वरिष्ठता के मसले पर विवाद के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के तीन नए जजों को शपथ दिलाई गयी। सबसे पहले जस्टिस इंदिरा बनर्जी और उनके बाद जस्टिस विनीत सरन को शपथ दिलाई गई जबकि अब तक उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को तीसरे नंबर सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ दिलाई गई। जस्टिस जोसेफ के चीफ जस्टिस बनने की संभावना अब कम हो गई है क्योंकि उनकी नियुक्ति जनवरी में की जानी थी लेकिन देर से की गई।
गौरतलब है कि पिछले काफी समय से इस बात पर गंभीर मतभेद चल रहे थे कि जजों को किस क्रम में शपथ दिलाई जाए। जस्टिस जोसेफ को सबसे पहले शपथ दिलाने और वरिष्ठता के मसले पर सोमवार को कुछ वरिष्ठ जजों ने मुख्या न्यायाधीश दीपक मिश्रा से भेंट की थी।
इन जजों का कहना था कि केंद्र ने प्रमोशन में जस्टिस जोसेफ की वरिष्ठता कम की। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश ने इन जजों को भरोसा दिलाया था कि वरिष्ठता में दूसरे नंबर के जज जस्टिस रंजन गोगोई से इस मुद्दे पर बात करेंगे हालांकि जस्टिस जोसेफ को तीसरे नंबर पर ही शपथ दिलाई गयी जिससे वे वरिष्ठता में अन्य दोनों से कनिष्ठ हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जजों का मानना है कि इससे जस्टिस जोसेफ के भविष्य में मुख्य न्यायाधीश बनने में बाधा आ सकती है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के सर्कुलर में कहा गया था कि जस्टिस जोसेफ को तीन जजों में सबसे आखिर में शपथ दिलाई जाएगी। अभी तक कहा गया है कि ये फैसला सरकार का है और इसे जजों की नियुक्ति को नोटिफाई करने के बाद लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज इसे जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में दखल मान रहे हैं।
जहाँ तक वरिष्ठता की बात है परंपरा के मुताबिक यह इस आधार पर तय होती है कि जज की नियुक्ति कब हुई है। अगर कोई दो जज एक ही दिन नियुक्त हुए हैं तो उनकी नियुक्ति का क्रम उनकी वरिष्ठता तय करेगा। दो जज अगर एक ही दिन नियुक्त हुए तो अधिक दिन हाई कोर्ट का जज वरिष्ठ माना जाएगा।
जस्टिस बनर्जी और जस्टिस सरन जस्टिस जोसफ की तुलना में ज्यादा दिन तक हाई कोर्ट के जज रहे हैं हालांकि जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश कॉलेजियम ने 10 जनवरी, 2018 को की थी। अन्य दो जजों की सिफारिश कॉलेजियम ने 16 जुलाई को की थी। इस लिहाज से देखा जाये तो जोसेफ वरिष्ठ हो जाते हैं।