सिर पर पगड़ी बाँध सत् श्री अकाल बोलकर किया गुरुद्वारे का उद्घाटन, सिख समुदाय को दी बधाई
सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने जब 3 जुलाई को एक ट्वीट किया- ‘महामारी के दौरान लम्बे समय तक चले जीर्णोद्धार के बाद सिलाट रोड पर सिख मंदिर (गुरुद्वारा) के उद्घाटन में भाग लेकर बहुत प्रसन्न हूँ।’ उन्होंने दुनिया भर में एक बहुत-ही मज़बूत संदेश भेजा कि सिख कैसे मानव सेवा का कार्य कर रहे हैं। पवित्र पगड़ी पहनकर सिंगापुर के प्रधानमंत्री ने सिख समुदाय को ‘सत् श्री अकाल’ कहकर बधाई दी। सत् श्री अकाल एक ‘जयकारा’ या विजय का आह्वान है, जिसे अब पंजाबी सिखों द्वारा अभिवादन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह द्वारा दिये गये सिख आह्वान का दूसरा भाग है, जिसमें कहा गया है- ‘बोले सो निहाल, सत् श्री अकाल’ (हर्षोन्माद में आवाज़ बुलंद करो)।
लूंग के ट्वीट में कहा गया है- ‘अन्य धार्मिक समूहों की तरह सिख नेताओं ने अपने उपासकों को महामारी के कारण होने वाले व्यवधानों को समायोजित करने में मदद की है। महामारी के कारण उत्पन्न तनावों को दूर करने के लिए सिख संस्थानों की समन्वय परिषद् ने सिख समुदाय से लोगों को स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने के लिए ‘प्रोजेक्ट अकाल’ नामक एक कार्यबल का गठन किया। गुरुद्वारों ने जाति, धर्म या पृष्ठभूमि की परवाह किये बिना इस कठिन दौर में ज़रूरतमंदों की मदद करने के लिए सिख समुदाय को एकजुट किया। इन पहलों ने बड़े समुदाय के लिए एक अच्छा उदाहरण स्थापित किया है; क्योंकि हम एक जानलेवा वायरस (कोरोना महामारी) के साथ जीने की एक नयी शुरुआत की तरफ़ बढ़े हैं। सिलाट रोड सिख गुरुद्वारा न केवल पूजा का एक पवित्र स्थान है, बल्कि सिंगापुर के बहु-धार्मिक और बहु-नस्लीय परिदृश्य में एक चमकता हुआ प्रतीक है। इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर एक बार फिर सिख समुदाय को बधाई।
महामारी के दौरान गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार किया गया था, जब सिख नेताओं ने उपासकों को नयी परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके महामारी के कारण होने वाले व्यवधानों को समायोजित करने में मदद की। गुरुद्वारा ने भक्तों के लिए सभाओं की लाइव-स्ट्रीमिंग (सीधी) सेवाएँ शुरू कीं।
प्रधानमंत्री ली ने अपने भाषण का एक हिस्सा और गुरुद्वारे की अपनी यात्रा की कुछ तस्वीरें भी अपने फेसबुक पेज के साथ-साथ ट्विटर अकाउंट पर भी साझा कीं, दुनिया भर में फैले सिख समुदाय की ओर लोगों ध्यान आकर्षित हुआ। मीडियाकॉर्प प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य वाणिज्यिक और डिजिटल अधिकारी परमिंदर सिंह ने ट्विटर पर पगड़ी पहने ली सीन लूंग का एक वीडियो साझा किया। उन्होंने कहा- ‘सिंगापुर के प्रधानमंत्री @leehsienloong ने पवित्र पगड़ी पहनकर एक नये पुनर्निर्मित गुरुद्वारे का उद्घाटन किया और बहुत सही उच्चारण
के साथ सत् श्री अकाल कहकर सभी का अभिवादन किया।’
बता दें कि वर्तमान में सिंगापुर में तक़रीबन 12 से 15 हज़ार के बीच सिख हैं। सिंगापुर में सिखों द्वारा स्थापित एक कल्याणकारी समाज दो युवा संगठनों और दो स्पोट्र्स क्लबों के अलावा सात गुरुद्वारों के साथ लोगों की सेवा में जुटा है। सिख फाउंडेशन और द पंजाबी फाउंडेशन ऑफ सिंगापुर प्रमुख संघ हैं, जो सिख विरासत को पंजाबी भाषा में बढ़ावा दे रहे हैं। सार्वजनिक जीवन में नाम कमाने वाले कुछ प्रमुख सिखों में सिंगापुर के सुप्रीम कोर्ट के पहले जज जस्टिस चूड़ सिंह सिद्धू और कंवलजीत सोइन, संसद की पहली महिला मनोनीत सदस्य, ऑर्थोपेडिक सर्जन और एसोसिएशन ऑफ वीमेन फॉर एक्शन एंड रिसर्च के सह-संस्थापक शामिल हैं।
सिंगापुर के अन्य प्रमुख सिखों में शामिल हैं- नई दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त हरिंदर सिद्धू, सिंगापुर नौसेना के पहले कमांडर जसवंत सिंह गिल, सिंगापुर संसद में पहले दो सिख सांसद इंद्रजीत सिंह और दविंदर सिंह, बीबीसी वल्र्ड न्यूज प्रेजेंटर शरणजीत लेल, ठकराल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के संस्थापक करतार सिंह ठकराल, अंतर्राष्ट्रीय बेस्टसेलिंग लेखक और वक्ता बल्ली कौर जसवाल, सिंगापुर के सेना प्रमुख मेजर जनरल रविंदर सिंह, एंग एमओ किओ जीआरसी के लिए पीएपी के सांसद इंद्रजीत सिंह और डब्ल्यूपी जीआरसी के लिए सांसद और प्रीतम सिंह। ब्रिटिश शासन के तहत सिंगापुर मलाया का हिस्सा था और अधिकांश सिख पुलिस अधिकारियों के रूप में वहाँ चले गये, जबकि भारत के अन्य सिख प्रवासी मुख्य रूप से पंजाब के जाट समुदाय से हैं।