एक बड़े फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को नशीले पदार्थों से जुड़े एक मामले में कहा है कि एनडीपीएस एक्ट के तहत किसी पुलिस अधिकारी के समक्ष आरोपी के बयान को सबूत नहीं माना जा सकता। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि इसे अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिए आधार नहीं बनाया जा सकता।
सर्वोच्च अदालत की तीन जजों की खंडपीठ ने बहुमत से दिए गए अपने फैसले में यह राय दी। अदालत ने कहा कि एनडीपीएस कानून की धारा 53 के तहत एक पुलिस अधिकारी को दिया गया इकबालिया बयान एक सबूत के रूप में अकाट्य बयान नहीं माना जाएगा। इस कानून के तहत अपराध के लिए एक अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिए ध्यान में नहीं लिया जा सकता।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने 2:1 के बहुमत से फैसला सुनाया। बता दें नशीले पदार्थों के सेवन और तस्करी को लेकर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) मुंबई, बेंगलुरु औऱ अन्य शहरों में लगातार ड्रग पेडलर पर शिकंजा कसने के दौरान सर्वोच्च अदालत का यह यह फैसला आया है। सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध हालात में मौत के बाद मुंबई में इसे लेकर कई फिल्मी सितारों से पूछताछ हाल के दिनों में हुई है।