आख़िर सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में 18 अगस्त को राउज एवेन्यू अदालत ने फ़ैसला सुना दिया। इसमें आरोपी को आत्महत्या के लिए उकसाने और क्रूरता करने के आरोपों से बरी कर दिया गया। फ़ैसले के कुछ मिनट बाद ही आरोपी रहे कांग्रेस नेता शशि थरूर, जो सांसद भी हैं; ने ट्वीट में कहा- ‘यह उस लम्बे दु:स्वप्न का महत्त्वपूर्ण अन्त है, जिसने मुझे मेरी पत्नी सुनंदा के दु:खद निधन के बाद घेर लिया था।’
इससे सुनंदा पुष्कर की रहस्यमयी मौत के मामले से पर्दा हट जाता है। कांग्रेस नेता थरूर ने लिखा- ‘भारतीय न्यायपालिका में अपने दृढ़ विश्वास के कारण मैंने दर्ज़नों निराधार आरोपों और मीडिया की तरफ़ से की गयी बदनामी को धैर्यपूर्वक झेला है, और आज सही साबित हुआ हूँ। हमारी न्याय प्रणाली में प्रक्रिया अक्सर सज़ा होती है। फिर भी, यह तथ्य कि न्याय किया गया है। यह परिवार में हम सभी को सुनंदा की आत्मा को शान्ति की प्रार्थना करने की अनुमति देगा।
आरोप मेरे लिए साढ़े सात साल की कठिन यंत्रणा थी।’ बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पुष्कर पर उनकी पत्नी की 2014 में संदिग्ध हालात में मृत्यु हो जाने के बाद आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था। कांग्रेस नेता पर दिल्ली पुलिस ने धारा 498-ए (एक महिला के साथ पति या रिश्तेदार के क्रूरता करने) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत आरोप पत्र दायर किया था।
वर्चुअल सुनवाई में मौज़ूद वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने आदेश सुनाये जाने के कुछ क्षण बाद कहा- ‘मैं बहुत आभारी हूँ। साढ़े सात साल हो गये और यह यातना भरा समय था।’ विदित हो कि इस मामले में दिल्ली में राउज एवेन्यू अदालत ने थरूर को क्लीन चिट दे दी। न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने कहा- ‘आरोपी को बरी किया जाता है।’
आरोप थे कि प्रारम्भिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करने वाले डॉक्टर परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर भरोसा करके अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर चले गये। ग़ौरतलब है कि मनोवैज्ञानिक शव परीक्षण रिपोर्ट सहित विभिन्न मेडिकल बोर्डों की सभी रिपोट्र्स ने शशि थरूर को हत्या या आत्महत्या के आरोपों से बरी कर दिया था। थरूर पर उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में एक महिला के साथ क्रूरता और आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी, 2014 की रात शहर के एक लग्जरी होटल के एक कमरे में मृत पायी गयी थीं। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, सुनंदा पुष्कर के पति कांग्रेस सांसद शशि थरूर इस मामले में मुख्य आरोपी थे। मई, 2018 को मंत्री थरूर, जिन्हें बाद में मामले में जमानत मिल गयी थी; के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस ने धारा-498(ए) और 306 (दुष्प्रेरण) केतहत आरोप पत्र दायर किया था। लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने अदालत में ज़ोर देकर कहा कि सुनंदा पुष्कर मानसिक क्रूरता से गुज़री हैं, जिस कारण उनका स्वास्थ्य ख़राब हो गया। लोक अभियोजक ने यह भी तर्क दिया कि यह एक आकस्मिक मृत्यु नहीं थी और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बताती है कि मौत का कारण ज़हर है, जो खाने-पीने या इंजेक्शन के द्वारा दिया हो सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुष्कर से मानसिक क्रूरता के कारण उनका स्वास्थ्य ख़राब हो गया। हालाँकि उन्हें पहले किसी भी स्वास्थ्य समस्या का सामना नहीं करना पड़ा था और तनाव और विश्वासघात के कारण उनकी समस्याएँ शुरू हुईं।
हालाँकि सुनंदा के बेटे ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-161 के तहत बयान दर्ज किया। इसमें उन्होंने कहा कि एम्स के मुर्दाघर में मैंने पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर से मौत के मामले के बारे में पूछा, तो उसने (डॉक्टर ने) जवाब दिया कि किसी षड्यंत्र या ज़हर देने की कोई सम्भावना नहीं है। लेकिन वही डॉक्टर बाद में मीडिया में चला गया और कहा कि मौत ज़हर के कारण हुई है। बेटे ने यह भी कहा कि शशि एक मक्खी तक को नुक़सान नहीं पहुँचा सकते हैं।