सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सीबीआई मामले की सुनवाई की। इससे पहले केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा के खिलाफ अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में न्यायालय में दाखिल की। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने इस पर कहा कि रजिस्ट्री रविवार को भी खुली थी लेकिन रिपोर्ट दाखिल करने के संबंध में रजिस्ट्रार को कोई सूचना नहीं दी गई।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और मामले की अगली सुनवाई १६ नवंबर को तय की है। सोमवार की सुनवाई के दौरान सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव ने भी एजेंसी प्रमुख के तौर पर २३ अक्टूबर के बाद से अब तक किए गए अपने फैसलों के बारे में रिपोर्ट दाखिल की।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को बताया कि शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एके पटनायक ने सीवीसी जांच की निगरानी की, जो १० नवंबर को पूरी हुई। उन्होंने बाद में विलम्ब के लिए कोर्ट से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि यद्यपि वह परिस्थितियों के बारे में स्पष्टीकरण नहीं दे रहे लेकिन रिपोर्ट सौंपने में उनकी तरफ से विलंब हुआ।
गौरतलब है कि २६ अक्टूबर को सीवीसी को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई थी। भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना को २३ अक्टूबर को आधी रात को छुट्टी पर भेज दिया गया था। अस्थाना ने आलोक वर्मा पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। इसके बाद सीवीसी ने मामले की जांच शुरु की। सीवीसी जांच पर नजर बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जस्टिस एके पटनायक को नियुक्त किया था। चर्चा है कि सीवीसी को आलोक वर्मा के खिलाफ कोइ सबूत नहीं मिला है।