सेना में सेवानिवृत कर्मचारियों को वन रैंक वन पेंशन नीति में पेंशन भुगतान को लेकर सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा सरकार को पेंशन का बकाया किस्तों में देने की अधिसूचना वापस लेनी होगी। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुनिश्चित करें कि रक्षा मंत्रालय कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश न करे। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने अटॉर्नी जनरल से अगले सोमवार तक एक नोट तलब किया है जिसमें बकाया भुगतान और कितनी अवधि में चुकाया जाएगा, इसकी जानकारी माँगी गयी है।
सर्वोच्च अदालत ने आज कहा कि 20 जनवरी की अधिसूचना को वापस लिया जाए। अदालत ने कहा कि उन्हें इस तरह स्वत: संज्ञान लेकर अधिसूचना जारी नहीं करनी चाहिए थी। अदालत ने कहा – ‘इसे वापस लें नहीं, तो सचिव को पेश होने को कहेंगे। पहले अधिसूचना वापस लेने दें। तभी केंद्र की पेंशन बकाया के लिए ज्यादा समय देने की अर्जी पर सुनवाई करेंगे।’
इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल से अगले सोमवार तक पेंशन बकाया के भुगतान को लेकर एक नोट मांगा है जिसमें यह बतानी को कहा गया है कि कितना भुगतान बकाया है और इसे कितने समय में चुकाया जाएगा। साथ ही ये भी बताने को कहा गया है कि बुजुर्ग या विधवा पेंशनर आदि को कैसे प्राथमिकता के तहत बकाया चुकाया जाएगा।
अब इस मामले में 20 मार्च को अगली सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकेटरमनी ने कहा कि उन्होंने एक अर्जी दाखिल की है। पेंशन बकाया भुगतान के लिए मंत्रालय को कुछ और समय चाहिए। कहा गया है कि 31 मार्च तक पहली किस्त चुका दी जाएगी।
याद रहे 27 फरवरी को सर्वोच्च अदालत ने रक्षा मंत्रालय को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि ओआरओपी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना होगा। रक्षा मंत्रालय ने पेंशन मामलों के सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांग पूछा था। अदालत ने कहा कि उसके आदेश के बावजूद पेंशन किस्तों में देने का फैसला क्यों लिया गया ? सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि हम अवमानना नोटिस जारी कर देंगे।