पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में १९८४ में सिख विरोधी दंगों के दौरान हुई हिंसा के मामले में निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। निचली अदालत ने ८८ लोगों को दंगों का दोषी ठहराते हुए ५-५ साल की सजा सुनाई थी जिसे बुधवार को हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है।
दोषियों ने २७ अगस्त, १९९६ को सुनाए ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। ट्रायल कोर्ट ने इन्हें दंगा करने, घर जलाने और कर्फ्यू का उल्लंघन करने का दोषी ठहराया था। अब हाई कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। अब इस मामले में २२ साल बाद फैसला आया है।
इससे पहले, 14 नवंबर को सिख विरोधी दंगों के एक मामले में अदालत ने यशपाल सिंह नाम के दोषी को मौत की सजा और नरेश सेहरावत नाम के एक अन्य दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। दोनों को दक्षिणी दिल्ली के महिपालपुर इलाके में दो सिखों की हत्या का दोषी पाया गया।