गिरता जा रहा अर्धसैन्य बल का मनोबल
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा अग्निपथ योजना के माध्यम से तीनों सेनाओं में भर्ती किये जाने से जहाँ पात्र युवा ख़ुश हैं, वहीं वे युवा जो सेना में भर्ती होने की तैयारी में जुटे थे, काफ़ी नाराज़ हैं। इसकी मूल वजह कम समय के लिए सेना में सेवा का मौक़ा तो है ही, साथ ही यह भी है कि अब सेनाओं में वो सुविधाएँ नहीं मिलेंगी, जो अब तक मिलती रही हैं। जहाँ तक सैन्य संगठनों में सेवा के बदले मेवा का सवाल है, तो वैसे तो सैनिकों को बहुत बेहतर कुछ नहीं मिलता है; लेकिन जो मिल रहा था, उसमें भी अब धीरे-धीरे कटौती होती जा रही है। वहीं कुछ सैन्य संगठन काफ़ी समय से अपने हक़ की आवाज़ उठाते रहे हैं; लेकिन उन्हें उतनी सुविधाएँ कभी नहीं मिलीं, जितनी आर्मी, वायु सेना और नौसेना को मिलती रही हैं। ऐसा ही एक सैन्य बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ भी है।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की स्थापना 27 जुलाई, 1939 को क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप हुई थी। लेकिन तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 19 मार्च, 1950 को सीआरपीएफ को झण्डा यानी ‘प्रेसिडेंट कलर्स’ प्रदान किया था। उसके बाद 28 दिसंबर, 1950 को सीआरपीएफ अधिनियम लागू हुआ। इस दौरान इस सैन्य बल को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ का दर्जा प्रदान किया गया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने इसी साल यानी 19 मार्च, 2022 को जोश और औपचारिक उत्साह के साथ अपना 83वाँ स्थापना दिवस मनाया। अब 27 जुलाई को सीआरपीएफ दिवस मनाया जाएगा।
इस अर्ध सैन्य बल के गौरवशाली इतिहास आठ दशक बीत चुके हैं। आज भारत में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में कुल 243 बटालियन हैं। यह बल विशेष बटालियनों के अलावा महिला बटालियन, आरएएफ बटालियन, कोबरा बटालियन, सिग्नल बटालियन, विशेष ड्यूटी ग्रुप और पीडीजी सहित अनेक समूह केंद्र, प्रशिक्षण संस्थाएँ, सीडब्ल्यूएस, एडब्ल्यूएस, एसडब्ल्यूएस और 100 बिस्तरों वाले चार कम्पोजिट अस्पतालों और 50 बिस्तरों वाले 17 कम्पोजिट अस्पतालों के गठन से बना हुआ एक बड़ा संगठन है।
सीआरपीएफ की भूमिका
देश के हर कोने में सेवाएँ देने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों के केंद्र भी देश भर में हैं। अपनी सेवा और ईमानदारी से इस सैन्य संगठन बल ने लोगों और राज्य प्रशासनों के द्वारा सबसे ज़्यादा स्वीकार्य बल का दर्जा हासिल किया हुआ है। दंगों और आपदा से लेकर आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए शीघ्र सेवा के लिए इस सैन्य संगठन के जवानों को बुलाया जाता है। इसके अतिरिक्त किसी ख़ास हस्ती की सुरक्षा करने में भी इन्हें तैनात किया जाता है। यह अर्धसैन्य बल राज्य पुलिस के साथ सामंजस्यपूर्ण ढंग से काम करता है। इस संगठन का काम भीड़ को नियंत्रित करना। दंगे रोकना। आतंकियों को मार गिराना, उन्हें गिरफ़्तार करना। वामपंथी उग्रवाद से निपटना। हिंसक इलाक़ों में चुनावों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखना। अति विशिष्ट व्यक्तियों और महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा करना। पर्यावरण के हनन को रोकना, उसकी निगरानी करना। स्थानीय वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण करना। युद्ध में शत्रुओं का सामना करना। प्राकृतिक आपदाओं के समय बचाव एवं राहत कार्य करना। क़ानून व्यवस्था बनाने में मदद करना। इसके अलावा इन्हें हवाई अड्डों, पुलों, पॉवरहाउस, दूरदर्शन केंद्रों, ऑल इंडिया रेडियो स्टेशनों, ख़ास केंद्रों, राष्ट्रीय बैंकों, अन्य सरकारी स्थलों, राज्यपालों और मुख़्यमंत्रियों के आवासों की सुरक्षा करने के लिए तैनात किया जाता है। बेहद अशान्त क्षेत्रों, आतंकी, माओवादी और नक्सल प्रभावित जगहों पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की बहुत ख़ास भूमिका होती है।
