कांग्रेस ने सीबीआई के विशेष निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के अधिकार वापस लकर उन्हें आधी रात को छुट्टी पर भेजे जाने के मोदी सरकार के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा ने यह याचिका दाखिल की है।
खड़गे ने शनिवार को मीडिया को बताया कि सरकार की कार्रवाई अवैध और मनमानी है और उसने अपने अधिकार क्षेत्र से बहार जाकर ऐसा किया। आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को लेकर मोदी सरकार के आदेश के दस दिन बाद कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुँची है।
खड़गे ने कहा कि जो सरकार ने किया वह सीबीआइ एक्ट का उल्लंघन है। ”सीवीसी ने भी आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजकर नियम तोड़ा है। नियमों के इस उल्लंघन में सीधे-सीधे पीएमओ का हस्तक्षेप है”। कांग्रेस नेता ने कहा कि इन सब तथ्यों को ध्यान में रखकर ही उन्होंने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में सीवीसी के निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की है।
कांग्रेस नेता ने याचिका में कहा कि सीबीआई निदेशक को चुने जाने वाली तीन सदस्यीय समिति में होने के नाते कोर्ट को किसी भी तरह का आदेश देने से पहले उन्हें सुना जाना चाहिए। सीबीआई को जो समिति चुनती है उसमें प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश के साथ ही, विपक्ष का नेता भी शामिल होता है। ”सीबीआई डायरेक्टर का कार्यकाल निश्चित और शर्तें पूरी तरह सुरक्षित हैं और यहां तक कि पिछली समिति की सहमति के उनका ट्रांसफर आदेश भी लागू नहीं किया जा सकता है”।