सीबीएसई ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वह 12वीं के मूल्यांकन (नतीजे) के लिए 10वीं और 11वीं के अंकों पर क्रमशः 30-30 प्रतिशत वेटेज और 12वीं प्री बोर्ड के अंकों पर 40 प्रतिशत वेटेज का फार्मूला अपनाएगा। सीबीएसई ने यह भी बताया है कि 12वीं के नतीजे 31 जुलाई तक घोषित कर दिए जाएंगे।
कोविड-19 महामारी और इसके कारण बार-बार लग रहे लॉकडाउन के चलते 12वीं की सीबीएसई बोर्ड परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं कक्षा के लिए निष्पक्ष मानदंड तय करने के लिए तीन जून को केंद्र सरकार को दो सप्ताह का समय दिया था। सीबीएसई ने 4 जून को 13 सदस्यीय समिति का गठन करके उसे 10 दिन के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा था।
अब इस समिति ने सर्वोच्च अदालत के सामने 12वीं के नतीजे का अपना फार्मूला रखा है। इसमें यह भी गुंजाइश राखी गयी है कि यदि कोई छात्र नतीजे से संतुष्ट नहीं है तो वह इसके खिलाफ संभावित समिति के सामने अपील कर सकता है। वैसे छात्र चाहें तो घर बैठकर ही अपने रिजल्ट और मार्क्स का गुना-भाग कर सकते हैं।
सरकार के मुताबिक छात्रों की मार्कशीट 10वीं, 11वीं और 12वीं प्री बोर्ड के रिजल्ट को आधार बनाकर तैयार की जाएगी। इसके लिए कक्षा 10वीं के रिजल्ट के आधार पर 30 फीसदी, 11वीं के रिजल्ट के आधार पर 30 फीसदी और 12वीं प्री बोर्ड या यूनिट टेस्ट के आधार पर 40 फीसदी अंक जुड़ेंगे।
सीबीएसई ने कहा है कि कक्षा 10वीं के 5 विषय में से जिन 3 विषयों में सबसे अच्छे अकं होंगे, उन्हें लिया जाएगा। इसी तरह कक्षा 11वीं के 5 विषयों का औसत लिया जाएगा और कक्षा 12वीं की प्री बोर्ड परीक्षा और प्रैक्टिकल के अंक लिए जाएंगे। सौ फीसदी रिजल्ट तैयार करने के लिए 10वीं के अंकों का 30 फीसदी, 11वीं के अंकों का 30 फीसदी और 12वीं के अंकों का 40 फीसदी लिया जाएगा और इसी के आधार पर फिर फाइनल रिजल्ट तैयार होगा।
सुप्रीम कोर्ट में सीबीएसई की ओर से कहा गया है कि समिति ने ये फैसला परीक्षा की विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए किया है। अब सीबीएसई के स्कूलों में एक परिणाम समिति का गठन होगा जिसमें स्कूल के दो वरिष्ठ शिक्षक और पड़ोसी स्कूल के शिक्षक ‘मॉडरेशन कमिटी’ के तौर पर काम करेंगे। ऐसा करके ये सुनिश्चित किया जाएगा कि स्कूल अंकों को ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर न बताए। समिति छात्रों के बीते तीन साल का प्रदर्शन भी देखेगी।