बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में मंगलवार को आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करने का प्रस्ताव पेश किया है।
नीतीश कुमार के अनुसार बिहार में 75 फीसदी आरक्षण करने का प्रस्ताव पेश किया है इसके अंतर्गत 43 फीसदी ओबीसी और ईबीसी के लिए जबकि 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण व एससी को 20 फीसदी और एसटी को 2 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।
बता दें, भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों पर बोलते हुए नीतीश कुमार ने बिहार में हुर्इ जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट को भी आज बिहार विधानसभा में रखा और कहा कि जाति की संख्या घटाने या बढ़ाने पर जो भी सवाल खड़ा किया जा रहा है, वह बोगस है।
नीतीश कुमार ने आगे कहा कि, जाति जनगणना सब की सहमति से संभव हो पाया है। 1990 में पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने सबसे पहले मुझे जाति आधारित जनगणना के बारे में सलाह दी थी। उसके बाद हम इसको लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह से मिले थे। जब से मैं बिहार का मुख्यमंत्री बना हूं तभी से जाति आधारित गणना के लिए प्रयास कर रहा हूं, लेकिन अब यह जाकर संभव हो पाया है।
आपको बता दें, बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण के माध्यम से 215 अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति पिछड़ा वर्ग और अत्यंत वर्ग की आर्थिक स्थिति का मुआयना किया गया था जिसके बाद एक रिपोर्ट जारी की गई और अब आरक्षण का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया गया है।
इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार में अनुसूचित बिहार में अनुसूचित जनजाति में 42.70 फीसदी, अनुसूचित जाति के 42,93 फीसदी परिवार गरीब है। सामान्य वर्ग में गरीब परिवारों की संख्या 25.09 फीसदी, पिछड़ा वर्ग 33.16 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा 33.58 फीसदी, अनुसूचित जाति में 42.93 फीसदी गरीब परिवार है।