सीबीआई छोटे-छोटे मामलों में घुसने लगी है, अब ऐसा नहीं चलेगा : शिवसेना

पहले अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या मामले की जांच बिहार के जरिये सीबीआई से करवाने के बाद अब टीआरपी घोटाले की जांच  यूपी के जरिये सीबीआई से करवाने पर लोगों के मन में सवाल उठने लगे हैं। वैसे, पहले से ही केंद्रीय जांच एजेंसी पर कई बार सवाल उठाए जा चुके हैं। देश की अदालत पिंजड़े में बंद तोते की उपाधि दे चुकी है।

अब इस मामले में केंद्र बनाम महराष्ट्र सरकार एक तरह से आमने-सामने हैं। अब महाराष्ट्र में किसी मामले की जांच से पहले राज्य की अनुमति लेना जरूरी कर दिया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस फैसले का शिवसेना सांसद संजय राउत ने बचाव किया है। राउत ने कहा कि सीबीआई का अपना एक वजूद है। महाराष्ट्र जैसे राज्य में अगर कोई राष्ट्रीय कारण है, तो सीबीआई को जांच करने का अधिकार है। सीबीआई अब छोटे-छोटे मामलों में भी घुसने लगी है, लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा।

राज्यसभा सांसद राउत ने कहा, मुंबई या महाराष्ट्र पुलिस ने किसी विषय पर जांच शुरू की, किसी और राज्य में एफआईआर दर्ज की जाती है और वहां से केस सीबीआई को जाता है और सीबीआई महाराष्ट्र में आ जाती है। अब ये नहीं चलेगा। महाराष्ट्र और मुंबई पुलिस का अपना एक अधिकार है, जो संविधान ने दिया है।

राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा, सीबीआई का राजनीतिक उद्देश्य के लिए दुरुपयोग न हो यह सुनिश्चित करने के लिए हमारी सरकार ने यह कदम उठाया है। अब सीबीआई को भविष्य में नए मामले की जांच शुरू करने से पहले महाराष्ट्र सरकार से अनुमति लेनी जरूरी होगी। कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने सीबीआई को ‘सरकार का तोता’ तक कहकर संबोधित था। हम नहीं चाहते कि मामले में फिर से ऐस ही हो।

वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद अमर साबले ने महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले को निंदनीय करार दिया। उन्होंने कहा, वैधानिक संस्थाओं को लेकर राज्य और केंद्र के बीच विवाद खड़ा करना सही है साथ ही यह राष्ट्र हित में भी नहीं है। इस फैसले पर उद्धव सरकार को सूके की जनता को जवाब देना होगा।
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विवाद की वजह
दरअसल, यूपी में एक विज्ञापन एजेंसी की शिकायत पर टीआरपी घोटाले की जांच तत्काल सीबीआई को सौंप देने और एफआईआर दर्ज किए जाने के केंद्र के निर्णय का विरोध करते हुए बुधवार को उद्धव सरकार ने केंद्रीय एजेंसी को राज्य में जांच के लिए मिली आम सहमति वापस ले ली थी। अब सीबीआई को महाराष्ट्र में किसी नए मामले की जांच शुरू करने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। महाराष्ट्र से पहले पश्चिम बंगाल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी आम सहमति वापस ले चुके हैं।