इस बल का 7.5 फ़ीसदी हिस्सा उत्तरी-पूर्व राज्यों- जम्मू और कश्मीर, बिहार, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम के ख़ास लोगों की सुरक्षा में तैनात रहता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर आवास स्थल तक, अन्य केंद्रीय मंत्रियों और गणमान्य व्यक्तियों के आवासों और दफ़्तरों की सुरक्षा के लिए भी इसके जवान 24 घंटे तैनात रहते हैं। वहीं 17.5 फ़ीसदी हिस्सा राज्यों के सचिवालयों पनबिजली परियोजनाओं, जेल, आतंकवाद प्रभावित इलाक़ों, केंद्र व राज्य सरकारों के ख़ास प्रतिष्ठानों की रक्षा के लिए तैनात रहता है। इसके अलावा धार्मिक स्थलों पर भी सीआरपीएफ जवानों की तैनाती रहती है। अपनी जान जोखिम में डालकर हर मुसीबत का सामना करने वाले देश के इस ख़ास बल के जवान का यह योगदान, न सिर्फ़ सरकार के लिए विचारणीय है, बल्कि देश के हर नागरिक की नज़र में सम्मान योग्य है।
त्याग में आगे
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल देश का सबसे बड़ा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है, जिसका अतीत भी गौरवशाली रहा है और वर्तमान भी गौरवशाली है। इस बल के जवानों की वीरता की गाथाएँ साहसपूर्ण और प्रेरणादायक हैं। इस अर्ध सैन्य बल के जवानों की जान हमेशा जोखिम में रहती है। चाहे वो देश के अन्दर की बात हो या देश की सीमाओं की बात हो; केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान हमेशा जान जोखिम में डालकर मुसीबतों से निपटने के लिए तत्पर रहते हैं। लेकिन अफ़सोस की बात है कि उन्हें वो सम्मान और वेतन नहीं मिलता, जिसके वे हक़दार हैं। साथ ही उन्हें आर्मी की तरह सुविधाएँ भी नहीं मिलतीं और न रिटायर होने पर पेंशन की वैसी सुविधा ही है।
इस बल में पराक्रमी जवानों को जॉज क्रॉस, किंग पीएमजी, अशोक चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र, शौर्य चक्र, पद्म श्री, पीपीएफएसएमजी, पीपीएमजी, पीएमजी, आईपीएमजी, विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, वीएम पुलिस मेडल और जीवन रक्षक पदक मिलते हैं। इस अर्ध सैन्य बल में जवानों की ट्रेनिंग बेहद स$ख्त और आग के दरिया को पार करने जैसी होती है। बावजूद इसके इस सम्मानित बल के जवानों को कई बार ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से बिना किसी लिखित आदेश के कुछ ताक़तवर लोग मौखिक आदेश के दम पर अपनी और अपने निवासों की सुरक्षा में तैनात करवा लेते हैं। इस बल में जवानों की कैटेगरी बटालियन के आधार पर पहचानी जाती है।
आत्महत्या के बढ़ते मामले
यह दुर्भाग्य की बात है कि तन-मन से देश की सेवा करने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों को अपनी ड्यूटी पर कभी-कभी इतना तनाव मिलता है कि वे आत्महत्या करने तक को मजबूर हो जाते हैं। यह कहना शायद ही सही हो कि किसी दूसरे सैन्य बल के मुक़ाबले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान ज़्यादा आत्महत्या करते हैं। अभी हाल ही में राजस्थान के एक जवान ने ड्यूटी के दौरान ख़ुद को गोली मार ली। इसी साल 10 या 11 मार्च को दौरान पचपेड़ी थाना क्षेत्र में एक सीआरपीएफ के जवान ने ड्यूटी के दौरान ख़ुद को गोली मार ली। कुकुर्दीकेरा निवासी 25 वर्षीय चंद्रभूषण जगत नाम के इस जवान की तैनाती 113वीं बटालियन, गढ़चिरौली में आरक्षक के रूप थी। इससे पहले 3-4 मार्च को पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली ज़िले में विधानसभा चुनाव के लिए ड्यूटी पर तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान ने ख़ुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह जवान ए/8 उड़ीसा बटालियन कम्पनी में तैनात था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 58 जवानों ने आत्महत्या की थी। इसके अलावा नक्सल प्रभावित इलाक़ों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान सबसे ज़्यादा शहीद होते हैं। आँकड़े बताते हैं कि देश के सभी सैन्य संगठनों में सबसे ज़्यादा क़रीब 57 फ़ीसदी जवान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के ही शहीद होते हैं। देश में सभी बलों को मिलाकर वर्ष 2019 में 15 राजपत्रित अधिकारी समेत 622 जवान शहीद हुए, वर्ष 2020 में 14 राजपत्रित अधिकारी समेत 691 जवान शहीद हुए, जबकि वर्ष 2021 में 18 राजपत्रित अधिकारी समेत 729 जवान शहीद हुए। भूस्खलन की कई घटनाओं में भी सीआरपीएफ के जवानों की मौत हुई है। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 से वर्ष 2020 के बीच मुठभेड़ों की तुलना में बीएसएफ, सीआरपीएफ और एसएसबी सहित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के जवानों के आत्महत्या की संख्या 680 है, जो मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों की संख्या से दोगुने से ज़्यादा है।