सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सांसदों (एमपी) और विधायकों (एमएलए) के खिलाफ आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे को लेकर दिशा निर्देश जारी किए है। कोर्ट ने कहा कि, “ट्रायल कोर्ट के लिए एक समान दिशानिर्देश बनाना उसके लिए मुश्किल होगा।”
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों से ऐसे मामलों की प्रभावी निगरानी और निपटान के लिए स्वत संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज करने को भी कहा है। साथ ही देशभर के सभी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, जिला जज से कहा कि इन मामलों के निस्तारण के लिए समय-समय पर रिपोर्ट लेते रहें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन मामलों की सुनवाई कर यह पता लगाया जाए कि आखिर यह मामले लंबित क्यों हैं इन मामलों के निस्तारण में देरी क्यों हो रही है। इन मामलों के निस्तारण में किन स्तर पर रुकावट आ रही है इसका पता लगाया जाए।
आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट एमपी और एमएलए के खिलाफ लंबित मामलों को जल्द खत्म करने के लिए पहले ही विशेष एमपी और एमएलए कोर्ट बना चुका है लेकिन इन कोर्ट में 65 मामलों पर अभी भी सुनवाई जारी है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि विशेष न्यायालय में भी कई सालों से मामले लंबित है ऐसे में विशेष कोर्ट बनाने का कोई औचित्य नहीं रहा। और वर्तमान में देश के 9 राज्यों में ऐसी 10 विशेष अदालतें काम कर रही है।