सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसे घरेलू उड़ानों में सिख यात्रियों को कृपाण की इजाज़त के खिलाफ दायर किया गया था। यह अर्जी सर्वोच्च अदालत में हिंदू सेना ने डाली थी।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहे तो इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय में जा सकते हैं। अपनी अर्जी में हिंदू सेना ने कहा था कि इस तरह की इजाज़त विमान में यात्रा करने दूसरे यात्रियों के लिए खतरा बन सकती है। हिंदू सेना ने सिख यात्रियों को घरेलू उड़ानों में कृपाण ले जाने की अनुमति देने के ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस) के फैसले को चुनौती दी थी।
बीसीएएस ने 4 मार्च के अपने आदेश में कहा था कि ‘कृपाण केवल एक सिख यात्री अपने साथ ले जा सकता है, बशर्ते ब्लेड की लंबाई छह इंच से अधिक न हो और कुल लंबाई नौ इंच से अधिक न हो।’
बता दें भारत के भीतर भारतीय विमानों में हवाई यात्रा करते समय कृपाण की अनुमति है। इस आदेश में कहा गया था कि यह अपवाद केवल ऊपर बताए गए सिख यात्रियों के लिए होगा। हवाई अड्डे पर और किसी भी टर्मिनल, घरेलू या अंतरराष्ट्रीय में काम करने वाले किसी भी हितधारक या उसके कर्मचारी (सिख सहित) को व्यक्तिगत रूप से कृपाण ले जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने इसके बाद नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पत्र लिखकर कहा था कि बीसीएएस का 4 मार्च का आदेश सिख अधिकारों पर हमला है। बाद में 12 मार्च को बीसीएएस ने 4 मार्च के आदेश को लेकर शुद्धिपत्र जारी किया और वह अनुच्छेद हटा दिया, जिसमें सिख कर्मचारियों को किसी भी हवाई अड्डे पर कृपाण लाने पर रोक लगाई गई थी।