सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को लखीमपुर खीरी हत्याकांड पर उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आरोप 302 का है तो गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई। कोर्ट ने सरकार से कहा कि आप उसे भी वैसे ही ट्रीट करें जैसे बाकी मर्डर केस में आरोपी के साथ किया जाता है। बता दें इस मामले में मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का पुत्र आशीष मिश्रा है जिसके खिलाफ एफआईआर दर्ज है लेकिन उसकी गिरफ्तारी आज तक नहीं हुई है। इस मामले पर अगली सुनवाई अब 20 अक्टूबर को होगी।
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस के सामने आरोपी के पेश होने पर दो टूक कहा कि 302 के आरोप में ये नहीं होता कि प्लीज आ जाएं। नोटिस किया गया है कि प्लीज आइए। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि ‘मौके पर चश्मदीद गवाह हैं। हमारा मत है कि जहां 302 का आरोप है वह गंभीर मामला है और आरोपी के साथ वैसा ही व्यवहार होना चाहिए जैसे बाकी मामलों में ऐसे आरोपी के साथ होता है। क्या बाकी केस में आरोपी को नोटिस जारी किया जाता है कि आप प्लीज आ जाइए?’
यूपी सरकार के वकील साल्वे ने कहा कि आरोप लगाया गया था कि गोली मारी गई है लेकिन गोली की बात पोस्टमॉर्टम में नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या ये ग्राउंड है कि आरोपी को न पकड़ा जाए? साल्वे बोले कि नहीं केस गंभीर है। प्रधान न्यायाधीश ने इस पर कहा कि ‘गंभीर केस है, लेकिन केस को वैसे नहीं देखा जा रहा है। हम समझते हैं कि इस तरह से कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। कथनी और करनी में फर्क नजर आ रहा है।’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि साधारण स्थिति में 302 यानी मर्डर केस में पुलिस क्या करती है? वह आरोपी को गिरफ्तार करती है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आरोपी कोई भी हो, कानून को अपना काम करना चाहिए। साल्वे ने कहा कि जो भी कमी है कल तक ठीक हो जाएगी। सर्वोच्च अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक वैकल्पिक एजेंसी के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए कहा है जो मामले की जांच कर सकती है।
आज की सुनवाई में लखीमपुर खीरी मामले पर प्रधान न्यायधीश ने उत्तर प्रदेश सरकार को अपने डीजीपी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि जब तक कोई अन्य एजंसी इसे संभालती है, तब तक मामले के सबूत सुरक्षित रखे जाएं। प्रधान न्यायधीश ने एक मीडिया रिपोर्ट, जिसमें कहा गया था कि प्रधान न्यायाधीश पीड़ितों से मिलने लखनऊ गए हैं, पर कहा कि ‘ये खुद समझना चाहिए कि ये कैसे हो सकता है…मैं कोर्ट में हूं।’