सुप्रीम कोर्ट ने हॉकी को राष्ट्रीय खेल घोषित करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करने से इंकार करते हुए याचिकाकर्ता को उन्हें सरकार के पास अपनी मांग रखनी चाहिए थी क्योंकि इस तरह का आदेश देना कोर्ट का काम नहीं है। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली।
यह याचिका जस्टिस युयु ललित, एस रविंद्र भाट और बेला त्रिवेदी की बेंच में लगी थी। यह याचिका वकील विशाल तिवारी ने दाखिल की थी जिसमें मांग की गयी थी कि एथलेटिक्स जैसे खेलों में सुविधाएं बढ़ाई जाएं और हॉकी को राष्ट्रीय खेल घोषित किया जाए। याचिकाकर्ता ने कहा कि हॉकी को राष्ट्रीय खेल के रूप में जाना तो जाता ही है, उसे आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं किया गया है।
हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपका उद्देश्य अच्छा है। हम भी इससे सहमत हैं। लेकिन हम इस पर सुनवाई नहीं कर सकते। इस तरह का आदेश देना कोर्ट का काम नहीं है। आप को सरकार के पास अपनी मांग रखनी चाहिए थी। कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली।
याद रहे हाल में टोक्यो ओलंपिक्स में भारत ने पुरुष हॉकी में कांस्य पदक जीता था जबकि महिला हॉकी टीम भी कांस्य पदक के पास आकर चूक गयी थी। हॉकी शुरू से ही भारत का मुख्य खेल रहा है।