जैसे-जैसे गर्मी का पारा दिल्ली में बढ़ता जा रहा है। वैसे-वैसे दिल्ली में सियासी पारा तेजी से कम होता जा रहा है। वजह साफ है कि दिल्ली में एमसीडी के चुनाव को फिलहाल टाला जा चुका है। जब तक चुनाव को लेकर नई तारीख का ऐलान नहीं होता है। तब तक सियासी दल यहीं कयास लगाते रहेंगे, देखो कब चुनाव का ऐलान होता है।
चुनाव की तारीख को टाले जाने के बाद से सबसे ज्यादा दिक्कत उन प्रत्याशियों को है। जिनका टिकट लगभग तय हो चुका था। अब नये सिरे से टिकट की कवायद होगी। इसमें अब किसको टिकट मिलता है और किसको नहीं मिलता इस बात को लेकर काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।ऐसे में आरोप -प्रत्यारोप की राजनीति दिल्ली में बहुत ही कम हो रही है।दिल्ली की सियासत के जानकार अमन सेठ का कहना है कि जो उम्मीद थी कि चुनाव होली के आस -पास एमसीडी के चुनावी रंगा होगा। लेकिन ऐसा न हो सका।
जिसके कारण स्थानीय नेताओं के चेहरे पर उदासी और मायूसी आसानी से देखी जा सकती है।उनका कहना है कि कई बार चुनाव स्थगित होने या चुनाव की तारीख को आगे बढ़ाये जाने से नये-नये समीकरण बनने -बिगड़ने लगते है। जिसका नतीजा ये होता है। कि फिर से चुनावी माहौल नेताओं के साथ जनता के बीच बनाना मुश्किल होता है।क्योंकि जाने टाले जाने को लेकर सियासी दल एक -दूसरे पर आरोप लगाते रहेगे। इसलिये इन दिनों तो होली मिलन की बहार है। होली मिलन में जो भी आरोप बाजी हो रही है। उसको नेता ये कह कर टाल रहे है कि बुरा न मानों होली है।