचार के संबंध मे न्यायपालिका पर टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा कि राजीव धवन की ओर से उठाए गए सवालों पर लंबी सुनवाई की जरूरत है। अभी समय कम है। मामला उचित पीठ में लगाने केलिए सीजेआइ के समक्ष पेश किया जाए।