सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को किसान आयोग बनाने वाली एक याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। सर्वोच्च अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि वो उस समिति के पास जा सकते हैं जिसे सरकार ने किसानों के लिए गठित किया है।
इस याचिका में कहा गया था कि किसानों के लिए उनके संवैधानिक और मूल अधिकारों की रक्षा के लिए आयोग बनाना बेहद जरूरी है। किसान आयोग बनाने के लिए याचिकर्ता ने स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में भी किसानों के लिए एक संवैधानिक आयोग बनाने की बात कही थी।
याचिका में आगे कहा गया था कि किसानों के लिए आयोग न होना, किसानों के मूल अधिकारों के तहत आर्टिकल 14, 19 और 21 का उल्लंघन है। याचिका के मुताबिक, देश के अधिकतर किसान लोन, फसल खराब होने, फसल उचित मूल्य पर बेचने में नाकामी, पारिवारिक समस्या, समस्याओं के समाधान के लिए उचित मंच के अभाव में जी रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने अपने पक्ष में साल 2004 में एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में बनाए गए आयोग और उसकी चार अंतरिम रिपोर्ट के साथ 4 अक्टूबर, 2006 को पेश की गयी अंतिम रिपोर्ट का भी हवाला दिया था। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के 15 साल बाद भी किसानों की विभिन्न समस्याओं के निराकरण के लिए सुझाए गए उपायों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसी के चलते किसान आंदोलन भी कर रहे हैं।