देश के अंदर बैठे शत्रुओं की तलाश’ मुहिम में जुटे अपरिचित-अनजान तीन लोगों का एक दस्ता सांप्रदायिक सौहार्द्र और शांति की बातें करने वाले प्रोफेसर राम पुनियानी के घर नौ मार्च को पहुंच गया। इन लोगों ने अपने को सीआईडी से आया बताया लेकिन किसी ने भी अपना परिचय पत्र नहीं दिखाया।
उनका कहना था कि वे पासपोर्ट के संबंध में जानकारी लेने आए हैं। जबकि असलियत यह है कि न तो राम ने और न उनके परिवार में ही किसी ने कभी पासपोर्ट के लिए आवेदन नहीं किया। अब यह सच जाने लेने के बाद इन लोगों को अपनी भूल स्वीकार करके लौट जाना चाहिए था। लेकिन वे काफी देर बड़े इत्मीनान से बैठे रहे और राम और उनके परिवार के लोगों से पूछताछ करते रहे। आईआईटी में प्रोफेसर रहे 73 साल के राम पुनियानी से उनके घर जाकर बेमतलब के सवाल जवाब करने के लिए इन्हें किसने कहा यह एक बड़ा सवाल राम पुनियानी और उनके परिवार के सामने है।
वाचन के विशेषज्ञ प्रोफेसर एमएन कलबुर्गी के यहां ऐसे ही तीन लोग पहुंचे। कलबुर्गी ने खुद ही दरवाजा खोला और उन्हें प्वाइंट ब्लैंक रेंज से निशाना बना दिया गया। साढ़े चार साल उनकी हत्या को हो चुके हैं लेकिन न तो हत्या करने वाला पकड़ा गया, न उनके सहयोगी और न साजिश रचने वाल ही।
ऐसी ही हत्या एक नौजवान वकील शहिद आजमी की हुई जो अकेले ही आतंकवादी होने के संदेह में पकड़े गए लोगों के मामले देखते थे। उन्हें हमेशा धमकियां मिलती और वे एक सुबह मारे गए। राम पुनियानी के घर पर हुई ऐसी हरकत का विभिन्न बुद्धिजीवियों ने विरोध किया है। देश के जाने-माने विद्वान प्रोफेसर राम पुनियानी समाज में सांप्रदायिकता और अलगाववादी ताकतों से सजग रहने के लिए युवाओं की वर्कशाप करते रहे हैं। लेकिन इस तरह अनजान-अपरिचित लोगों का उनके घर पर धमक जाना निश्चय ही सराहनीय नहीं कहा जाएगा।