अयोध्या में राम मंदिर को लेकर कोई विवाद नहीं है। विवाद इस बात पर है कि कभी जहां राम मंदिर था वहां मस्जिद बनी। उस मस्जिद में भी बरसों से नमाज़ नहीं पढ़ी गई। बाद में वह मस्जिद जब टूटी तो वहां की ज़मीन सरकार ने ले ली लेकिन चार साल से ऊपर होने पर भी राम मंदिर नहीं बना। टाइहिलय्ट पर अदालती सुनवाई की पहल इस महीने के अंत में सुप्रीम कोर्ट में होनी है।
पत्रकार-लेखक हेमंत शर्मा ने पुराने शहर अयोध्या के राम मंदिर विवाद के परिप्रेश्य में खासा उत्खनन कर डाला है। ‘युद्ध में अयोध्या’ उसकी किताब है। इसमें ढेरों फोटो हैं। मंदिर की आवाज़ उठाने वाले विभिन्न धर्माविलंबियों के साथ हिंदू भी रहे हैं। अपने खास अंदाज और सरलता से उन्होंने वह इतिहास समझने की कोशिश की है कि यदि सरयू नदी किनारे अयोध्या बसी, राम वहां जन्में, तो मंदिर भी वहीं था। जिसके महत्व के कारण वहां शैव, वैष्णव, जैन, बौद्ध, सभी अपने-अपने दौर में आए। राम मंदिर में भी बदलाव होते रहे। पर मंदिर रहा। लेकिन जब मंदिर की जगह पर मस्जिद बन गई तो कटुता बढ़ी। देश की आज़ादी के बाद हिंदुओं ने अपनी गौरवपूर्ण परंपरा को बचाने की पहल की। वह सिलसिला आज भी जारी है।
पत्रकार हेमंत शर्मा तब लखनऊ में थे जब मस्जिद को ताला खुला और शिलान्यास हुआ। वे अयोध्या में हुए रामभक्तों के ऐतिहासिक आंदोलन के चश्मदीद पत्रकार रहे हैं। जिन्होंने पूरे आंदोलन को, तब के राजनेताओं को और जन उत्साह को बेहद करीब से जाना-समझा और देखा। अयोध्या पर ही उनकी दूसरी किताब अयोध्या का चश्मदीद इस लिहाज से ज़रूर महत्वपूण ऐतिहासिक दस्तावेज बतौर माना जाता रहेगा क्योंकि उन्होंने वहां के पूरे घटनाक्रम को बाकायदा तिथिवार दिया है। आंदोलन की तैयारी और उस ध्वंस का भी उल्लेख जिसे अन्यत्र पाना कठिन है। रघुनाथ कथा यहीं खत्म नहीं होती। इस पूरे मामले की समीक्षा और सरकारी तंत्र की बेबसी का तारीखवार ब्यौरा इस पुस्तक को निष्पक्ष बताता है। ‘युद्ध में अयोध्या’ और ‘अयोध्या का चश्मदीद’ दो ऐसी किताबें हैं जिन्हें आप पढऩा शुरू करेंगे तो छोड़ नहीं सकें गे। आपको एक पुराने शहर की ऐतिहासिकता और हर दिन उसके नए होते जाने की वजहों की तभी जानकारी मिलेगी।
इन किताबों का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने 20 सितंबर को नई दिल्ली में किया। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि न्याय की उपेक्षा पर अयोध्या में महाभारत हो सकता है। उनकी बात को समझा जाना चाहिए।
किताबें – 1. युद्ध में अयोध्या
2. अयोध्या का चश्मदीद,
लेखक हेमंत शर्मा प्रकाशन प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली