राज्यसभा में आज देश के मुख्य चुनाव आयुक्त और आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया से चीफ जस्टिस को बाहर करने वाले बिल में केंद्र सरकार ने नया बदलाव किया है। प्रस्तावित विधेयक में कहा गया था कि चुनाव आयुक्तों को चुनने वाली समिति में मुख्य न्यायधीश की बजाय एक कैबिनेट मंत्री को जगह मिलेगी और चुनाव आयुक्तों को अब सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर का दर्जा न मिलने का प्रावधान भी शामिल था। लेकिन अब इस प्रस्ताव को वापस लेतें हुए चुनाव आयुक्तों को न्यायाधीश के बराबर का ही दर्जा मिलेगा।
आज इस बिल को राज्यसभा मे पेश करते हुए अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि, “विपक्ष और पूर्व चुनाव आयुक्तों की तरफ से आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद दर्जा कम करने का फैसला वापस ले ला गया है।”
मेघवाल ने आगे कहा कि, “1991 में जो कानून बना था उसमें चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का कोई क्लॉज नहीं था, 2 मार्च 2023 को एक पीआईएल पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया था कि जब तक संसद कानून नहीं बनाती तब तक एक सिलेक्शन कमेटी का गठन किया जाए, हमने आर्टिकल 324 (2) के तहत यह बिल आया है, इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त के प्रोटेक्शन के लिए विशेष प्रावधान है, हमने 10 अगस्त को जो सीईसी बिल पेश किया था उसमें सर्च कमेटी के संदर्भ में एक संशोधन क्लॉज 6 में किया है, मुख्य चुनाव आयुक्त/चुनाव आयुक्त की सैलरी में जो पहले प्रावधान था उसमें क्लॉज 10 में संशोधन किया है, जो कंडीशंस की सर्विस है उसमें भी क्लॉज 15 में संशोधन किया गया है, बिल में एक नया क्लॉज 15 (ए) इंसर्ट किया है जिसके तहत कोई भी मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त अपनी ड्यूटी के दौरान अगर कोई कार्रवाई संपादित करते है तो उनके खिलाफ कोर्ट में कोई भी कार्रवाई नहीं हो सकती है।”
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली याचिकाओं के जवाब में कहा था कि यदि लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं है तो पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सबसे बड़े विपक्षी दल का एक प्रतिनिधि पैनल में होगा।
आपको बता दें, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक 2023 मार्च में सुप्रीम कोर्ट में फैसले के बाद लाया गया है जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता वाले एक पैनल के गठन का आदेश दिया था।
सीईसी-ईसी को लेकर मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए चयन समिति में पीएम, नेता विपक्ष और सीजेआई को रखने की बात कही थी कोर्ट ने कहा था कि संसद से कानून बनने तक ये मानदंड लालू रहेगा। किंतु विपक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा था कि सीईसी का कद सुप्रीम कोर्ट जज से घटकर कैबिनेट सचिव का हो जाएगा वहीं सरकार का कहना है कि सीईसी का कद सुप्रीम कोर्ट जज के बराबर ही रहेगा।