सीएए विरोधी आंदोलन के समय पिछले साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा को एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा मानने के आरोप में गिरफ्तार किये गए यूएपीए आरोपी नताशा नरवाल, आसिफ इकबाल तन्हा और देवांगना कालिता को मंगलवार दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार इन सभी को जमानत देते हुए कहा – ‘विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं है।’ इन सभी को अदालने ने इस आधार पर जमानत दी है कि वे अपने पासपोर्ट अधिकारियों के पास सरेंडर करेंगे और किसी ऐसी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे, जिससे जांच किसी भी तरह प्रभावित हो।
बता दें नताशा नारवाल और देवंगाना कलिता, दिल्ली स्थित महिला अधिकार ग्रुप पिंजरा तोड़’ के सदस्य हैं जबकि आसिफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र हैं। याद रहे नताशा नरवाल को मई में पिता महावीर नरवाल के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए 30 मई तक अंतरिम जमानत मिली थी और 31 को वे वापस आ गयी थीं। महावीर, जो कम्युनिस्ट पार्टी नेता थे, की कोरोना के चलते मृत्यु हो गयी थी।
हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति एजे भमभानी ने की। यहाँ बता दें फरवरी 2020 में दिल्ली में सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई थी और उस दौरान कई दुकानों को जला दिया गया था। सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा था। नताशा और देवंगाना को दंगों की साजिश के मामले में फरवरी में ही गिरफ्तार किया गया था। उन्हें इसी तरह के आरोपों पर दिल्ली के जाफराबाद इलाके में पहले गिरफ्तार करने के बाद जमानत दे दी गई थी लेकिन उसके बाद दिल्ली पुलिस ने नताशा और देवंगाना को फिर गिरफ्तार कर लिया था।