ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी के मौके पर अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में सोमवार खालिस्तान समर्थक नारे लगे जबकि अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि सभी सिखों को गतका के साथ-साथ मॉडर्न हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने और इसके लिए मॉडर्न हथियारों के अखाड़े, जिन्हें शूटिंग रेंज कहते हैं, भी तैयार किए जाने चाहिएं।
इस मौके पर श्री अकाल तख्त साहिब पर चल रहे अखंड पाठ का भोग डाला गया। बाद में वहां ब्लू स्टार ऑपरेशन के दौरान मारे गए सिखों के परिजनों को सम्मानित किया गया। जब अकाल तख्त के जत्थेदार संदेश दे रहे थे, उसी समय दूसरी तरफ खालिस्तान के नारे लग रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक अकाल तख्त साहिब के नीचे जुटे लोगों ने पंजाब को खालिस्तान बनाने की मांग रखी।
सिख संगत को दिए अपने संदेश में ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिख प्रचार कमेटियों और संस्थाओं को गांवों, खासकर बॉर्डर क्षेत्र में, जाकर सिख धर्म का प्रचार करने को कहा। उन्होंने कहा कि सिखों का धर्म में मजबूत होना बहुत जरूरी है। अगर सिख धर्म मजबूत होगा तो वह आर्थिक और सामाजिक तौर पर भी मजबूत हो जाएंगे। और यदि ऐसा हुआ तो उन्हें राजनीतिक तौर पर मजबूत होने से कोई नहीं रोक सकता।
सिंह ने कहा – ‘सभी सिखों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग जरूरी है। सिखों को ट्रेनिंग अकादमी शुरू करनी चाहिए, ताकि वे जान सकें कि वे कैसे हथियार चला सकते हैं।’ ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिखों को गतका के अलावा मॉडर्न हथियारों की ट्रेनिंग देने का संदेश दिया। सिंह ने कहा – ‘धन गुरु अंगद देव जी महाराज ने माला साहिब में गतका अखाड़े तैयार किए थे। ऐसा कहने में हर्ज नहीं है कि अब सिखों को भी मॉडर्न हथियारों के अखाड़े, जिन्हें शूटिंग रेंज कहते हैं, भी तैयार किए जाएं। यह समय की जरूरत है।’
उन्होंने स्वर्ण मंदिर के बाहर ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सिख कैदियों को जेलों से रिहा करने की मांग उठाई। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आरोप लगाया – ‘सिखों को कभी आजादी नहीं मिली। सिखों को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हमें धार्मिक रूप से मजबूत होने की जरूरत है। इस बार पुलिस को तैनात कर सरकार ने सिखों को कंट्रोल करने की कोशिश की है।’
उनके अलावा सरबत खालसा की तरफ से चुने गए जत्थेदार ज्ञानी ध्यान सिंह मंड ने सिखों के पलायन पर चिंता जताई। उन्होंने कहा – ‘पंजाब पर चारों तरफ से हमला चिंता का विषय है। इस कारण ही सिख विदेशी धरती पर जा रहे हैं। जो यहां हैं, वे नशे की भेंट चढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, सिद्धू मूसेवाला जैसे लोग नस्लकुशी की भेंट चढ़ रहे हैं।’